Shravan Sahu Murder Case: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के चर्चित श्रवण साहू हत्याकांड (Shravan Sahu Murder Case) में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने गुरूवार को एक अहम फैसला सुनाया है। स्पेशल कोर्ट ने श्रवण साहू हत्याकांड के आठ दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुना दी है। सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने इस मामले में अकील अंसारी, सत्यम पटेल, अमन सिंह, विवेक वर्मा, बाबू ख़ान, फैसल, अजय पटेल, रोहित मिश्रा को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनायी है। उल्लेखनीय है कि एक फरवरी 2017 को श्रवण साहू की ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर हत्या कर दी गयी थी। इस मामले में पहले उनके बेटे की हत्या कर दी गयी थी। बेटे की पैरवी के दौरान ही पिता श्रवण साहू की भी हत्या हो गयी थी।
क्या था मामला
यह मामला आज से 7 साल पुराना है। श्रवण साहू की सहादतगंज कोतवाली से चंद कदम की दूरी पर स्थित 1 फरवरी 2017 को उनके घर पर शूटरों ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर मौत के घाट उतार दिया था। इससे पहले श्रवण के बेटे आयुष की 16 अक्टूबर 2013 को ठाकुरगंज के कैंपबेल रोड पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्या के आरोपित अकील ने पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर यह साजिश रची थी और उल्टा श्रवण साहू के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई। मामले को संगीन दिखने के लिए पुलिसकर्मियों ने चार युवकों को फर्जी मामले में गिरफ्तार किया था।
इस मामले की असलियत सामने आने पर तत्कालीन स्वाट प्रभारी दारोगा धीरेंद्र शुक्ला, पारा थाने के कांस्टेबल धीरेंद्र यादव और अनिल बर्खास्त हुए थे और 14 पुलिस कर्मियों के खिलाफ ठाकुरगंज, पारा और हसनगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज की गई थी। इसी बीच एक फरवरी 2017 को श्रवण साहू की भी हत्या करा दी गई।
2017 में गिरफ्तार हुआ मास्टरमाइंड
दरअसल में दो साल पहले राजधानी लखनऊ के सआदतगंज के जाने-माने तेल व्यापारी श्रवण साहू हत्याकांड से पहले उन्हें फंसाने के मामले में बर्खास्त किए गए दारोगा धीरेंद्र शुक्ला को गिरफ्तार कर लिया गया था। 10 जनवरी 2017 को श्रवण साहू हत्याकांड के मास्टरमाइंड जेल में बंद अपराधी अकील ने पारा और क्राइम ब्रांच की मदद से श्रवण साहू को फंसाने के लिए चार निर्दोष लड़कों कामरान, अफजल, तमीम व अनवर को गिरफ्तार कराकर जेल भिजवाया था।
इस बात की जानकारी होने पर 19 जनवरी 2017 को धीरेंद्र शुक्ला समेत 14 पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआइआर हुई थी। इस मामले में एसएसपी कलानिधि नैथानी ने बर्खास्त पुलिसकर्मियों पर 15-15 हजार के इनाम की घोषणा भी की थी। आखिरकार इतने साल बाद इस मामले पर कोर्ट का फैसला आ गया। मगर अफ़सोस इतने लम्बे समय के बाद अब जाकर इंसाफ मिल सका।