Kannauj Loksabha Seat: 2024 लोकसभा चुनाव के चौथे चरण के लिए आज देश के 10 राज्यों में वोटिंग हो रही है. इस चरण में यूपी की 13 सीटों पर मतदान हो रहे है,जिनमें शाहजहांपुर, खीरी, धौरहरा सीतापुर, मिश्रिख, उन्नाव, फर्रुखाबाद, इटावा, कन्नौज कानपुर,अकबरपुर,बहराईच और हरदोई में आज मतदाता अपने मत का इस्तेमाल कर रहे है. सभी दलों की नजर यूपी पर टिकी हुई है,क्योंकि यूपी के पास लोकसभा की सबसे ज्यादा 80 सीटें है. ऐसा कहा जाता है कि दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है. दरअसल, सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों पर जिस पार्टी का कब्जा होता है, उसके लिए देश की सत्ता हासिल करना आसान हो जाता है.
Read More: 10 राज्य,96 सीटों पर चौथे चरण का चुनाव,इन दिग्गजों ने किया मतदान..
कन्नौज में अखिलेश यादव vs सुब्रत पाठक
बात करते है सेंट्रल यूपी के सबसे रोचक मुकाबले में शुमार कन्नौज लोकसभा सीट की,जिसकी पिछले काफी दिनों से चर्चा हो रही है. यहां से समाजवादी पार्टी ने पहले तेज प्रताप यादव को उम्मीदवार बनाया जिसके बाद स्थानीय नेताओं ने हलचल मचा दी. इसके बाद जिले में सपा नेताओं ने अखिलेश यादव से अपने फैसले पर पुनर्विचार की अपील की और कहा कि खुद अखिलेश यादव को ही यहां से चुनाव लड़ना चाहिए. फिर क्या था, इसके बाद अखिलेश यादव खुद चुनावी रण में उतर गए. बता दे कि यहां पर साल 2019 की कमजोरियों को दूर करने के लिए अखिलेश यादव ने यहां पर खूब पसीन बहाया. वहीं दूसरी ओर भाजपा ने लीड बरकरार रखने के लिए खूब पसीना बहाया.
साल 2019 में सपा के गढ़ में भाजपा ने मारी बाजी
आपको बता दे कि कन्नोज लोकसभा सीट सपा का गढ़ रही है. पार्टी को साल 2019 के चुनाव में यहां भाजपा के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. अब अखिलेश यादव के सामने कन्नौज सीट वापस लेने की चुनौती है. 1998 से 2019 तक लगातार पांच बार कन्नौज लोकसभा सीट पर सपा का दबदबा रहा था. यहां पर मुकाबला बड़ा है, इसका अंदाजा मतदाताओं के मिजाज से ही लगाया जा सकता है.
Read More: ‘सरकारी कर्मचारियों के पोस्टल बेलैट वोटिंग में गड़बड़ी’चुनाव के बीच रामगोपाल यादव ने लगाए आरोप
मिलायम सिंह यादव ने 1999 में दो सीटों पर चुनाव लड़ा
दरअसल, साल 20000 में सबसे पहले अखिलेश यादव इस सीट से चुनाव जीत कर सांसद बने थे. मिलायम सिंह यादव ने साल 1999 में दो सीटों पर चुनाव लड़ा था,जिसमें से एक सीट कन्नौज शामिल थी. उस समय उन्होंने दोनों ही सीटों पर जीत हासिल की थी. इसके बाद उन्होंने कन्नौज सीट को खाली कर दिया था,जिससे उपचुनाव हुए थे. उसके बाद साल 2012 में अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को निर्विरोध जीत मिली थी. फिर सीएम बनने के बाद अखिलेश यादव ने ये सीट खाली कर दी थी. इसके बाद फिर से उपचुनाव हुए थे.
सपा के गढ़ में BJP ने अपनी पकड़ मजबूत की
कन्नौज सीट पर साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में सुब्रत पाठक को जीत मिली थी. इन्होंने डिपंल यादव को 12,353 मतों के अंतर से हराकर सभी को चौंका दिया था. साल 2009 से लगातार वे इसी सीट से चुनाव लड़ रहे है. बता दे कि, 21 साल से सपा के कब्जे में रही कन्नौज सीट को 2019 के चुनाव में मोदी लहर और स्थानीय नेता होने लाभ उठाते हुए सुब्रत पाठक ने छीन ली. हार का अंतर भले ही 13 हजार मतों का रहा हो, लेकिन सपा का अभेद्य दुर्ग दरकने की कसक पूरे सैफई परिवार को हुई. यहीं से भाजपा ने भी अपनी पकड़ मजबूत करना शुरू कर दी. इसमें डबल इंजन सरकार की धमक भी काम करती है.
Read More: BJP या फिर INDIA अलायंस किसका समर्थन करेंगे राजा भैया? आगे की रणनीति के बारे में दिया ये जवाब..