वाराणसी जो माँ सती औऱ बाबा विश्वनाथ के प्रेम गाथा के लिए जाना जाता है आपको बता दें यह वही नगरी जहाँ बाबा विश्वनाथ ने माँ गौरा कि प्रतिक्षा की थी वही बताया जाता है कि माँ शक्ति के लिए काशी नगरी को शिव ने बसाया था ..
यह वही काशी नगरी है जिसे आज अनेको नामों से जाना जाता है जैसे बानारस ,बाबा की नगरी , काशी विश्वनाथ नगरी , वाराणसी, मोक्ष को प्राप्त करने वाली नगर ,आजकल प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के भी जाना जाता है ..
काशी नगरी जो देश ,विदेश में बाबा विश्वनाथ के वजह से हमेशा चर्चाओं में बने रहता है वही आजकल एक अलग मुद्दे को लेकर चर्चो में हैं.. यह वही मुददे है जो ज्ञानवापी मस्जिद जिसे बानारस आजकल चर्चाओ का विषय बना हुआ है आपको बता दें ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर हिन्दू –मुस्लिम में विवाद छिड़ गई है वही अब ये मुद्दा कोर्ट का रूख कर लिया है ..
आइऐ जानते है क्या पुरा मुद्दा …
ये मंदिर और मस्जिद बनवाया किसने था?
आपको बता दें तथ्यो के अनुसार इसे लेकर कोई एक राय नहीं है. वही याचिकार्ताओं का कहना है कि इस मंदिर को 2050 साल पहले राजा विक्रमादित्य ने फिर से बनवाया था. तथ्यो के अनुसार अकबर के शासन काल में इसका फिर से निर्माण करवाया गया. लेकिन बताया जाता है कि 1669 में औरंगजेब ने इसे तुड़वा दिया और इसकी जगह ज्ञानवापी मस्जिद बनाई. ..
अभी वहां पर जो काशी विश्वनाथ मंदिर है, उसे इंदौर की रानी अहिल्याबाई होल्कर ने बनवाया था. वही काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद आपस में सटे हुए हैं, लेकिन उनके आने-जाने के रास्ते अलग-अलग दिशाओं में हैं.
वही तथ्यो का माने तो काशी विश्वनाथ मंदिर को अकबर के नौ रत्नों में से एक राजा टोडरमल ने बनवाया था. इसे 1585 में बनाया गया था. 1669 में औरंगजेब ने इस मंदिर को तुड़वाकर मस्जिद बनवाई. 1735 में रानी अहिल्याबाई ने फिर यहां काशी विश्वनाथ मंदिर बनवाया, जो आज भी मौजूद है.
क्या है ज्ञानवापी का विवाद?
आपको बता दें वैसे तो ये विवाद काफी पुराना है, सबसे पहले साल 1991 में ज्ञानवापी को लेकर हिंदू पक्ष की तरफ से दावा सामने आया था. जिसमें वाराणसी की एक कोर्ट में याचिका दायर कर कहा गया था कि ज्ञानवापी में हिंदुओं को पूजा की इजाजत दी जाए. हालांकि तब हाईकोर्ट की तरफ से इस पर स्टे लगा दिया गया था और यथास्थिति बनाए रखने का आदेश जारी हुआ. वही हाईकोर्ट ने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट का हवाला देते हुए अपना फैसला सुनाया था.
उसके बाद फिर से इस मुद्दा में अलग मोड तब आया जब अगस्त 2021 में पांच महिलाओं ने वाराणसी के सिविल जज के सामने एक वाद दायर किया था. इसमें उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद के बगल में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजा और दर्शन करने की अनुमति देने की मांग की थी…
वही महिलाओं की याचिका पर जज रवि कुमार दिवाकर ने मस्जिद परिसर का एडवोकेट सर्वे कराने का आदेश दिया था. कोर्ट के आदेश पर पिछली साल तीन दिन तक सर्वे हुआ था. सर्वे के बाद हिंदू पक्ष ने यहां शिवलिंग मिलने का दावा किया था. दावा था कि मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग है. हालांकि, मुस्लिम पक्ष का कहना था कि वो शिवलिंग नहीं, बल्कि फव्वारा है जो हर मस्जिद में होता है. अब यह मुद्दा तुल पकडता जा रहा है
क्या है हिंदू पक्ष की मांग
वही हिंदू पक्ष की ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर कई मांगें हैं. जिनमें सबसे पहले मस्जिद के अंदर पूजा-अर्चना करने की मांग की गई है. इसके अलावा मुस्लिमों का प्रवेश बंद करने और गुंबद को गिराए जाने की मांग भी है. हाल ही में दायर एक याचिका में ये भी कहा गया है कि ASI सर्वे को प्रभावित किए बगैर पूरी ज्ञानवापी मस्जिद परिसर को सील करने का आदेश जारी किया जाए, जिससे गैर हिंदुओं की तरफ से उन हिंदू चिह्नों, प्रतीकों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जा सके जो आयोग के सर्वेक्षण के दौरान पाए गए थे.
