Arvind Kejriwal’s resignation: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 15 सितंबर, 2024 को एक चौकाने वाली घोषणा की। उन्होंने बताया कि वह दो दिन बाद सीएम पद से इस्तीफा दे देंगे। केजरीवाल का कहना है कि जब तक जनता उनका निर्णय नहीं कर देती, वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे। उन्होंने घोषणा की कि वह हर घर और गली में जाकर जनता से संवाद करेंगे और तभी सीएम की कुर्सी पर बैठेंगे जब जनता का स्पष्ट फैसला मिल जाएगा। इस बयान से राष्ट्रीय राजधानी का सियासी तापमान बढ़ गया है।
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आप नेताओं की प्रतिक्रियाएँ
केजरीवाल की इस घोषणा पर आम आदमी पार्टी (AAP) के नेताओं ने विभिन्न प्रतिक्रियाएँ दी हैं। राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि देश में जहां कोई एक पार्षद भी इस्तीफा नहीं देता, वहां अरविंद केजरीवाल ने भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद सीएम की कुर्सी छोड़ने का फैसला लिया है। चड्ढा ने केजरीवाल को कट्टर ईमानदार बताते हुए पार्टी पर गर्व जताया। दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि ऐसा उदाहरण नहीं मिलता कि कोई मुख्यमंत्री कोर्ट से जमानत लेने के बाद खुद तय करे कि वह जनता के फैसले के बिना कुर्सी पर नहीं बैठेगा। भारद्वाज ने दिल्ली की जनता को बीजेपी के खिलाफ वोट देने का आह्वान किया और केजरीवाल के फैसले को जनता के प्रति उनकी ईमानदारी का प्रमाण बताया।
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पर्यटन मंत्री कैलाश गहलोत की प्रतिक्रिया
पर्यटन मंत्री कैलाश गहलोत ने भी केजरीवाल के फैसले का समर्थन किया। गहलोत ने कहा कि केजरीवाल ने जनता का प्यार और सम्मान कमाया है और अब यह जनता पर निर्भर करेगा कि वे तय करें कि वह और उनकी पार्टी ईमानदार हैं या नहीं। राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने आरोप लगाया कि केजरीवाल को AAP को खत्म करने के मकसद से गिरफ्तार किया गया था, लेकिन BJP इस प्रयास में विफल रही। सिंह ने दावा किया कि केजरीवाल अब जनता से प्रमाणपत्र लेंगे और भारी बहुमत से जनता का समर्थन प्राप्त करेंगे।
बीजेपी का दृष्टिकोण: ड्रामा या रणनीति?
केजरीवाल के इस्तीफे की घोषणा पर बीजेपी ने इसे ड्रामा करार दिया है। पार्टी का कहना है कि केजरीवाल की इस चाल को एक राजनीतिक रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। बीजेपी के अनुसार, केजरीवाल का यह कदम फरवरी में होने वाले चुनावों को लेकर खुद को सुरक्षित करने की एक कोशिश है। राजनीतिक विश्लेषक और पूर्व संपादक रामकृपाल सिंह ने बताया कि केजरीवाल की स्थिति इस बार इतनी आसान नहीं होगी। उन्होंने कहा कि बेशक केजरीवाल को अपनी जीत का भरोसा हो, लेकिन इस बार की राह कठिन हो सकती है।
सिंह ने बताया कि यह पहली बार है जब किसी को इतनी शर्तों के साथ जमानत मिली है, और अब यह देखना होगा कि चुनाव में क्या परिणाम सामने आता है। सिंह ने यह भी कहा कि केजरीवाल ने भगत सिंह का उदाहरण देकर खुद को क्रांतिकारी सीएम बताने की कोशिश की है, लेकिन यह बात काफी सही नहीं लगती। उन्होंने इसे आपदा में अवसर खोजने की कोशिश के रूप में देखा और भविष्य की स्थिति पर संशय व्यक्त किया।
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राजनीति का नया मोड़
अरविंद केजरीवाल का इस्तीफा देने का ऐलान दिल्ली की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है। उनके इस कदम के पीछे राजनीतिक रणनीति की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता, और आगामी चुनावों में इसके प्रभाव का मूल्यांकन भविष्य में ही संभव होगा। फिलहाल, दिल्ली की राजनीति गर्म हो गई है और सभी की निगाहें अगले दिनों में होने वाले घटनाक्रम पर टिकी हैं।