नवम्बर महीने का आगाज़ शुरू हो गया हैं। इसके साथ ही दिवाली का त्योहार भाईदूज के साथ ही समाप्ति की ओर बढ़ रहा हैं। आज अन्नकूट उत्सव का त्योहार है जो कि कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन गोवर्धन महाराज पूजा होती है। इसके एक दिन बाद यानी कल 3 नवंबर, दिन रविवार को भाईदूज हैं। इस दिन यमराज का पूजन किया जाता है। जो कार्तिक शुक्ल द्वितीया को होता है। इस साल भाई दूज 3 नवंबर को मनाया जा रहा है।
इस विशेष त्योहार को ‘यम द्वितीया’ के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन व्यापार से जुड़े लोग कलमदान की भी पूजा करते हैं। इसके साथ ही यम द्वितीया पर भाई अपनी बहिन के घर पर भोजन करते हैं, इसलिये इसे ‘भइया दूज’ नाम से भी जाना जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार यम द्वितीया पर यमराज और चित्रगुप्त की पूजा भी की जाती है इस दिन इस पूजा बहुत महत्व है क्योकि यमराज और चित्रगुप्त की पूजा करने से न केवल सभी दुखों का नाश होता है बल्कि अकाल मृत्यु का भय और संकट भी टल जाता है।
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गोवर्धन पूजन का समय, विधि, महत्त्व, और क्या है इससे जुड़ी कहानी
अन्नकूट उत्सव कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता हैं। जिसकी शुरुआत 1 नवंबर को शाम 6 बजकर 16 मिनट पर शुरू हो चुकी है और इसकी समापन तिथि 2 नवंबर को रात 8 बजकर 21 मिनट पर होगी। इस पूजा में गाय के गोबर से गोवर्धन महाराज की मूति बनाकर वृक्ष के पत्ते, शाखाएं और फूल से सजाकर और रोली, चावल, खील, बताशे, चावल, जल, दूध, पान, केसर, पुष्प आदि चीजें अर्पित करके विधि-विधान से पूजा की जाती है।
उसके बाद गोबर से बने गोवर्धन महाराज की नाभि की जगह पर एक मिट्टी का दीया रखा जाता है और उसमें दूघ, दही, गंगाजल, शहद डाला जाता हैं और फिर पूजा के बाद उसको प्रसाद के रूप में सबको बांट दिया जाता है। गोवर्धन महाराज की आरती के बाद सात बार परिक्रमा की जाती है और परिक्रमा करते समय हाथ में लोटे से भरे जल को गिराते हुए जयकारों के साथ पूजा पूरी की जाती है। शाम के समय इस दिन घर के चौखट पर दीपक जलाकर रखा जाता है।
इस दिन शाम को गायों की पूजा भी होती है। इसके अलावा भोजन में भगवान कृष्ण के मंदिरों में 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग अर्पित किया जाता है। गोवर्धन पूजा की कहानी भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी हुई है। कहते है कि, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को ही भगवान श्रीकृष्ण ने गाय-ग्वालों को इंद्र के प्रकोप से बचाने के लिए अपनी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया था जिसके बाद गोवर्धन पूजा शुरू करवाई थी। साथ ही स्वर्ग के राज इंद्र को उनकी गलती का अहसास भी करवाया था।
गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्ण को अन्नकूट का भोग लगया जाता है।हमारे सनातन धर्म में हर पूजन का विशेष महत्व हैं वैसे इस पूजन का सीधा संबंध प्रकृति और मानव से जुड़ा हुआ है। इस दिन मुख्य रूप से गोवर्धन पर्वत और भगवान कृष्ण की पूजा करने का विधान है। इस दिन घरों में अन्नकूट तैयार किया जाता है और गोवर्धन महाराज को भोग लगाया जाता है। इसकी भव्यता मथुरा, वृंदावन, गोकुल समेत पूरे ब्रज में ज्यादा देखने को मिलती है। गोवर्धन महाराज की पूजा अर्चना करने से धन धान्य और सौभाग्य में वृद्धि होती है और परिवार की हर चिंता दूर होती है। स्कंद पुराण के अनुसार, गोवर्धन पूजा के दिन गौ पूजा करने से सभी तरह के दोष दूर हो जाते हैं और जीवन में सफलता मिलती है।
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भाई दूज का शुभ मुहर्त
आपको बता दे कि, इस बार द्वितीय तिथि की शुरुआत 2 नवंबर रात 8 बजकर 22 मिनट से और द्वितीया तिथि की समाप्ति 3 नवंबर रात 11 बजकर 6 मिनट तक है। ऐसे में भाई दूज का पर्व 3 नवंबर को मनाया जाएगा। मगर भाई दूज पूजन का समय दिन में 11:45 मिनट से 1 बजकर 30 मिनट तक उत्तम रहेगा।भाईदूज के त्योहार को भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इस शुभ दिन पर बहन अपने भाई की लंबी उम्र के लिए व्रत करती हैं और भाई अपनी बहन को जीवन में हमेशा रक्षा करने का वचन देता है।