Haryana: लोकसभा चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद अब हरियाणा में सियासी हल चल तेज हो गई है. यहां पर बीजेपी को झटका लगा है. करनाल विधानसभा के लिए हुए उपचुनाव में सीएम नायब सैनी चुनाव जीत गए हैं. लेकिन फिर भी प्रदेश में सरकार के लिए संकट बरकरार है और अल्ममत में है. तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद बीजेपी के लिए काफी परेशानी हो गई है.
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हरियाणा की नायब सरकार पर बहुमत का संकट
आपको यहां बता दे कि 5 जून को करनाल विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए थे,जिसमें बीजेपी ने जीत हासिल की थी. जीत हासिल करने के बाद भी बीजेपी के विधायकों की संख्या हरियाणा में कम है. अब बीजेपी विधायकों की संख्या बढ़कर 41 हो गई है. दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन के साथ बीजेपी के पास आंकड़ा 43 हो गया है. हालांकि, अब भी हरियाणा की नायब सरकार पर बहुमत का संकट बना रहेगा.
भाजपा सरकार अल्पमत में..
हरियाणा में सियासी हलचल के बीच मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर खट्टर ने चंडीगढ़ में जननायक जनता पार्टी (JJP) के दो विधायकों जोगीराम सिहाग और रामनिवास सुरजाखेड़ा से मुलाकात की है. तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापसी लेने के बाद संख्या बल के आधार पर फिलहाल हरियाणा की भाजपा सरकार अल्पमत में है. बीजेपी इस सियासी संकट से उबरने के लिए JJP के कुछ विधायकों को साधने में जुटी है. हरियाणा में इसी साल अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं.
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इस वक्त बीजेपी के पास 43 विधायक
दरअसल, हरियाणा विधानसभा में दो विधायकों के इस्तीफा देने और एक विधायक की मौत के बाद विधायकों की संख्या 87 रह गई थी. इसलिए बीजेपी को बहुमत को बहुमत साबित करने की नौबत आ गई. लेकिन एक विधायक कम पड़ रहा है. बीजेपी को अब बहुमत साबित करने के लिए 44 विधायकों की जरूरत है. लेकिन इस वक्त बीजेपी के पास हरियाणा में अपने 41 विधायक हैं और दो विधायकों का समर्थन उन्हें प्राप्त है तो कुल मिलाकर इस वक्त बीजेपी के पास 43 विधायक हैं.
फ्लोर टेस्ट की मांग हुई थी
बीजेपी इस बात का दावा कर रही है कि सरकार को किसी भी तरह का कोई खतरा नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि निर्दलीय विधायक नयनपाल रावत सरकार के साथ हैं और लोकहित पार्टी के विधायक गोपाल कांडा भी सरकार को समर्थन दे रहे हैं. दरअसल, जब लोकसभा चुनाव हो रहे थे,उस समय कांग्रेस ने सरकार के अल्पमत में होने को लेकर फ्लोर टेस्ट की मांग की थी.
जनता जननायक पार्टी ने तो राज्यपाल को चिट्ठी तक लिख डाली थी और कहा था कि वह भाजपा के अलावा, किसी को भी समर्थन देने के लिए तैयार है. सबसे बड़ी बात तो यह है कि सीएम बनने के बाद विधानसभा में फ्लोर टेस्ट हुआ था. ऐसे में अब अगले छह महीने तक फ्लोर टेस्ट नहीं किया जा सकता है. 12 मार्च को यह फ्लोर टेस्ट हुआ था, जिसमें भाजपा ने 48 विधायकों के समर्थन के साथ इसे पास किया था. लेकिन अब 3 निर्दलीय भाजपा का साथ छोड़ गए हैं.
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