जितिया : जीवितपुत्रिका व्रत अपने संतान के लिए रखा जाता है। इस व्रत को महिलाए अपने संतान को कष्टों से बचाने और लंबी आयु की मनोकामना के लिए करती हैं, आपको बता दे कि बेटे की उम्र की अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन जीवित्पुत्रिका का निर्जला व्रत किया जाता है, इसके साथ जतिया व्रत संतान की लंबी आयु और खुशहाली के लिए रखा जाता है। इस साल यह व्रत 6 अक्टूबर को रखाजाएगा। इसे जीवित्पुत्रिका के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानते हैं जीवित्पुत्रिका व्रत में क्या करना चाहिए और क्या नहीं।
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ओठगन का समय..
जितिया व्रत 6 अक्टूबर को सुबह 4 बजकर 30 मिनट तक ओठगन के बाद व्रत आरंभ हो जाएगा। ओठगन यानी आप ब्रह्म मुहूर्त से पहले ही जो कुछ खाना हो खा सकती हैं। इसके बाद से अन्न जल का त्याग करके व्रती को व्रत आरंभ करना चाहिए।
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पारण का समय..
हृषिकेष पंचांग के अनुसार 6 अक्टूबर को 8 बजकर 32 मिनट से आश्विन कृष्ण अष्टमी तिथि लग रही है जो 7 तारीख को 10 बजकर 31 मिनट तक रहेगी। ऐसे में जितिया व्रतधारी महिलाओं को सुबह 10 बजकर 32 मिनट के बाद आम के पल्लव से दातुन करके स्नान ध्यान करके पारण यानी अन्न जल ग्रहण करना चाहिए। व्रती को सर्वप्रथम गुनगुने दूध में घी मिलाकर इसका सेवन करना चाहिए। इससे गला खराब नहीं होगा।
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इन बातो का रखे खास घ्यान…
जितिया व्रत में व्रती को अन्न जल ग्रहण नहीं करना चाहिए। साथ ही व्रत रखने वाली महिलाओं को फल, सब्जी नहीं काटना चाहिए। आप इस काम के लिए किसी और से घर में मदद ले सकती हैं। जो इस व्रत को नहीं कर रहा हो। इसके अलावा सूई का प्रयोग नहीं करना चाहिए। साथ ही जितिया व्रत रखने वाली महिलाएं 5 अक्टूबर को तेल और सरसों की खल्ली से जीमूतवाहन भगवान की पूजा करके व्रत का संकल्प लेंगी और खरना करें।
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इन चीजों का सेवन वर्जित होता है..
जितिया व्रत में लहसुन, प्याज और मांसाहार का सेवन वर्जित होता है। व्रत के दौरान मन, वचन और कर्म की शुद्धता आवश्यक है। गर्भवती महिलाओं यग व्रत न रखकर सिर्फ पूजा कर लें तो बेहतर होगा। जिन महिलाओं को गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हैं, उन्हें भी यह व्रत नहीं रखना चाहिए ।