69000 Teacher Recruitment: 69000 शिक्षक भर्ती के मामले में योगी सरकार ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई। इस बैठक में निर्णय लिया गया कि सरकार हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं देगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, “69,000 शिक्षक भर्ती प्रकरण में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा आज माननीय न्यायालय के निर्णय के सभी तथ्यों से मुझे अवगत कराया गया। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के ऑब्जर्वेशन एवं माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ बेंच के निर्णय के आलोक में कार्यवाही करने के लिए विभाग को निर्देश दिए हैं।”
न्यायालय के आदेशों के अनुसार कार्यवाही
मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि संविधान द्वारा प्रदत्त आरक्षण का लाभ आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को ही मिलना चाहिए और किसी भी अभ्यर्थी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए। मुख्यमंत्री आवास पर हुई इस उच्च स्तरीय बैठक में बेसिक शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा न्याय विभाग के शीर्ष अधिकारी भी मौजूद रहे। बैठक में कोर्ट के आदेशों की विस्तृत समीक्षा की गई और नई मेरिट लिस्ट बनाने पर विचार-विमर्श हुआ।
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हाईकोर्ट का आदेश और नई चयन सूची
इससे पहले, हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने 69000 सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा-2019 की एक जून 2020 को जारी चयन सूची और 6800 अभ्यर्थियों की पांच जनवरी 2022 की चयन सूची को दरकिनार कर नई चयन सूची बनाने के आदेश दिए थे। न्यायालय ने सामान्य श्रेणी के लिए निर्धारित मेरिट में आने पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को सामान्य श्रेणी में ‘माइग्रेट’ करने का निर्णय भी दिया था। न्यायालय ने आदेश दिया कि ऊर्ध्वाधर आरक्षण का लाभ क्षैतिज आरक्षण को भी देना होगा। इसके साथ ही, न्यायालय ने 6800 अतिरिक्त अभ्यर्थियों की चयन सूची को खारिज करने के एकल पीठ के निर्णय में कोई हस्तक्षेप न करते हुए तीन माह में नई सूची जारी करने का निर्देश दिया है।
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सत्र का लाभ प्रभावित अभ्यर्थियों को मिलेगा
न्यायालय ने यह भी कहा है कि नई सूची तैयार करने के दौरान यदि वर्तमान में कार्यरत कोई अभ्यर्थी प्रभावित होता है तो उसे सत्र का लाभ दिया जाए ताकि छात्रों की पढ़ाई पर असर न पड़े। यह निर्णय न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने महेंद्र पाल व अन्य समेत 90 विशेष अपीलों पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया था। यह फैसला योगी सरकार का साहसिक कदम है। सुप्रीम कोर्ट में अपील न करने का निर्णय दिखाता है कि सरकार शिक्षा और आरक्षण के मामलों में पारदर्शिता और न्याय के प्रति प्रतिबद्ध है। उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए नई मेरिट लिस्ट बनाना एक सकारात्मक कदम है जो कि संविधान के आदर्शों को साकार करता है। सरकार के इस निर्णय से प्रभावित अभ्यर्थियों को न्याय मिलेगा और शिक्षा प्रणाली में सुधार होगा।