Bansgaon Loksabha Seat: लोकसभा चुनाव नजदीक है, देश में चुनावी माहौल है.यूपी में चुनावी मुकाबला बहुत ही दिलतस्प है. हर एक दल यहां पर अपनी धाक जमाने के लिए दांव खेलने में लगा हुआ है. कहा जाता है कि जिस भी दल ने अपनी यूपी में धाक जमा ली उसके लिए दिल्ली का रास्ता काफी आसान हो जाता है. ऐसे में ‘प्राइम टीवी’ यूपी की कुछ लोकसभा सीटों को लेकर लगातार खास रिपोर्ट पेश कर रही है. चुनाव यात्रा में आज बात एक ऐसे लोकसभा क्षेत्र की जो प्रदेश को दो सीएम और देश को दो राज्यपाल दे चुका है. भले ही इस क्षेत्र की बहुत ज्यादा चर्चा ना हो लेकिन ये देश और प्रदेश की राजनीति की हमेश दिशा और दशा तय करता रहा है. कौन सी है ये सीट,क्या है इसका इतिहास, भूगोल और क्यूं ये क्षेत्र देश-प्रदेश की राजनीति को प्रभावित करता रहा है.देखिए ये खास रिपोर्ट…
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सीएम के क्षेत्र का पूरा हाल-हिसाब
गोरखपुर के दक्षिणांचल में राप्ती और आमी के किनारे बसा हुआ है बांसगांव क्षेत्र.इसका इतिहास सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ा है. यहां के लोग अपने रसूख और एक अलग अंदाज के लिए जाने जाते हैं.आजादी के बाद साल 1952 के लोकसभा चुनाव में बांसगांव गोरखपुर लोकसभा सीट का हिस्सा था.1957 में इसे संसदीय क्षेत्र के रूप में मान्यता मिली. यहां से अब तक प्रदेश के दो सीएम और देश के दो राज्यपाल निकल चुके हैं.
कमलेश पासवान लगातार कब्जा जमाए हुए
साल 2009 से इस सीट पर बीजेपी के कमलेश पासवान लगातार कब्जा जमाए हुए है. इस दौरान वो महावीर प्रसाद के हैट्रिक के रिकार्ड की बराबरी कर चुके हैं और इस बार उनके रिकार्ड को तोड़ने के फिराक में हैं. यहां आजादी के बाद हुए कुल 16 चुनावों में अब तक 7 बार कांग्रेस, 6 बार बीजेपी जीतने में कामयाब रही है. सपा यहां से एक बार ही अपना सांसद जिता पाई है. जबकि बीएसपी यहां कभी अपना उम्मीदवार जीताने में कामयाब नहीं हो सकी है.
विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित
लोकसभा क्षेत्र में यूपी विधानसभा की कुल पांच सीटें आती हैं. जिसमें चौरीचौरा, बांसगांव, चिल्लूपार, रुद्रपुर और बरहज शामिल है. इनमें से बरहज विधानसभा क्षेत्र देविरिया जिले का हिस्सा है. इनमें से बांसगांव की विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. 2022 के विधानसभा चुनावों में इन पांचों सीटों पर बीजेपी का कब्जा रहा है. इससे समझा जा सकता है कि इस क्षेत्र में बीजेपी कितनी मजबूत स्थिति में है.वहीं अगर समाजी ताने-बाने की बात की जाए तो यहां एससी और पिछड़ी जाति के वोटरों की संख्याा अधिक है.
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बांसगांव का जातीय समीकरण
सवर्ण | लगभग 5 लाख |
ओबीसी | लगभग 8 लाख |
एससी-एसटी | लगभग 2 लाख |
मुस्लिम | लगभग 2 लाख |
बांसगांव लोकसभा सीट- 2014
कमलेश पासवान | 2014 | बीजेपी | 417597 वोट | 47.6 वोट प्रतिशत |
गोरख प्रसाद पासवान | 2014 | सपा | 133534 वोट | 15.2 प्रतिशत |
कमलेश पासवान | 2019 | बीजेपी | 544434 वोट | 57.2 वोट प्रतिशत |
सदल प्रसाद | 2019 | बीएसपी | 391441 वोट | 41.2 वोट प्रतिशत |
लोकसभा क्षेत्र फिलहाल बीजेपी का गढ़
बांसगांव लोकसभा क्षेत्र फिलहाल बीजेपी का गढ़ बना हुआ है. सीएम योगी का क्षेत्र होने की वजह से यहां बीजेपी और मजबूत हो जाती है लेकिन देखना दिलचस्प होगा कि इस चुनाव में चाभी किसके हाथ लगती है.ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि इस चुनाव में बीजेपी अपना गढ़ बनाए रख पाती है या कोई और पार्टी यहां गुल खिलाने में कामयाब रहती है.
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