बिहार- शिव कुमार
- आरण में अभ्यारण बनने का सपना कब होगा पूरा…
- सूबे के मुखिया का कब होगा वादा पूरा…
- सिर्फ वादा या फिर आरण कमायेगा देश स्तर पर नाम…
बिहार: इन सभी बातों को जानने चलिये हमारे साथ सहरसा मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर दूर सत्तरकटैया प्रखंड के आरण गाँव जहाँ हम आपको आरण में मोर को लाने वाले उस शख़सियत से दो—चार करायेगे और आरण में मोर की कहानी से रूबरू करायेगे। अभिनन्दन यादव उर्फ़ कारी झा आरण के मूल निवासी है जो अपनी और परिवार की ज़िन्दगी खेती कर साधारण तौर—तरीके से गुजर बसर करते थे।
आम जन—जीवन में लोगों को कई तरह के परेशानीयों का सामना करना पड़ता है उसी में एक नाम अभिनन्दन यादव का भी था वो अपनी निजी ज़िन्दगी में किसी भी कारण परेशान रहने लगे उन्होंने अपनी परेशानी एक बाबा से कहा तो उस बाबा ने उन्हें सलाह दी की कार्तिक भगवान का रूप मोर में होता है तुम मोर लाओ और उसका पालन—पौषण सही से करो तुम्हारें परिवार और गाँव पर किसी तरह की परेशानी नहीं आयेगी। ये बात वर्ष 1991 ई० की है। तब उन्होंने पंजाब जाकर दो महीने के जन्मे नर और मादा मोर लाया था बड़ी हिफाजत के साथ मोर अपने गाँव आरण लाने के बाद उसका नाम सायरा रखा।
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मोर की संख्या में हुआ इजाफा
उन्होंने पूरी देख-रेख के साथ उसे किसी इन्सान से कम प्यार नहीं दिया। वक़्त गुजरता गया वक़्त के साथ—साथ सायरा भी आरण गाँव की वादियों में अपनी पंख फैलाने लगी। कुदरत के बनाये गये सिस्टम के अनुसार एक-दूजे के संगम से मोर की संख्या में इजाफा होना शुरू हुआ। अभिनन्दन यादव उर्फ़ कारी झा ने इस काम को भगवान का वरदान समझ कर इसके पीछे समर्पित हो गये और धीरे—धीरे मोर की संख्या आरण में फैलती गयी। तकरीबन 12 साल रहने के बाद आरण की सायरा ने दुनिया को अलविदा कह दिया।
हमारी आरण पड़ताल में कभी मोर जंगल, खेत, पेड़ और ग्रामीण के छप्प्ड़ो पे देखने को मिली एक अहम खास बात ये है की मोर आरण गाँव से सटे दूसरें गाँव नहीं जाती इसे मोर की मर्जी समझे या फिर भगवान का आशीर्वाद। आरण गाँव में मोर की कहानी का धीरे-धीरे खबर मीडिया में आने लगी सबसे पहले इस आरण को मोर के नाम से चर्चित इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ई० टी० भी० के रिपोर्टर कृष्ण मोहन सोनी ने वर्ष 2001 में दिखाया था लेकिन लोग राष्ट्रीय पक्षी की महत्व को समझ ना सके।
आम-जनों से लेकर सरकार तक आरण मोर की गूंजने लगी आवाज
देर ही सही लेकिन धीरे—धीरे अभिनन्दन यादव उर्फ़ कारी झा मोर की सुरक्षा को लेकर चिंतित हो गये जंगलो में तरह—तरह के जानवरों के हमले से राष्ट्रीय पक्षी की संख्या कम होने का खतरा मंडराने लगा तब अभिनन्दन यादव उर्फ़ कारी झा और स्थानीय लोगों के प्रयास से सोशल मीडिया से लेकर प्रिंट मीडिया में खबर आना शुरू हुआ। आम—जनों से लेकर सरकार तक आरण मोर की आवाज कानों में गूंजने लगी। 17 दिसम्बर 2016 को आरण की धरती पर सूबे के मुखिया नितीश कुमार का आगमन हुआ।
उन्होंने महज खाना पूर्ति करते हुए आरण को अपनी नजरों में उतारा और कार्यक्रम के दौरान अभिनन्दन यादव उर्फ़ कारी झा को सम्मानित करते हुए दो लब्ज बातें की और कहा आरण में जल्द अभ्यारण बनेगा आप लोग पटना आये। हमनें जब आरण के पड़ताल में कारी झा से बात की तो उनके चेहरे पर सूबे के मुखिया नितीश कुमार के आरण आने की खुशी कम नजर आ रही थी ज्यादा चिंता उन्हें मोर की सुरक्षा की सता रही थी उन्होंने दबी जुवां से कहा की हमारी खुशी में चार—चाँद तब लगेगा जब मोर की सुरक्षा के लिए आरण में अभ्यारण बनेगा। ये लोग घोषणा तो खूब करते है लेकिन पूरा तो कोई—कोई होता है।
आने वाले समय में आगे देखना दिल चस्प होगा सरकार इस गंभीर मामले को कितनी संजीदगी से लेती है। हम तो कहेगे आरण में मोर का अभ्यारण जल्द से जल्द बने इतिहास के पन्नों में दर्ज राष्ट्रीय पक्षी की दर्जा ली मोर की सुरक्षा के लिए सरकार युद्ध स्तर पर इंतेजामात कर आरण को अभ्यारण में बदले और आरण को मोर की पहचान देने वाले अभिनन्दन यादव उर्फ़ कारी झा को राज्य और केन्द्र सरकार सम्मानित भी करे।