Human Metapneumovirus China :चीन में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, और यह वायरस कोविड के जैसे लक्षण पैदा करता है। हालाँकि यह नया वायरस नहीं है, लेकिन इस समय चीन में इसके मामलों में तेज़ी देखी जा रही है, जिससे वहां की स्वास्थ्य व्यवस्था पर दबाव पड़ रहा है। चीन सीडीसी का कहना है कि इस वायरस के लक्षण कोविड के समान हैं, और खासकर छोटे बच्चों को यह ज्यादा प्रभावित कर रहा है। इस वायरस से बच्चे आसानी से संक्रमित हो रहे हैं और कुछ मामलों में यह गंभीर निमोनिया का कारण भी बन सकता है, जिसके लिए अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत हो सकती है।
Read more :Delhi Assembly Elections: कांग्रेस ने अलका लांबा को उतारा आतिशी के खिलाफ,कालकाजी से लड़ेंगी चुनाव
ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस के लक्षण
एचएमपीवी के लक्षण खांसी, जुकाम जैसे होते हैं, लेकिन यह कभी-कभी निमोनिया का कारण भी बन सकता है। यह वायरस बच्चों में होने वाली सामान्य बीमारी, आरएसवी (Respiratory Syncytial Virus) जैसा प्रभाव डालता है। आरएसवी भी बच्चों को अधिक प्रभावित करता है और इससे ब्रोंकियोलाइटिस जैसे गंभीर श्वसन संक्रमण हो सकता है, जिससे बच्चों को सांस लेने में परेशानी हो सकती है। हालांकि, इस वायरस से हर बच्चे में गंभीर समस्या नहीं होती है, और अधिकांश बच्चे कुछ दिन में ठीक हो जाते हैं।
Read more :Kal Ka Mausam: कड़ाके की ठंड और बर्फबारी का अलर्ट जारी, मौसम में महत्वपूर्ण बदलाव आने की संभावना!
एचएमपीवी बच्चों को क्यों ज्यादा प्रभावित करता है?
एचएमपीवी, खासकर पांच साल से छोटे बच्चों को ज्यादा प्रभावित करता है। बच्चों का इम्यून सिस्टम पूरी तरह से विकसित नहीं होता है, इसलिए उनका शरीर संक्रमण से बचने में उतना सक्षम नहीं होता। चूंकि एचएमपीवी एक श्वसन वायरस है, यह हवा के माध्यम से बच्चों के फेफड़ों में प्रवेश करता है और उन्हें आसानी से संक्रमित कर देता है। बच्चों के फेफड़ों में इंफेक्शन आसानी से फैल सकता है, जिससे सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। यदि किसी बच्चे को पहले से अस्थमा या ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारी हो, तो वह इस वायरस से अधिक प्रभावित हो सकता है।
Read more :Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah: Asit Modi के बयान पर फैंस ने जताई नाराजगी, शो बंद करने की उठी आवाज़
एचएमपीवी का इतिहास और बढ़ते मामले
महामारी विशेषज्ञ डॉ. जुगल किशोर के अनुसार, ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस कोई नई बीमारी नहीं है। इसका पहला मामला 2001 में पाया गया था और तब से यह वायरस कुछ देशों में सामने आता रहा है। चीन में इसका फैलाव बढ़ने का कारण यह हो सकता है कि इस वायरस के मामलों में इज़ाफा हुआ है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह एक नया वायरस है। इस वायरस के मामले बढ़ने के बावजूद विशेषज्ञों का कहना है कि इससे घबराने की जरूरत नहीं है।
Read more :Allu Arjun के लिए बड़ी राहत, भगदड़ मामले में कोर्ट ने दी जमानत!
बच्चों की देखभाल कैसे करें?’
- हाथों की सफाई: बच्चों को नियमित रूप से हाथ धोने की आदत डालें, खासकर बाहर से लौटने के बाद।
- संक्रमित क्षेत्रों से बचें: ऐसे इलाकों में जाने से बचें जहां वायरस के फैलने का खतरा हो।
- स्वस्थ खानपान: बच्चों के खानपान का ध्यान रखें ताकि उनकी इम्यूनिटी मजबूत रहे।
- पानी और हवादारी: बच्चों के कमरे में ताजे हवा की व्यवस्था रखें और पर्याप्त पानी पीने के लिए प्रोत्साहित करें।