UP Politics: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) के हालिया बयान पर तीखी टिप्पणी की है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “दिल्ली का ग़ुस्सा लखनऊ में क्यों उतार रहे हैं? सवाल ये है कि इनकी प्रतिष्ठा को ठेस किसने पहुंचाई? कह रहे हैं सामनेवालों से पर बता रहे हैं पीछेवालों को। कोई है पीछे?”
योगी आदित्यनाथ का बुलडोजर बयान
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा, “आपको बुलडोजर से डर लगता है लेकिन यह निर्दोष के लिए नहीं है बल्कि उन अपराधियों के लिए है जो प्रदेश के नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हैं, प्रदेश के व्यापारियों और बेटियों की सुरक्षा में सेंध लगाने का काम करते हैं।” उन्होंने आगे कहा, “मैं यहां नौकरी करने के लिये नहीं आया हूं। मेरा दायित्व बनता है कि अगर कोई गड़बड़ी करेगा तो वह भुगतेगा भी।”
योगी आदित्यनाथ ने कहा, “यह हमारी सामान्य लड़ाई नहीं है। यह प्रतिष्ठा की लड़ाई भी नहीं है। मुझे प्रतिष्ठा प्राप्त करनी होती तो उससे ज्यादा प्रतिष्ठा मुझे अपने मठ में मिल जाती है।”
यूपी भाजपा में कलह के दावे
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के बाद सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या के बीच मनमुटाव के दावे किए जाते रहे हैं। इसको लेकर अखिलेश यादव बार-बार टिप्पणी करते रहे हैं, यहां तक कि अखिलेश ने 100 विधायक लाकर सरकार बनाने का मानसून ऑफर भी दे चुके हैं। अब अखिलेश ने यूपी भाजपा में अंदरूनी कलह को लेकर इशारों-इशारों में सीएम योगी पर निशाना साधा है। राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो अखिलेश यादव का यह बयान सीएम योगी आदित्यनाथ पर सीधे तंज है। दोनों नेताओं के बीच का यह वार-पलटवार यूपी की राजनीति में एक नई गरमाहट ला रहा है। यह स्पष्ट है कि अखिलेश यादव भाजपा में चल रही अंदरूनी कलह को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं।
अखिलेश यादव का राजनीति में उभार
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव लगातार योगी आदित्यनाथ पर तीखे हमले कर रहे हैं, जिससे यह साफ है कि वे 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को चुनौती देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। यूपी की राजनीति में यह देखने वाली बात होगी कि अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी कैसे इस मुद्दे को भुनाते हैं और आगामी चुनावों में इसे किस प्रकार से प्रस्तुत करते हैं।
अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ के बीच यह तकरार न केवल राजनीतिक रणनीतियों का हिस्सा है, बल्कि यूपी की जनता के बीच भी इसकी गूंज सुनाई देगी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे आने वाले दिनों में यह राजनीतिक जंग क्या मोड़ लेती है और कौन किस पर भारी पड़ता है। राजनीतिक गर्मी और आरोप-प्रत्यारोप का यह दौर उत्तर प्रदेश की राजनीति को नई दिशा दे सकता है, जो आगामी चुनावों में निर्णायक साबित हो सकता है।
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