हॉलीवुड (Hollywood) और अंतरराष्ट्रीय सिनेमा के सबसे प्रतिष्ठित और अनूठे निर्देशकों में से एक डेविड लिंच का 78 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनका निधन सिनेमा की दुनिया के लिए एक अपूरणीय क्षति है। लिंच को उनकी फिल्मों और टेलीविजन शोज़, जैसे ‘मुलहोलैंड ड्राइव’ (Mulholland Drive) और ‘ट्विन पीक्स’ (Twin Peaks) के लिए जाना जाता है, जो अपनी अनोखी कहानी, जटिल चरित्रों और विज़ुअल शैली के लिए प्रसिद्ध हैं।
डेविड लिंच का जन्म 20 जनवरी, 1946 को मिसौला, मोंटाना, संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ था। उनके पिता, डॉ. गॉर्डन लिंच, एक वैज्ञानिक थे और उनकी माँ, एवलीन, एक शिक्षक थी। बचपन से ही लिंच का रुझान कला की ओर था, और विशेष रूप से चित्रकला और फिल्म-making में उनकी गहरी रुचि थी। उन्होंने अपनी शिक्षा पेंसिलवेनिया विश्वविद्यालय से की और बाद में फिलाडेल्फिया कॉलेज ऑफ आर्ट्स से कला की डिग्री प्राप्त की।
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लिंच का सिनेमाई सफर बहुत ही दिलचस्प और अनोखा रहा। उनकी फिल्मों ने दर्शकों को हमेशा चुनौती दी और सोची-समझी, रहस्यमयी और कभी-कभी अव्यक्त दुनिया में खींच लिया। उनका सिनेमाई दृष्टिकोण हमेशा प्रयोगात्मक और सहज था, और उन्होंने फिल्मों में वास्तविकता और काल्पनिकता के बीच की सीमाओं को धुंधला किया।

टेलीविज़न की दुनिया में एतिहासिक योगदान
डेविड लिंच को व्यापक पहचान टेलीविज़न शो ‘ट्विन पीक्स’ से मिली, जिसे उन्होंने 1990 में रचनात्मक रूप से निर्देशित किया। यह शो रहस्यमय थ्रिलर के रूप में प्रसिद्ध हुआ और इसका प्रभाव सिनेमा और टेलीविज़न दोनों पर पड़ा। ‘ट्विन पीक्स’ का सेटिंग एक छोटे से अमेरिकी शहर में होती है, जहाँ एक हाई स्कूल की छात्रा, लौरा पाल्मर की हत्या हो जाती है। इस शो की सबसे खास बात यह थी कि यह एक आम अपराध कहानी से कहीं ज्यादा था, इसमें लिंच ने रहस्य, मनोविज्ञान और डर को बड़े ही गहरे तरीके से एकजुट किया।’ट्विन पीक्स’ का पहला सीज़न समीक्षकों द्वारा सराहा गया, लेकिन दूसरे सीज़न के अंत में शो को बंद कर दिया गया। फिर भी, इसने टेलीविज़न के इतिहास में एक नया मुकाम स्थापित किया। इसके बाद, 2017 में लिंच ने ‘ट्विन पीक्स’ का तीसरा सीज़न पेश किया, जिसने पुराने प्रशंसकों और नए दर्शकों दोनों को प्रभावित किया।

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‘मुलहोलैंड ड्राइव’
डेविड लिंच की फिल्म ‘मुलहोलैंड ड्राइव’ 2001 में रिलीज़ हुई थी, जो उनके करियर की सबसे प्रसिद्ध और सराही जाने वाली फिल्मों में से एक मानी जाती है। यह फिल्म अपनी जटिल कहानी, विस्मयकारी सिनेमाटोग्राफी और असामान्य पात्रों के लिए जानी जाती है। फिल्म की कहानी एक महिला के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक कार दुर्घटना में बुरी तरह से घायल होती है और उसकी याददाश्त चली जाती है। वह लॉस एंजेलिस में एक अभिनेत्री बनने के सपने को पूरा करने की कोशिश करती है, जबकि उसके सामने धीरे-धीरे एक रहस्यमय और भूतिया दुनिया का खुलासा होता है।’मुलहोलैंड ड्राइव’ में लिंच ने अपनी असामान्य और असंबद्ध कहानी कहने की शैली को और भी परिष्कृत किया, जो दर्शकों को एक गहरे मानसिक और भावनात्मक अनुभव से गुजरने के लिए मजबूर करती है। फिल्म को उसकी जटिलता, प्रतीकों और दृश्यात्मकता के लिए बहुत सराहा गया और इसे कान फिल्म महोत्सव में एक महत्वपूर्ण पुरस्कार भी प्राप्त हुआ।

सिनमा को लेकर दृष्टिकोण
डेविड लिंच का सिनेमाई दृष्टिकोण एकदम अलग और अनोखा था। उनकी फिल्मों और शोज़ में एक विशिष्ट तनाव और रहस्य हमेशा देखने को मिलता है। उनका एक आदर्श था, “दुनिया को समझने के लिए आपको उसे महसूस करने की आवश्यकता है,” और यही दर्शन उनके काम में साफ झलकता था। लिंच ने अपनी फिल्मों में अक्सर सपनों, मानसिक अवस्थाओं और अजीब घटनाओं का इस्तेमाल किया, जो हमेशा एक गहरी अर्थव्यवस्था के साथ जुड़ी होती थीं। उनका सबसे बड़ा योगदान यह था कि उन्होंने दर्शकों को सिनेमा की उस शैली से परिचित कराया, जिसमें दर्शक न केवल एक कहानी देख रहे होते हैं, बल्कि वह कहानी उन पर एक गहरी मानसिक छाप छोड़ जाती है।
डेविड की विरासत हमेशा जीवित

डेविड लिंच की विरासत सिनेमा, टेलीविज़न, और कला की दुनिया में हमेशा जीवित रहेगी। उनके द्वारा स्थापित की गई अनोखी शैली, जिसमें मनोविज्ञान, रहस्य, डर और कला का मेल होता था, आने वाली पीढ़ियों के फिल्मकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी। लिंच ने यह सिद्ध कर दिया कि सिनेमा सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं है, बल्कि यह एक गहरी और जटिल कला हो सकती है, जो दर्शकों के मन, आत्मा और चेतना को छू सकती है।हालाँकि डेविड लिंच अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी फिल्में और टेलीविज़न शोज़ हमेशा हमारे साथ रहेंगे।
उनकी रचनाएँ एक अमिट छाप छोड़ गई हैं और उनका योगदान सिनेमा की दुनिया में हमेशा याद किया जाएगा। ‘मुलहोलैंड ड्राइव’, ‘ट्विन पीक्स’, ‘एंजल्स’ और उनकी अन्य रचनाएँ भविष्य में भी उनके अद्वितीय दृष्टिकोण को जीवित रखेंगी।डेविड लिंच के निधन से सिनेमा की दुनिया में एक अद्वितीय और अप्रतिम आवाज़ की कमी महसूस होगी, लेकिन उनका कार्य और कला हमेशा आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक रहेगी। उनकी फिल्मों के माध्यम से उन्होंने दर्शकों को एक नई दृष्टि दी, और उनके काम ने सिनेमा के आदर्शों को हमेशा चुनौती दी।