Manipur Police Attack: मणिपुर (Manipur) में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. जिरीबाम जिले में अज्ञात हथियारबंद बदमाशों ने सीआरपीएफ (CRPF) और स्टेट पुलिस (State Police) की संयुक्त टीम पर हमला कर दिया है. इस हमले के दौरान केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) का एक जवान शहीद हो गया है और पुलिस के कमांडो घायल हो गए है. बता दे कि बदमाशों ने ये हमला आज तकरीबन 9 बजकर 40 मिनट पर किया.
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1 जवान शहीद और तीन पुलिसकर्मी घायल
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि हमले में जिस जवान की मौत हुई है, वो सीआरपीएफ का हिस्सा था. वहीं, जिरीबाम पुलिस स्टेशन के सब-इंस्पेक्टर (SI) सहित राज्य के तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए. शहीद होने वाले सीआरपीएफ जवान की पहचान बिहार के रहने वाले अजय कुमार झा (43) के रूप में हुई है.
पुलिस द्वारा तलाशी अभियान जारी
बताते चले कि मणिपुर (Manipur) पुलिस के अधिकारियों के अनुसार, असम की सीमा से सम्बंधित इस क्षेत्र में संदिग्ध उग्रवादियों ने भारी गोलीबारी की. उस समय, सीआरपीएफ का जवान गश्ती एसयूवी के साथ था, जब उन्हें संदिग्ध उग्रवादियों ने हमला किया. पुलिस अधिकारी ने बताया कि उन्होंने जवाबी कार्रवाई की, जिसके बाद उग्रवादी जंगल में भाग गए. वर्तमान में, पुलिस द्वारा तलाशी अभियान जारी है और जगह-जगह पर सुरक्षा बढ़ा दी घई.
सीएम एन बीरेन सिंह की प्रतिक्रिया
आपको बता दे कि इस हमले को लेकर मणिपुर (Manipur) के मुख्यमंत्री एन वीरेन सिंह ने एक्स पर पोस्ट किया है. उन्होंने कहा कि मैं आज जिरीबाम जिले में कुकी उग्रवादियों के संदिग्ध एक सशस्त्र समूह द्वारा किए गए हमले में सीआरपीएफ के एक जवान की हत्या की कड़ी निंदा करता हूं. उन्होंने आगे कहा कि कर्तव्य की राह पर उनका सर्वोच्च बलिदान बेकार नहीं जाएगा. इसी कड़ी में आगे सीएम ने कहा कि मैं मृतक जवान के शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं, साथ ही हमले के दौरान घायल हुए लोगों के जल्द से जल्द स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं.
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नहीं थम रही हिंसा
मणिपुर (Manipur) में पिछले कुछ समय से लगातार हिंसा बढ़ रही है, खासकर जिरीबाम जिले में. वहां कई जातियों और समुदायों के लोग रहते हैं, जिनमें मेइती, मुस्लिम, नागा, कुकी और अन्य समुदाय शामिल हैं. पिछले साल से मई माह से जारी हिंसा ने इस क्षेत्र को प्रभावित किया है, जिसमें अनेक लोगों की मौत हुई और हजारों लोग बेघर हो गए. इस स्थिति के समाधान के लिए सरकारी और समुदायिक स्तर पर कड़ी कार्रवाई की जरूरत है, ताकि सुरक्षा और सद्भावना के माहौल को मजबूती से बढ़ाया जा सके.
पिछले साल भी हुई थी हिंसा
इससे पहले पिछले साल 3 मई को मेइतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के बाद भड़की जातीय हिंसा के बाद से मणिपुर में 180 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं. मणिपुर (Manipur) की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और मुख्य रूप से पहाड़ी जिलों में रहते हैं.
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