WhatsApp News : सोशल मैसेजिंग एप व्हाट्सएप और भारत सरकार के बीच लंबे समय से चल रही लड़ाई में व्हाट्सएप अब आर-पार के मूड में आ चुका है.सरकार की ओर से व्हाट्सएप के लिए कहा गया है कि,उसे मैसेज सोर्स के बारे में बताना होगा यानी कोई मैसेज कब और कहां से पहली बार भेजा गया था उसे इसकी पूरी जानकारी देनी होगी.वहीं इस मामले पर व्हाट्सएप का कहना है कि,ये उसके नियमों के खिलाफ है अगर वो ऐसा करता है तो इसके लिए उसे एन्क्रिप्शन तोड़ना होगा और ये उसकी प्राइवेसी के खिलाफ है।
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दिल्ली हाईकोर्ट में हुई सुनवाई
दिल्ली हाईकोर्ट में सरकार और व्हाट्सएप के बीच हुई सुनवाई में व्हाट्सएप ने बताया उनके App का इस्तेमाल लोग इसलिए करते हैं क्योंकि ये एन्क्रिप्टेड है और इसकी प्राइवेसी पर लोगों को भरोसा है.यूजर्स ये जानते हैं कि,व्हाट्सएप पर भेजे गए मैसेज एंड टू एंड एन्क्रिप्टेड होते हैं.ऐसी स्थिति में उनके मैसेज को कोई और नहीं पढ़ सकता है लेकिन एन्क्रिप्शन तोड़ने के बाद इसकी प्राइवेसी खत्म हो जाएगी.व्हाट्सएप ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान ये भी कहा कि,अगर भारत सरकार उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर करती है तो व्हाट्सएप को देश छोड़ना पड़ेगा।
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व्हाट्सएप के लिए भारत एक बड़ा बाजार
आपको बता दें कि,व्हाट्सएप के लिए भारत आज दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है.अकेले भारत में करीब 400 मिलियन लोग व्हाट्सएप का इस्तेमाल करते हैं.साल 2010 में व्हाट्सएप भारत में आया था जो प्ले स्टोर से सबसे ज्यादा डाउनलोग किया जाने वाला ऐप है.भारत में हर दिन व्हाट्सएप के जरिए 100 करोड़ से अधिक मैसेज भेजे जाते हैं.फ्री प्लेटफॉर्म होने के कारण व्हाट्सएप दुनिया के 180 देशों में लोगों द्वारा चलाया जाता है।
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IT के नए नियमों के खिलाफ दायर की थी याचिका
मेटा के दो बड़े प्लेटफॉर्म व्हाट्सएप और फेसबुक ने नए संशोधित आईटी नियमों के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट में याचिका दायर की थी.जिसे सुप्रीमकोर्ट ने पिछले महीने दिल्ली हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था.जहां कोर्ट में व्हाट्सएप की ओर से पेश हुए वकील तेजस करिया ने बताया कि,आईटी नियम 2021 व्हाट्सएप के एंड टू एंड एन्क्रिप्टेड पॉलिसी को कमजोर करता है और ये भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14,19 और 21 के तहत मौलिक अधिकारों का भी हनन करता है.ये नियम यूजर्स की गोपनीयता के खिलाफ है।
वहीं सरकार की ओर से पेश हुए वकील कीर्तिमान सिंह ने कोर्ट को बताया कि,व्हाट्सएप के लिए लागू करवाई जा रही गाइडलाइन के पीछे का विचार मैसेज के सोर्स का पता लगाना था.अगर आईटी नियम 2021 को लागू नहीं किया गया तो एजेंसियों को फर्जी मैसेज के सोर्स का पता लगाने में परेशानी आएगी।