केरल विधानसभा में एक प्रस्ताव पास किया गया है। इस प्रस्ताव में ‘केरल’ का नाम बदलकर ‘केरलम’ करने की बात कही गई है। वही बता दे कि इस प्रस्ताव का किसी भी पार्टी ने विरोध नहीं किया। किसी भी विधायक की तरफ से प्रस्ताव में किसी भी तरह का संशोधन करने का सुझाव भी नहीं आया।
New name of Kerala: इस प्रस्ताव का किसी भी पार्टी ने विरोध नहीं किया। किसी भी विधायक की तरफ से प्रस्ताव में किसी भी तरह का संशोधन करने का सुझाव भी नहीं आया। वही अगर केंद्र सरकार भी इसे हरी झंडी देती है तो केरल का नाम केरलम हो जाएगा। अब राज्य सरकार ने प्रस्ताव पास करने के बाद केंद्र सरकार से भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल सभी भाषाओं में राज्य का नाम बदलकर ‘केरलम’ करने का आग्रह किया है। इस प्रस्ताव में सीएम विजयन ने केंद्र से केरल का नाम बदलने का अनुरोध किया है।
कैसे पड़ा केरल का नाम?
केरल के नाम कैसे आया? इसे लेकर कोई एकराय नहीं है। हालांकि, ऐसा माना जाता है कि केरल का नाम ‘केरा’ से पड़ा, जिसका मतलब ‘नारियल का पेड़’ होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, परशुराम ने अपना परशु समुद्र में फेंका था। इस वजह से उसके आकार की भूमि समुद्र से बाहर निकली और केरल अस्तित्व में आया। केरल शब्द का एक मतलब ‘समुद्र से निकली जमीन’ भी होता है। ये भी माना जाता है, कि यहां पर लंबे समय तक चेरा राजाओं ने शासन किया है। इसलिए इसका नाम पहले चेरलम था। इसी से केरल बना होगा
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क्या है केरल और केरलम में फर्क?
केरल नाम की उत्पत्ति को लेकर कई तरह की थ्योरी है। एक रिपोर्ट के अनुसार, सबसे पुराने दस्तावेजों के हिसाब से केरल सम्राट अशोक का 257 ईसा पूर्व का शिलालेख II है, इस शिलालेख में स्थानीय शासक को केरलपुत्र के रुप में दिखाया गया है। बता दें कि मलयालम बोलने वाले लोगों पर इस क्षेत्र के विभिन्न राजाओं और रियासतों द्वारा शासन किया गया था।
यूसीसी के खिलाफ भी प्रस्ताव…
कुछ दिन पहले ही यूनिफॉर्म सिविल कोड के खिलाफ भी एक प्रस्ताव लाया गया था। उस प्रस्ताव में जोर देकर कहा गया था कि यूसीसी सिर्फ संघ का एक एजेंडा है और ये कभी भी हकीकत नहीं बन सकता। वैसे अभी तक यूसीसी को लेकर रोडमैप ज्यादा क्लियर नहीं है। सिर्फ चुनावी भाषणों में ही इसका ज्यादा जिक्र देखने को मिल रहा है।
बता दे कि गृह मंत्रालय इस पर बाकी दूसरे मंत्रालय और इंटेलिजेंस एजेंसियों से सुझाव मांगेंगा। अगर नाम बदलने के इस प्रस्ताव को मंजूर कर लिया जाता है तो इसके लिए संसद में बिल लाया जाएगा। अगर संसद के दोनों सदनों में ये बिल पास हो जाता है। तो इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद ही राज्य का नाम केरल से बदलकर ‘केरलम’ हो जाएगा।