Kakori Kaand: भारत देश इस साल अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। लेकिन आज आजादी का जश्न मना रहे लोगों को यह नहीं पता होगा कि आखिर आजादी कैसे मिली । देश को आजाद कराने में बहुत से लोगों का योगदान रहा है। जिसे स्वतंत्रता दिवस के दिन हम सब याद करते है। देश के 75 वर्ष पूरे होने पर पूरे देश में स्वतंत्रता सप्ताह मनाया जा रहा है। वहीं यूपी में हर घर तिरंगा अभियान शुरु किया गया है। इस आजादी के लिए ब्रिटिश हुकूमत से लड़ते हुए हजारों क्रांतिकारियों ने अपने प्राण गवां दिए। उन्हीं क्रांतिकारियों के चलते आज पूरा देश स्वतंत्रता दिवस धूमधाम से मना रहा है।
देश के इतिहास में कई ऐसी घटनाएं हुई है, जिनके बारें में कुछ लोगों को नहीं पता है। तो चलिए आज हम आपको ठीक 97 वर्ष पूर्व 9 अगस्त 1925 के दिन हुई एक घटना के बारें में बताते हैं। इतिहास के पन्नों में इस घटना को काकोरी कांड के नाम से जाना जाता है।
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क्या हुआ था उस दिन ?
दरअसल, 9 अगस्त, 1925 को शाहजहांपुर से लखनऊ आ रही ट्रेन में सरकारी खजाने को काकोरी में हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन के क्रांतिकारियों ने लूटा था। यह कांड काकोरी काण्ड के नाम से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के ईतिहास मे प्रसिद्ध है। क्रान्तिकारियों द्वारा ब्रिटिश राज के विरुद्ध भयंकर युद्ध छेड़ने की खतरनाक मंशा से हथियार खरीदने के लिये ब्रिटिश सरकार का ही खजाना लूट लेने के लिए पूरी योजना बनाई गयी वह स्वतंत्रता संग्राम का तब तक का सबसे दुस्साहसी कारनामा था जिससे अंग्रेज सरकार सकते में आ गई थी।
इस घटना को अंजाम देने वालों में राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्लाह खान, राजेंद्र लाहिड़ी, केशव चक्रवर्ती, मुकुंदी लाल, बनवारी लाल सहित 10 क्रांतिकारी शामिल थे।
सरकारी खजाने को लूटा
लखनऊ से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित काकोरी में राष्ट्रनायकों ने उस ट्रेन को रोक कर और सरकारी खजाने को लूट लिया था। उस दौरान ब्रिटिशन खजाने से करीब 8000 हजार रुपये निकालने की योजना बनाई गई थी। लेकिन 4 हजार रुपये ही निकाले जा सके थे। अंग्रेजों ने इसे डकैती का नाम दिया। काकोरी ट्रेन एक्शन के बाद गुस्सााए अंग्रेजों ने तलाशी अभियान के जरिए हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन के 40 क्रांतिकारियों पर डकैती और हत्या का मामला दर्ज किया। पूरी घटना के दौरान दुर्भाग्यवश एक यात्री को गोली लग गई थी।
इस घटना में राष्ट्रनायकों को दोषी मानते हुए राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्लाह खान, रोशन सिंह और राजेंद्र लाहिड़ी को फांसी की सजा सुनाई गई। वहीं कुछ को सजा-ए-काला पानी की सजा दी गई तो कुछ को 4 से 14 साल तक की कैद की सजा सुनाई गई।
काकोरी ट्रेन एक्शन
इतिहासकारों का मानना है कि अंग्रेजों ने उस घटना में शामिल क्रांतिकारियों को चोर-लुटेरा बुलाया, जबकि ये कोई डकैती नहीं थी। इस घटना का मकसद भारत पर कब्जा करने वाले अंग्रेजों को कमजोर करना था न कि उनका कोई व्यक्तिगत लाभ। यही वजह है कि अब इस घटना को काकोरी ट्रेन एक्शन नाम से जाना जाने लगा है।