UP News: उत्तर प्रदेश की 69000 शिक्षक भर्ती (Teacher Recruitment) को लेकर हाल ही में हाईकोर्ट के आए फैसले के बाद नियुक्ति की मांग को लेकर अभ्यर्थियों ने एक बार फिर से प्रदर्शन तेज कर दिया है। हाईकोर्ट की डबल बेंच द्वारा मूल चयन सूची को रद्द किए जाने के बाद अभ्यर्थियों में नाराजगी फैल गई है। इसके चलते प्रदेशभर में धरना-प्रदर्शन शुरू हो गए हैं, जहां चयनित अभ्यर्थी जल्द नियुक्ति पत्र देने की मांग कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट में 9 सितंबर को होगी सुनवाई
शिक्षक भर्ती के चयनित अभ्यर्थियों ने सेवा सुरक्षा और आरक्षण नियमों से जुड़ी समस्याओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। रवि सक्सेना सहित अन्य चयनित अभ्यर्थियों ने इस मुद्दे पर याचिका दाखिल की थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट में 9 सितंबर को सुनवाई होगी। इस महत्वपूर्ण सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ इस मामले पर विचार करेगी। सामान्य वर्ग के एक अभ्यर्थी ने बताया कि इसी प्रकरण से संबंधित कई याचिकाएं दायर की गई हैं और उन्हें उम्मीद है कि 9 सितंबर को सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई होगी। इस दौरान आरक्षण से जुड़े मुद्दे पर भी चर्चा होने की संभावना है। अभ्यर्थी लंबे समय से इस मामले का समाधान चाहते हैं और कोर्ट के फैसले को लेकर आशान्वित हैं।
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सीएम से मुलाकात की संभावना
भर्ती के इस मामले में अभ्यर्थियों का संघर्ष लगातार जारी है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद से कई अभ्यर्थी सरकार से त्वरित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इसी सिलसिले में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री ओम प्रकाश राजभर के आवास का घेराव भी किया था। इसके बाद मंत्री ने अभ्यर्थियों से मुलाकात कर उनकी समस्याओं को सुना और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कराने का आश्वासन दिया।
खबरों के अनुसार, अभ्यर्थियों का एक प्रतिनिधिमंडल 7 सितंबर को मुख्यमंत्री से मुलाकात कर सकता है। इसके लिए पांच अभ्यर्थियों के नाम पहले ही मांगे गए हैं, जो मुख्यमंत्री से वार्ता करेंगे और अपनी समस्याएं रखेंगे। अभ्यर्थियों का कहना है कि वे जल्द से जल्द नियुक्ति पत्र चाहते हैं और कोर्ट के आदेश का पालन हो, जिससे उनकी लंबी प्रतीक्षा समाप्त हो सके।
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क्या है पूरा मामला?
69000 शिक्षक भर्ती का मामला अब न्यायालय के दरवाजे पर है। हाईकोर्ट की डबल बेंच ने हाल ही में इस भर्ती की मूल चयन सूची को रद्द कर दिया था और सरकार को तीन महीने के भीतर नई सूची जारी करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने आदेश दिया था कि आरक्षण नियमों का सही तरीके से पालन किया जाए और कोई भी वर्ग वंचित न रहे।
अभ्यर्थियों का प्रदर्शन इसी आदेश को लेकर है, जहां वे मांग कर रहे हैं कि उन्हें जल्द से जल्द नियुक्ति पत्र दिए जाएं। अभ्यर्थियों का कहना है कि जब कोर्ट का आदेश आ चुका है, तो अब सरकार को जल्द से जल्द इसकी प्रक्रिया पूरी करनी चाहिए। हालांकि, सरकार की ओर से अभी तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे अभ्यर्थियों का धैर्य टूट रहा है और प्रदर्शन की चिंगारी और भी भड़क रही है।
सरकार और कोर्ट के सामने बड़ी चुनौती
69000 शिक्षक भर्ती का मामला यूपी सरकार और न्यायपालिका दोनों के लिए चुनौती बनता जा रहा है। एक ओर अभ्यर्थियों का दबाव है कि उन्हें जल्द से जल्द नियुक्ति पत्र दिया जाए, वहीं दूसरी ओर न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए सरकार को संतुलन बनाए रखना है। यह मामला न केवल रोजगार से जुड़े एक महत्वपूर्ण मुद्दे को दर्शाता है, बल्कि इसमें आरक्षण और सामाजिक न्याय से जुड़े प्रश्न भी उभरकर सामने आ रहे हैं। अब देखना होगा कि 9 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला सुनाता है और इसके बाद सरकार इस मुद्दे को कैसे संभालती है।