पीरियडस यानी मासिक धर्म जिसके बारे में लोग आज भी बात करने से कतराते हैं। वही इस सोच को दरकिनार करते हुए उत्तराखंड में काशीपुर के एक पिता ने अपनी 13 साल की बेटा रागिनी जिसके पहले पीरियडस को सेलीब्रेट किया है।
उत्तराखंड : पीरियडस यानी मासिक धर्म को लेकर आज के इस आधुनिक युग में भी कई प्रकार की गलत धारणाएं, मिथक व प्रतिबंधात्मक प्रथाओं का उच्च प्रचलन है। विशेष तौर पर समाज के भीतर इसको लेकर छुआछूत वाली सोच फैली हुई है। उत्तर भारत में पीरियड्स को लेकर कई तरह की गलतफहमियां भी समाज में चली आ रही हैं, लेकिन इस सोच को दरकिनार करते हुए उत्तराखंड में काशीपुर एक परिवार ने अपनी बेटी के पहले पीरियड्स को इस तरह सेलिब्रेट किया, जिसकी चर्चा हर तरफ हो रही है।
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बेटी को स्पेशल फील कराने के लिए की पार्टी…
काशीपुर में जितेंद्र भट्ट म्यूज़िक टीचर हैं। जितेंद्र की जॉइंट फैमिली है, जिसमें उनके माता-पिता, भाई-भाभी और उनका परिवार रहता है। जितेंद्र की इकलौती बेटी रागिनी 13 साल की है। पत्नी भावना सती एक म्यूज़िक टीचर हैं। रागिनी को बुधवार को फर्स्ट पीरियड स्टार्ट हुआ तो पिता और परिवार ने मिलकर एक ग्रैंड पार्टी का आयोजन किया। रिश्तेदार, परिवार दोस्त, सभी को इनवाइट किया। एक हाल बुक किया गया, जिसे सफेद और गुलाबी गुब्बारों से सजाया गया। माता-पिता ने यह सबकुछ रागिनी को स्पेशल फील कराने के लिए किया था और साथ ही समाज में एक संदेश देने की कोशिश भी की गई कि पीरियड कोई बीमारी नहीं बल्कि एक औरत की जिंदगी का हिस्सा है।
रागिनी ने जताई खुशी…
रागिनी ने कहा कि पीरियड्स होना आम बात है। जैसा मेरे माता-पिता ने मेरे प्रथम मासिक धर्म पर केक काटकर उत्सव मनाया है, यह हर माता-पिता को सोचना चाहिए। मैं स्कूल में और सहेलियों के माता-पिता को भी इसे लेकर जागरूक करूंगी।
दादी-दादा का मिला आशीर्वाद…
जितेंद्र ने जब इस पार्टी के आयोजन की बात घर मे की तो उनके माता-पिता को भी ऑकवर्ड फील हुआ लेकिन जब पेरेंट्स को समझाया तो उन्हें भी समझ में आ गया और वह इस फंक्शन में शामिल हुए और रागिनी को प्यार दुलार के साथ आशीर्वाद भी दिया।
उत्तराखंड के ज्यादातर इलाकों में पीरियड्स को अच्छा नहीं माना जाता। पीरियड्स के दौरान विशेष तौर पर शादीशुदा महिलाओं को अशुद्ध मानकर परिवार से दूर रखा जाता है। गांव के इलाकों में तो महिलाओं को परिवार से कहीं दूर रखा जाता है। खाने के लिए भी कोई विशेष चीज नहीं दी जाती और सोने के लिए भी जमीन पर कोई दरी या हल्क बिस्तर लगाया जाता है।