UP Lok Sabha Elections: लोकसभा चुनाव 2024 का आगाज 19 अप्रैल से हो चुका है और दूसरे चरण में मतदान 26 अप्रैल को होने वाला है जिसमें आज से मात्र 1 दिन ही शेष रह गया है.ऐसे में यूपी की कन्नौज सीट के लिए सही उम्मीदवार को लेकर सपा मुखिया अखिलेश यादव की टेंशन लगातार बनी हुई है.दरअसल,हाल ही में समाजवादी पार्टी ने इस सीट से सपा प्रमुख अखिलेश यादव के भतीजे तेज प्रताप यादव को उम्मीदवार बनाया था।
लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ऐसा माना जा रहा कि,कन्नौज सीट से सपा अब अपने उम्मीदवार को बदलकर अखिलेश यादव को उम्मीदवारी सौंप सकती है. सूत्रों की मानें तो अखिलेश यादव 25 अप्रैल को दोपहर करीब 12 बजे कन्नौज सीट से नामांकन कर सकते हैं.बता दें कि,सपा इससे पहले बदायूं, मेरठ, मुरादाबाद, मिश्रिख, गौतमबुद्ध नगर सीट से भी उम्मीदवार बदल चुकी है।
कन्नौज सीट पर चुनाव लड़ने पर अखिलेश ने दिया बयान
कन्नौज सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने की अटकलों पर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि,जब नॉमिनेशन होगा तब पता चलेगा,सवाल कन्नौज की ऐतिहासिक जीत का है.जनता ने मन बना लिया है कि,INDIA गठबंधन भविष्य बनकर आ रहा है और बीजेपी इस चुनाव में इतिहास बन जाएगी।
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सुब्रत पाठक ने अखिलेश यादव को बताया कन्फ्यूज नेता
कन्नौज से बीजेपी कैंडिडेट सुब्रत पाठक ने सपा द्वारा इस सीट से उम्मीदवार बदलने को लेकर कहा कि,अखिलेश यादव बड़े कन्फ्यूज नेता हैं.कई लोगों को टिकट देकर उनका टिकट काट दिया है.हालांकि अगर अखिलेश यादव कन्नौज से चुनाव लड़ेंगे तो कम से कम एक बराबरी की लड़ाई होगी क्योंकि हम कन्नौज के जन्मे लोग दूसरी मिट्टी के होते हैं,जब तक लड़ाई बराबरी की नहीं होती तब तक मजा नहीं आता है.बराबरी की लड़ाई तभी संभव है जब अखिलेश यादव चुनाव लड़ेंगे वरना कोई दूसरा चुनाव लड़ेगा तो उसकी जमानत जब्त हो जाएगी.अगर सपा का अस्तित्व बचाना है तो अखिलेश यादव को चुनाव लड़ने आना ही होगा।
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क्यों कटा तेज प्रताप यादव का टिकट?
दरअसल,समाजवादी पार्टी ने कन्नौज लोकसभा सीट से पहले अखिलेश यादव के भतीजे तेज प्रताप यादव को अपना उम्मीदवार घोषित किया था लेकिन उनकी उम्मीदवारी घोषित होने के बाद से ही सपा की लोकल यूनिट इस फैसले के विरोध में उतर आई.इसके बाद कन्नौज के सपा नेताओं का एक डेलिगेशन पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव से मिलने लखनऊ पहुंच गया।
जहां सपा नेताओं के डेलिगेशन ने अखिलेश को कार्यकर्ताओं की नाखुशी से अवगत कराया और ये मांग दोहराई कि इस बार के चुनाव में वो खुद उतरें लोकल लेवल पर सपा के कार्यकर्ता तेज प्रताप की उम्मीदवारी पर नाखुशी जताते हुए ये भी तर्क दे रहे थे कि,बड़ी आबादी ने तेजप्रताप का नाम तक नहीं सुना है।
यादव परिवार का रहा है पुराना इतिहास
बता दें कि,कन्नौज सीट पर मुलायम सिंह यादव परिवार का लंबे समय तक दबदबा रहा है.इस सीट पर मुलायम सिंह यादव,अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव सांसद भी रह चुकी हैं.कन्नौज लोकसभा सीट साल 1999 से लेकर 2014 तक यादव परिवार के कब्जे में रही है.हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार सुब्रत पाठक ने डिंपल यादव को यहां से हरा दिया था।
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