Tirupati Laddoos: आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने हाल ही में एक गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार, यानी वाईएसआर कांग्रेस के कार्यकाल में तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसाद के रूप में मिलने वाले लड्डुओं (Tirupati Laddoos) में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता था। नायडू ने यह बयान एनडीए विधायक दल की बैठक के दौरान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि लड्डुओं को बनाने में देशी घी की जगह जानवरों के चर्बी वाले तेल का उपयोग किया जाता था। तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) जो मंदिर का संचालन करता है, ने इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
नायडू ने कहा, “पिछले 5 वर्षों में वाईएसआर कांग्रेस के नेताओं ने तिरुमला की पवित्रता को कलंकित किया है। उन्होंने मुफ्त भोजन की गुणवत्ता से समझौता किया है और पवित्र तिरुमला लड्डू को भी दूषित कर दिया है।” उनके अनुसार, अब फिलहाल टीटीडी शुद्ध घी का उपयोग कर रहा है और पवित्रता की रक्षा के लिए प्रयासरत है।
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वाईएसआर कांग्रेस ने किया पलटवार
नायडू के इस आरोप पर वाईएसआर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी के वरिष्ठ नेता वाईवी सुब्बा रेड्डी ने कहा कि चंद्रबाबू नायडू ने तिरुमाला मंदिर की पवित्रता को नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने एक्स पर तेलुगु में लिखा कि नायडू की टिप्पणियां न केवल दुर्भावनापूर्ण हैं, बल्कि करोड़ों हिंदुओं की आस्था को भी गंभीर रूप से ठेस पहुंचाती हैं। रेड्डी ने नायडू से सवाल किया कि क्या पहले कभी किसी ने ऐसा दावा किया था या तिरुपति मंदिर के बारे में ऐसी बातें कही थीं। इस मामले पर वाईएसआर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद वाईवी सुब्बा रेड्डी ने नायडू पर तीखा पलटवार किया।
उन्होंने कहा, “चंद्रबाबू नायडू ने तिरुमला की पवित्रता और करोड़ों हिंदुओं की आस्था को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया है। उनके आरोप दुर्भावनापूर्ण हैं।” रेड्डी ने यह भी कहा कि यदि नायडू को भक्तों की आस्था के प्रति चिंता है, तो उन्हें अपने परिवार के साथ तिरुमला प्रसाद के संबंध में भगवान के सामने शपथ लेने के लिए तैयार होना चाहिए। उन्होंने नायडू को चुनौती दी कि क्या वे भी ऐसा करने को तैयार हैं।
महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है तिरुपति
तिरुपति बालाजी मंदिर भारत के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है, जहां प्रतिदिन लाखों भक्त आते हैं। ऐसे में नायडू का यह बयान न केवल भक्तों को चिंतित कर सकता है, बल्कि मंदिर प्रशासन पर भी दबाव डाल सकता है। वाईएसआर कांग्रेस के नेताओं ने पहले ही कहा है कि यह बयान हिंदू समुदाय की भावनाओं के खिलाफ है और इससे तिरुपति की पवित्रता को नुकसान पहुंच सकता है।
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सही मुद्दा या फिर एक राजनीतिक खेल?
चंद्रबाबू नायडू का यह बयान केवल एक आरोप नहीं है, बल्कि आंध्र प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस पर कोई और राजनीतिक कार्रवाई होती है या यह केवल एक बयान रह जाता है। मंदिर और उसके प्रसाद को लेकर इस तरह के विवाद हमेशा से संवेदनशील रहे हैं, और यह समय दिखाएगा कि राजनीतिक रूप से यह मामला कितना आगे बढ़ता है।
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