आज 14 नवंबर को विश्व डायबिटीज दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य डायबिटीज के प्रति जागरूकता बढ़ाना हैं। दुनिया भर में लाखों लोग डायबिटीज का शिकार होते हैं, जो एक बहुत ही आम क्रोनिक बीमारी है। इसके बावजूद, डायबिटीज को लेकर कई मिथक और गलत धारणाएँ हैं, जो हमारे अंदर भ्रम पैदा करती हैं और इलाज को प्रभावित करती हैं।
हालांकि, डायबिटीज को लेकर कई तरह के गलतफहमियां भी समाज में फैली हुई हैं, जो मरीजों के लिए नुकसानदायक हो सकती हैं। वैसे तो लोग जानते हैं कि, डायबिटीज केवल अधिक मीठा खाने से होता है मगर ये सोचना गलत हैं कि डायबिटिक लोग खास तरह की डाइट नहीं ले सकते। इन भ्रांतियों के कारण सही निदान और उपचार में कठिनाई होती है। वास्तव में, डायबिटीज एक लाइफस्टाइल बीमारी है, जो जेनेटिक्स और अन्य कई कारणों पर निर्भर करती है।
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क्या मीठा खाने से डायबिटीज होती हैं ?
एक सवाल हैं जो सबसे आम और प्रचलित मिथकों में से एक है कि ज्यादा मीठा खाने से डायबिटीज हो जाता है। मगर, यह पूरी तरह सच नहीं है। डायबिटीज एक ऑटोइम्यून बीमारी है जो अक्सर बचपन में शुरू होती है और इसका डाइट से कोई संबंध नहीं होता। दूसरी ओर, डायबिटीज कई कारकों से प्रभावित होती है, जिनमें लाइफस्टाइल, जेनेटिक्स और स्वास्थ्य संबंधी बिमारियां शामिल हैं। सिर्फ मीठे के सेवन से डायबिटीज नहीं होता है, बल्कि खराब खानपान और शारीरिक गतिविधियों की कमी जैसे कारक भी इसमें रोल निभाते हैं।
जीवनशैली और जेनेटिक्स
इसके कारको में उम्र, पारिवारिक इतिहास और जेनेटिक्स शामिल हैं। गलत लाइफस्टाइल के कारण जैसे मोटापा, खराब डाइट और इनएक्टिव लाइफस्टाइल, डायबिटीज के रिस्क को बढ़ा सकते हैं। लेकिन ये अकेले इसके कारण नहीं होते। डायबिटीज की रोकथाम और नियंत्रण के लिए सभी रिस्क फैक्टर्स को समझना बहुत जरूरी है।
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कार्बोहाइड्रेट या मीठा नहीं खा सकते
धारणा ये भी है कि डायबिटीज से पीड़ित लोग कार्बोहाइड्रेट, मीठा और अन्य फोरबिडेन डाइट नहीं खा सकते। वास्तव में, डायबिटीज के नियंत्रण के लिए जरूरी है बैलेंस डाइट ना कि प्रतिबंधित डाइट। सही मात्रा में और संतुलित आहार के साथ, डायबिटीज से ग्रस्त लोग भी मिठाई और कार्बोहाइड्रेट को एंजॉय कर सकते हैं। ब्लड शुगर के लेवल को कंट्रोल करने के लिए हेल्दी डाइट और रेगुलर एक्सरसाइज साथ में मेडिकेशन महत्वपूर्ण है।
न्यूट्रिएंट्स का चुनाव
डायबिटीज से पीड़ित लोग सही जानकारी और रिसोर्स के साथ हेल्दी और बैलेंस लाइफ जी सकते हैं। इसके लिए डाइट के हिस्सों पर ध्यान देना, न्यूट्रिएंट्स का चुनाव करना और रेगुलर रूप से ब्लड शुगर को टेस्ट करना जरूरी है।
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क्या सिर्फ वृद्ध लोगों को होता है डायबिटीज?
यह एक बहुत बड़ा मिथ है कि डायबिटीज केवल बुजुर्गों को होता है। टाइप 1 डायबिटीज किसी भी उम्र में हो सकता है, हालांकि यह अधिकतर बचपन या टीनेज में शुरू होती है। वहीं, टाइप 2 डायबिटीज का रिस्क ऐज के साथ बढ़ता है, खासकर 45 वर्ष के बाद।