मेटा इंडिया ने 15 जनवरी को एक माफी जारी की। मार्क जुकरबर्ग की विवादास्पद टिप्पणी के बाद, मेटा ने यह स्पष्ट किया कि उनका बयान “अनजाने में हुई गलती” था। मेटा ने आगे यह भी कहा कि भारत के लिए कंपनी के वैश्विक संचालन में महत्वपूर्ण स्थान है और उसने इस बयान को लेकर खेद व्यक्त किया। इस बयान के बाद, भारत सरकार के सत्ता से बाहर होने से संबंधित राजनीतिक बहस ने जोर पकड़ा।यह घटना एक उदाहरण है कि कैसे वैश्विक कंपनियों के नेताओं की टिप्पणियाँ कभी-कभी राजनीति और राष्ट्रीय मुद्दों से जुड़ी संवेदनाओं को प्रभावित कर सकती हैं।
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विवाद पर जुकरबर्ग ने दिया बयान
मार्क जुकरबर्ग की टिप्पणी से विवाद इस कारण छिड़ा क्योंकि उनकी बात ने भारतीय राजनीति और आगामी 2024 के चुनावों को लेकर संवेदनशील मुद्दों को छेड़ दिया। जुकरबर्ग ने कथित रूप से एक टिप्पणी की थी, जिसमें उन्होंने भारत सरकार के सत्ता से बाहर होने के संदर्भ में कुछ कहा था, जो राजनीतिक हलकों में विवाद का कारण बन गया।
यह बयान भारत में राजनीतिक दृष्टिकोण से बहुत विवादास्पद था, क्योंकि इसमें सरकार के खिलाफ किसी प्रकार की टिप्पणी या भविष्यवाणी की गई थी।इस विवाद के बाद मेटा इंडिया ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए माफी मांगी और यह स्पष्ट किया कि यह एक अनजाने में हुई गलती थी। कंपनी ने यह भी बताया कि भारत के लिए मेटा के वैश्विक संचालन में अत्यधिक महत्व है और वह इस मुद्दे को लेकर खेद महसूस करती है।
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“अनजाने में की गई गलती”
मार्क जुकरबर्ग के बयान पर मेटा की सार्वजनिक माफ़ी ने व्यापक ध्यान आकर्षित किया। जुकरबर्ग की विवादास्पद टिप्पणी के बाद, मेटा ने 15 जनवरी 2025 को एक सार्वजनिक माफ़ी जारी की। कंपनी ने स्पष्ट किया कि जुकरबर्ग का बयान “अनजाने में की गई गलती” था, और उनका उद्देश्य किसी भी प्रकार की राजनीतिक भावना को आहत करना नहीं था।
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मेटा का सकारात्मक योगदान
मेटा ने यह भी कहा कि…. भारत के लिए उनकी कंपनी के वैश्विक संचालन में अत्यधिक महत्व है और भारत में मेटा का योगदान हमेशा सकारात्मक रहा है। इसके अलावा, मेटा ने यह सुनिश्चित किया कि भविष्य में इस तरह की कोई गलतफहमी या विवाद न हो, इसके लिए कंपनी अतिरिक्त सावधानी बरतेगी।इस माफ़ी के बाद, जुकरबर्ग के बयान के कारण उठे राजनीतिक और सामाजिक विवाद में कमी आई, लेकिन यह घटना इस बात का उदाहरण बन गई कि किस प्रकार सार्वजनिक हस्तियाँ और कंपनियाँ अपनी टिप्पणियों के लिए ज़िम्मेदार होती हैं, विशेषकर जब बात राष्ट्रीय राजनीति और संवेदनाओं से जुड़ी होती है।