दिल्ली में अधिकारों की जंग को लेकर लंबे समय से केंद्र और केजरीवाल सरकार में ठनी हुई है जिसे लेकर सीएम अरविंद केजरीवाल ने देशभर में विपक्षी दलों से मुलाकात कर इसी बिल के खिलाफ समर्थन देने की मांग भी की थी वहीआपको बता दें इस बिल में विधानसभा और सरकार के कामकाज के लिए एक रूपरेखा प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (GNCTD) अधिनियम, 1991 लागू है हालाकि 2021 में केंद्र सरकार ने इसमें संशोधन किया था
आपको बता दें GNCTD अधिनियम में किए गए संशोधन में कहा गया था, राज्य की विधानसभा द्वारा बनाए गए किसी भी कानून में सरकार का मतलब उपराज्यपाल होगा इसी वाक्य पर मूल रूप से दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार को आपत्ति थी इसी को आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी वही केजरीवाल की याचिका पर मई में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया जिसमें विधायी शक्तियों के बाहर के क्षेत्रों को छोड़कर सेवाओं और प्रशासन से जुड़े सभी अधिकार चुनी हुई सरकार के पास होंगे हालांकि, पुलिस, पब्लिक आर्डर और लैंड का अधिकार केंद्र के पास ही रहेगा
अब ये मामला तूल पकड़ता हुआ नज़र आ रहा है जिसमें केंद्र सरकार ने इसे कानून बनाने के लिए चल रहे मानसून सत्र के लोकसभा में अध्यादेश को पूर्ण बहुमत के साथ पारित करा दिया
वही लोकसभा के बाद राज्यसभा ने भी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 को पास कर दिया है.वही आपको बता दें अध्यादेश जब लोकसभा में पारित होने के बाद कहा जा रहा था कि राज्यसभा में अध्यादेश पारित होना मुश्किल हो सकता पर राज्यसभा में वोटिंग मशीन में खराबी के बाद वोटिंग स्लिप की मदद से विधेयक पर मतदान कराया गया. राज्यसभा में यह बिल 102 (ना) वोटों के मुकाबले 131 (हां) वोटों से पास हुआ वही अब भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हस्ताक्षर और भारत सरकार के गजट में प्रकाशन के बाद यह विधेयक आधिकारिक रूप से कानून बन जाएगा वही इस विधेयक को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा के पटल पर रखा था
सदन में क्या हुआ?
राज्यसभा में विधेयक का बचाव करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित किसी भी फैसले का उल्लंघन नहीं करता है.इस बिल का उद्देश्य दिल्ली में सुचारू रूप से भ्रष्टाचार मुक्त शासन हो. बिल के एक भी प्रावधान से, पहले जो व्यवस्था थी, उस व्यवस्था में एक इंच मात्र भी परिवर्तन नहीं हो रहा है.दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) सरकार पर तंज कसते हुए अमित शाह ने कहा, “कई बार केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी तो दिल्ली में बीजेपी की सरकार थी, कई बार केंद्र में बीजेपी की सरकार थी तो दिल्ली में कांग्रेस की, उस समय ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर कभी झगड़ा नहीं हुआ. उस समय इसी व्यवस्था से निर्णय होते थे और किसी मुख्यमंत्री को दिक्कत नहीं हुई… कई सदस्यों द्वारा बताया गया कि केंद्र को शक्ति हाथ में लेनी है. हमें शक्ति लेने की जरूरत नहीं क्योंकि 130 करोड़ की जनता ने हमें शक्ति दी हुई है”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि AAP सरकार ने शराब घोटाले में एजेंसी द्वारा की जा रही जांच से खुद को बचाने के लिए सतर्कता विभाग में अधिकारियों का तबादला कर दिया. शाह ने कहा, “सतर्कता विभाग को लेकर दिल्ली सरकार ने इतनी जल्दबाजी इसलिए दिखाई क्योंकि उसके पास ‘आबकारी नीति घोटाले’ और ‘शीश-महल’ से जुड़ी फाइलें थीं.
आपको बता दें जब ये अध्यादेश कानुन बनने के लिए लोकसभा और राज्यसभा से पारित हुआ तब से आम आदिम पार्टी के तामाम नेता बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा कि बीजेपी दिल्ली के लोगों का हक छीन लिया है साथ ही कहा हम पाकिस्तान को देखते थे और कहते थे कि ये कैसा देश है जहां कोई लोकतंत्र नही है और बिना सहमति के कोई भी बिल पास कर दिया जाता है आज पीएम मोदी ने भारत की स्थिति पाकिस्तान से भी बदत्तर कर दी है यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है हम और दिल्ली के लोग बीजेपी के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगें