Naimisharanya: यूपी के सीतापुर में आज से नैमिषारण्य की 84 कोसीय परिक्रमा प्रारंभ हो गई है. परिक्रमा अपने पहले पड़ाव कुरौना के लिए निकली। जहां पर श्रद्धालु भगवान द्वारकाधीश के दर्शन करेंगे। परिक्रमा में अनेकों दिव्य संत महात्माओं सहित लाखों श्रद्धालु शामिल हुए श्रद्धालु प्रातः 4 से सीताराम का जय घोष करते हुए अपने गंतव्य की तरफ रवाना हुए. इस दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा में सात जनपदों की पुलिस फोर्स सहित पीएसी बल की तैनाती रही.
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त्रेता युग से निरंतर होती आ रही कोसीय परिक्रमा
आपको बता दें कि नैमिषारण्य की 84 कोसीय परिक्रमा त्रेता युग से निरंतर होती चली आ रही है। फाल्गुन की प्रतिपदा से शुरू हुई ये परिक्रमा होलिका दहन के दिन विश्राम लेती है. भगवान श्री राम ने रावण वध के बाद अपने समस्त दल के साथ नैमिषारण्य की 84 कोसीय परिक्रमा की थी. तब से इस परिक्रमा को रामादल के नाम से जाना जाता है। आपको बता दें कि धरती पर जितने भी तीर्थ हैं, देवी देवता हैं. वह नैमिषारण्य के 84 कोसीय मंडल में विराजमान है. इन्ही तीर्थ देवताओं का दर्शन करने के लिए श्रद्धालु 84 कोसी परिक्रमा करते हैं. इस परिक्रमा का महत्व महाभारत से लेकर बाल्मीकि रामायण तक में मिलता है. बताया जाता है की जो मनुष्य नैमिषारण्य की 84 कोसीय परिक्रमा करते हैं उन्हें 84 लाख योनियों में नहीं भटकना पड़ता है.
भारी पुलिस फोर्स व पीएसी बल तैनात
सीतापुर के नैमिषारण्य तीर्थ से शुरू होकर यह 84 कोसीय परिक्रमा 11 पडावों पर विश्राम करते हुए मिश्रिख तीर्थ पहुंचती है. यहां पर श्रद्धालु ऋषि दाधीच जी का दर्शन वी दधीच कुंड में स्नान कर 5 दिन तक मिश्रिख तीर्थ की पंचकोशीय परिक्रमा करते हैं। 84 कोसीय परिक्रमा का एक कारण ऋषि दाधीच जी से जुड़ा हुआ बताया जाता है।योगी सरकार ने नैमिषारण्य की 84 कोसीय परिक्रमा में श्रद्धालुओं की सुविधाओं व सुरक्षा व्यवस्था के लिए जिला प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दिए हैं. जिला प्रशासन ने श्रद्धालुओं की हर सुविधा को ध्यान में रखते हुए मोबाइल एम्बुलेंस मोबाइल टॉयलेट पेयजल आवासीय सुविधा जैसी तमाम सुविधाओं की बेहतर व्यवस्था की है श्रद्धालुओं की सुरक्षा में सात जनपदों की भारी पुलिस फोर्स व पीएसी बल को तैनात किया गया है।
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