वाराणसी जिला अदालत के आदेश में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को यह बात पता करने के लिए सर्वे करने का निर्देश दिया था कि क्या ज्ञानवापी मस्जिद एक मंदिर पर बनाई गई थी? अब एक बार फिर सर्वे की इजाजत मिलने के बाद हिंदू पक्ष को उम्मीद है कि मस्जिद का सच सामने आएगा.
आइऐ जानते कि ज्ञानवापी के ASI सर्वे के दौरान क्या क्या होगा?
अदालत के आदेश पर अब ASI की टीम मस्जिद परिसर का सर्वे करेगी. हालांकि, ASI उस वजूखाने का सर्वे नहीं करेगी, जहां शिवलिंग मिलने का दावा किया गया था.
हिंदू पक्ष के वकील का कहना है कि ASI की टीम पूरे मस्जिद परिसर का सर्वे करेगी. हालांकि, सील्ड एरिया का सर्वे नहीं किया जाएगा
by Prime Tv Source
हाईकोर्ट के फैसले पर किसने क्या कहा?
यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, मैं आदेश का स्वागत करता हूं. मुझे विश्वास है कि ASI के सर्वेक्षण से सच्चाई सामने आएगी और इस विवाद का भी निस्तारण होगा.
AIMPLB सदस्य और इमाम ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने ज्ञानवापी के सर्वे के आदेश पर कहा कि मुस्लिम पक्ष इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगा. उन्होंने कहा, AIMPB इस पूरे मसले पर नजर रखे हुए है. कोर्ट ने मस्जिद को नुकसान पहुंचाने को मना किया है, इसका भी ध्यान रखा जाए. हम जल्द इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.
हिंदू पक्ष के वकील विष्णू शंकर जैन ने कहा, हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया है. साथ ही कहा है कि ASI सर्वे शुरू होना चाहिए और जिला अदालत का फैसला तत्काल प्रभाव से लागू है. कोर्ट ने हमारे दावे को स्वीकार कर लिया है. हमारा कहना था कि बिना नुकसान पहुंचाए सर्वे किया जाएगा. ASI ने भी कोर्ट में हलफनामा पेश किया है. कोर्ट ने कहा कि ASI के हलफनामे को न मानने की कोई वजह नहीं है. इसमें जिन टर्म्स का जिक्र है, उन्हीं के हिसाब से सर्वे किया जाए. उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि सर्वे होना चाहिए और जो भी हो सच या झूठ कोर्ट के सामने आना चाहिए.
सपा सांसद एसटी हसन ने कहा कि HC का फैसला मान्य है. उम्मीद है कि ASI सही सर्वे करेगा. इंसानियत को मिलाने की जरूरत है. वहीं, सीएम योगी के ज्ञानवापी को मस्जिद न कहने के बयान पर उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि 350 साल से वहां 5 वक्त की नमाज होती है, तो उसे मस्जिद न कहें तो क्या कहें
उन्होंने कहा, अदालत ने जो फैसला दिया उससे मानना होगा. सर्वे के दौरान उस स्मारक को कोई नुकसान न पहुंचे. जो भी सर्वे का फैसला होगा वह हम मानेंगे लेकिन यह फैसला सभी पक्षों को मानना होगा. हमारे देश को आज सांप्रदायिक सौहार्द्र और राष्ट्रीय एकीकरण की बहुत जरूरत है. हम में से किसी को भी ऐसे बयान नहीं देने चाहिए जिससे फासले बढ़ें.