18वीं लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण का चुनाव 7 मई को होना है। वहीं इस चरण में 95 सीटों पर कुल 1352 उम्मीदवार चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं। इस बीच राजनीतिक दलों के स्टार प्रचारकों ने चुनावी जनसभाओं में जान फूंक दी, साथ ही राजनेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी लगातार जारी है। वहीं इसी कड़ी में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक न्यूज चेनल को दिए अपने इंटरव्यू में विपक्ष के आरोप से लेकर संविधान बदलने के आरोप का जवाब दिया है।
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“10 साल में हमने कभी रिजर्वेशन को समाप्त करने का प्रयास नहीं किया”
दरअसल विपक्ष का आरोप है कि भाजपा 400 से ज्यादा सीट जीतने पर संविधान बदल देगी । तो, वहीं अपने दिए इस इंटरव्यू में आरोप का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा -, ”हमारे पास 10 साल से बहुमत है। संविधान बदलने की क्षमता नरेंद्र मोदी जी को 10 साल से इस देश की जनता ने दी है। हमने क्या किया 10 साल में हमने कभी रिजर्वेशन को समाप्त करने का प्रयास नहीं किया।”
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“इस बहुमत का उपयोग अनुच्छेद 370 हटाने में किया”
अमित शाह ने इस दौरान आगे कहा कि – “हमने इस बहुमत का उपयोग अनुच्छेद 370 हटाने में किया, ट्रिपल तलाक समाप्त करने में किया। यूसीसी लाने में किया। अंग्रेजों के कानून बदलने में किया। कश्मीर के अंदर शांति लाने में किया। हमारे पास 10 साल से अधिकार है। राहुल गांधी का एक रूल है ‘झूठ बोलो, जोर से बोलो और बार-बार बोलो।’वो इसी रूल को फॉलो कर रहे हैं।”
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” अनुच्छेद 370 की धाराओं को समाप्त करना हो”
वहीं जब गृहमंत्री अमित शाह से इस इंटरव्यू में पूछा गया कि – ये नैरेटिव इसीलिए बनता है कि वे बार-बार बोलते हैं? तो अमित शाह ने जवाब देते हुए कहा कि नहीं बनता है ये नैरेटिव। हमें 10 साल से ये अधिकार मिला हुआ है।अमित शाह ने बीजेपी की उपलब्धियों पर सवाल का जवाब यह कहकर समाप्त किया, ”चाहे उच्च शिक्षा हो, नई आर्थिक नीति हो, या राम जन्मभूमि हो, अनुच्छेद 370 की धाराओं को समाप्त करना हो, तीन तलाक हो, यूसीसी लाना हो या देश के आपराधिक कानूनों में मूलभूत परिवर्तन करना हो, ये 10 साल हर क्षेत्र में स्वर्णिम अक्षरों में लिखे जाएंगे। लोगों को यह भी लग रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काम के कारण ही कोरोना जैसी महामारी से इतने प्रभावी ढंग से लड़ा जा सका है।”
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“राहुल गांधी सोच-विचार कर नहीं बोलते हैं”
आपको बती दें कि अमित शाह ने आगे कहा कि – मैं पहले एक बात स्पष्ट कर दूं। राहुल गांधी जी जो बोलते हैं, वह सोच-विचार कर नहीं बोलते हैं। अगर हम ईवीएम के कारण जीतते हैं तो तेलंगाना में क्यों हारे? तमिलनाडु में क्यों हारे, केरल में सालों से क्यों हार रहे हैं? हिमाचल में क्यों हारे? बंगाल में क्यों हारे? या तो राहुल गांधी को स्पष्ट करना चाहिए कि ईवीए से आए नतीजों में अगर वो जीतते हैं तो शपथ नहीं लेंगे।