LoK Sabha Election Result 2024 : 2023 में मोदी सरकार ने संसद में महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराया था। जिसके बाद ये माना जा रहा था कि, संसद में महिलाओं की सहभागिता बढ़ेगी लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। बिल पारित होने के बाद ये पहला चुनाव था, इस कानून में लोकसभा और राज्य विधान सभाओं में माहिओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रवाधान है। ये कानून अभी लागू नहीं हुआ है लेकिन, इससे पहले सांसद में महिलाओं सांसद कम हो गई है।
18वीं लोकसभा की 543 सीटों में इस बार सिर्फ 74 महिला सांसद ही हैं। पिछली लोकसभा में यह संख्या 78 थी । जो इस बार चुनी गईं महिला प्रतिनिधि नई संसद का केवल 13.63 फीसदी हिस्सा हैं। सबसे अधिक 31 महिला सांसद इस बार बीजेपी से हैं। वहीं कांग्रेस से 13, तृणमूल कांग्रेस से 11, समाजवादी पार्टी से पांच और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम से तीन महिला सांसद चुनी गई हैं। वहीं बिहार की पार्टियां जनता दल-यूनाइटेड और लोक जनशक्ति पार्टी से दो-दो महिला सांसद चुनी गई है।
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महिला सांसदों की संख्या हुई कम
महिला उम्मीदवारों की संख्या देखें, तो 1957 के आम चुनावों से लेकर 2024 के चुनावों तक महिला उम्मीदवारों का आंकड़ा 1,000 के पार नहीं जा पाया है… 2024 के लोकसभा चुनावों में कुल 8 हजार 360 उम्मीदवार मैदान में थे। हालांकि, प्रत्याशियों की इस विशाल संख्या में महिलाओं की कुल हिस्सेदारी सिर्फ 10 फीसदी ही रही। लोकसभा की 543 सीटों पर केवल 797 महिला प्रत्याशियों ने ही इस बार चुनाव लड़ा और महिला सांसदों की घटती संख्या के पीछे सबसे बड़ी चुनौती उनकी कम उम्मीदवारी भी है।
2019 के लोकसभा चुनावों में 726 महिला उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा, लेकिन तब 78 महिलाएं ही जीतकर संसद पहुंची थीं। वहीं, 2014 में 640 महिला उम्मीदवार थीं और इनमें से 62 महिलाएं सांसद बनीं और 2009 के चुनावों में 556 महिला उम्मीदवार मैदान में थीं, जिनमें से 58 महिलाएं संसद पहुंची दरासल हर लोकसभा चुनाव के साथ महिला उम्मीदवारों की संख्या तो जरूर बढ़ी है, लेकिन इनमें से चुनकर संसद तक पहुंचने का सफर बेहद कम महिलाएं ही तय कर पाती हैं।
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चरण दर चरण घटती संख्या
- पहला चरण- उम्मीदवार 134
- दूसरे चरण- उम्मीदवार 100
- तीसरे चरण- उम्मीदवार 123
- चौथे चरण- उम्मीदवार 100
- पांचवें चरण – उम्मीदवार 82
- छठे चरण- उम्मीदवार 92
- सातांवा चरण- उम्मीदवार 95
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संसद में महिला सांसदों की हिस्सेदारी घटी
भारत में 1952 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुए थे। पहली लोकसभा में जहां महिला सांसदों का प्रतिनिधित्व पांच फीसदी था, तब 22 महिलाएं सांसद बनी थीं। वहीं 17वीं लोकसभा में 78 महिलाओं के साथ यह बढ़कर 14.36 फीसदी तक पहुंचा। 2024 के आम चुनावों के बाद यह घटकर अब 13.63 फीसदी पर आ गया है…
पिछली लोकसभा के मुकाबले महिला सासंदों की संख्या ऐसे समय में कम हुई है, जब भारत में महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी मिल चुकी है। हालांकि, यह विधेयक अब तक लागू नहीं हुआ है लेकिन, पार्टियों की उम्मीदवारों की लिस्ट में महिलाओं की मौजूदगी को देखते हुए उनकी प्रतिबद्धता पर सवाल उठना लाजिमी है।
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महिला विधेयक पारित होगा तब कुछ बदलाव दिखाई देगा या नहीं?
इस विधेयक के तहत लोकसभा और प्रदेश विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करना अनिवार्य है। हालांकि, यह विधेयक अगली जनगणना के बाद ही लागू हो पाएगा… इस विधेयक को संसद में पास होने में 27 सालों का वक्त लगा है। संसद में महिलाओं की संख्या बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है…
लेकिन बावजूद इसके देश के सबसे बड़े सदन में अभी भी महिला सांसदों की कमी दिखाई दे रही है। देखना ये होगा कि आने वाले समय में जब महिला विधेयक पारित होगा तब कुछ बदलाव दिखाई देगा या नहीं?