Kota: मेडिकल और इंजीनियरिंग कोचिंग के लिए जाने जाने वाले राजस्थान के कोटा में छात्रों की आत्महत्या का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. आखिर इसके पीछे कौन है जिम्मेदार? कोटा अब मेडिकल और इंजीनियरिंग कोचिंग के लिए नही फेमस रह गया, बल्कि छात्रों के सुसाइड के लिए बदनाम हो गया है. इस साल के शुरुआत में 25 दिनों के अंदर 4 छात्र सुसाइड कर चुके है. एक छात्र लापता भी है.
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इसके पीछे की वजह क्या है?
हर बच्चे के घर वाले बच्चों के भविष्य के लिए उन्हें खुद से दूर पढ़ाई करने के लिए भेजते है,जिससे की अंत में उनके बच्चे किसी बढ़िया मुकाम पर हो. लेकिन जो छात्र सुसाइड कर लेते है, उनके माता पिता को क्या ही पता होता है कि अंत इतना खराब होगा कि उनको जीवनभर के दुख दे जाएगा. पढ़ाई के तनाव में आकर बच्चे इस तरह से अपनी जान दे रहे है कि ये सोचने पर मजबूर करने वाली बात है कि आखिर इसके पीछे की वजह क्या है? छात्रों के दिमाग में क्या चलता है, यह सभी सवाल कई सालों से सवाल ही बने हुए हैं. लेकिन अभी तक इसका जवाब नहीं मिल सका.
एक छात्र लापता…
आपको बता दे कि ताजा मामला मंगलवार का है. जहां पर कोटा के जवाहर नगर थाना क्षेत्र में कोचिंग छात्र पंखे से लटक कर सुसाइड कर लिया. आज छात्र के परिजन छत्तीसगढ़ से कोटा पहुंचेंगे उसके बाद छात्र के शव का पोस्टमार्टम किया जाएगा.वही दूसरा छात्र इंजीनियरिंग की कोचिंग कर रहा रचित रविवार की दोपहार से ही लापता है, जिसकी सूचना पुलिस को दी गई. उसकी आखिरी लोकेशन गडरिया महादेव चंबल नदी के पास मिली है. रचित के परिजन भी प्रशासन के साथ तलाश कर रहे हैं. नदी के पास रचित का बैग और मोबाइल फोन मिला है, बैग के पास ही रस्सी और एक चाकू भी परिजनों को मिला है. पुलिस लगातार नदी में गोताखोरों से तलाश करवा रही है.
पंखे में हैंगिंग डिवाइस नहीं लगी..
इसके अलावा एक शुभम नाम का छात्र है जिसने फंदा लगाकर खुदकुशी की थी. बता दे कि उस कमरे के पंखे में हैंगिंग डिवाइस लगी हुई नहीं थी.जिला प्रशासन के तरफ से कोटा के सभी हॉस्टल संचालकों को उनके कमरों के पंखों में हैंगिंग डिवाइस लगाने के सख्त निर्देश दिए हुए हैं. उसके बाद भी ये लापरवाही हुई और आदेशों का पालन नहीं किया गया है. हाल ही में राजीव गांधी नगर स्थित एक हॉस्टल को इस आधार पर सीज भी किया गया था. शुभम के वार्डन ने बताया था कि शुभम का जेईई का रिजल्ट आने वाला था, इसलिए उसने रात को खाना भी नहीं खाया था.
अगर पंखे में एंटी सुसाइड डिवाइस होता तो शायद शुभम को सुसाइड जैसा कदम उठाने के लिए जगह ही ना मिलती और सुबह तक हो सकता था परिस्थितियों बदल जाती. लेकिन प्रशासन की गाइडलाइन को ना तो प्रशासन फॉलो करवा पा रहा है और ना ही हॉस्टल संचालक फॉलो कर रहे हैं. इसी साल में अभी तक जो सुसाइड केस हुए हैं. तीन छात्रों के हॉस्टल के कमरे में पंखे से लटक कर अपनी जान दे दी है. तीनों हॉस्टल में यह डिवाइस नहीं लगा हुआ था.
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