One Nation One Election: केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कमेटी की वन नेशन वन इलेक्शन रिपोर्ट की सिफारिशों को मंजूरी दे दी है उसके बाद से ही देश मे यह चर्चा खूब जोर-शोर से शुरु हो गई है कि,क्या देश में अब 2029 में सभी राज्यों के विधानसभा और लोकसभा चुनाव एकसाथ होंगे? हालांकि केंद्रीय कैबिनेट ने अभी यह कानून पास नहीं किया है केवल रिपोर्ट को मंजूरी दी है वहीं कैबिनेट ने यह भी नहीं बताया है कि,वन नेशन वन इलेक्शन देश में कब से लागू होगा लेकिन इसको लेकर राजनीति अभी से तेज हो गई है।
केंद्र सरकार के ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ पर राजनीति तेज

कांग्रेस ने केंद्रीय कैबिनेट के वन नेशन वन इलेक्शन का खुलकर विरोध किया है वहीं उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने भी सरकार से इसको लागू करने से पहले कई सवाल किए हैं लेकिन बसपा सुप्रीमो मायावती ने केंद्र सरकार के वन नेशन वन इलेक्शन के फैसले को अपनी मंजूरी देने पर सहमति दिखाई है। यह तो रही इसको लेकर राजनीति करने की बात लेकिन एनडीए सरकार के सामने एक देश एक चुनाव लागू करवाना कई बड़ी चुनौतियां हैं यह चुनौतियां कौन सी हैं आइए समझते हैं।
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संसद के शीतकालीन सत्र में पेश होगा संशोधन विधेयक
उम्मीद है कि,केंद्र की एनडीए सरकार वन नेशन वन इलेक्शन को लागू करने के लिए संसद के शीतकालीन सत्र में संशोधन विधेयक को पेश कर सकती है। कमेटी ने 2029 में पूरे देश में एकसाथ चुनाव कराने की बात कही है लेकिन सरकार के लिए यह राह इतनी आसान नहीं इसके लिए उसे कई चुनौतियों से होकर गुजरना पड़ेगा। देखा जाए तो लोकसभा में भाजपा के पास अपने दम पर बहुमत नहीं है ऐसी स्थिति में भाजपा के सामने यह बड़ी चुनौती है कि,उसको अपने सहयोगियों और विरोधी दलों को इसके लिए राजी करना।
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लोकसभा और राज्यसभा में विधेयक पास कराना बड़ी चुनौती

लोकसभा में एनडीए के पास 543 सदस्यों में से 293 सांसद और राज्यसभा में 119 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है। रामनाथ कोविंद कमेटी ने एक देश एक चुनाव को लागू करने से पहले रिपोर्ट में 18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की है इसके लिए सरकार को संशोधन विधेयक सदन में लाना होगा सरकार के लिए यह एक कड़ी परीक्षा होगी। वहीं राष्ट्रीय पार्टियों में शामिल केवल 6 राजनीतिक दल ऐसे हैं जिन्होंने वन नेशन वन इलेक्शन का सपोर्ट किया है।कांग्रेस,आम आदमी पार्टी और माकपा समेत 15 राजनीतिक दलों ने इसका विरोध किया है।
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संविधान के अनुच्छेद 83 और 172 में संशोधन की सिफारिश
सरकार के सामने बड़ी चुनौती है कि,राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले एक मतदाता सूची और एक मतदाता पहचान पत्र से जुड़े संशोधनों का देश के आधे राज्यों की विधानसभा से अनुमोदन मिलना जरूरी है। इसके लिए केंद्र सरकार को राज्यों को भी शामिल करना होगा स्थानीय निकाय चुनाव भी होने हैं उसमें संशोधन पर आधे से अधिक राज्यों की सहमति जरुरी है। जम्मू-कश्मीर,हरियाणा,झारखंड,बिहार और दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने हैं इन चुनावों के नतीजे केंद्र सरकार के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। रामनाथ कोविंद कमेटी ने रिपोर्ट में संविधान के अनुच्छेद 83 और 172 में भी संशोधन की सिफारिश की है अनुच्छेद 83 लोकसभा और अनुच्छेद 172 राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को कंट्रोल करता है इसमें अगर संशोधन होता है तभी एक देश एक चुनाव का रास्ता साफ हो पाएगा।