West Asia Crisis: पश्चिम एशिया (West Asia) में लगातार बढ़ते तनाव ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंताएं बढ़ा दी हैं. हाल ही में ईरान द्वारा इजराइल पर हमले के बाद दोनों देशों के बीच टकराव गहराता जा रहा है. इस टकराव का असर न केवल इन दोनों देशों तक सीमित है, बल्कि इसका प्रभाव पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है. इसी संदर्भ में, भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 3 अक्टूबर को सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति की बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें पश्चिम एशिया में नए सिरे से पैदा हुए तनाव पर गहन चर्चा की गई.
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कैबिनेट समिति की बैठक: भारत की चिंता और भविष्य की रणनीति
बताते चले कि पीएम मोदी (PM Narendra Modi) की अध्यक्षता में बृहस्पतिवार को आयोजित इस उच्चस्तरीय बैठक में गृहमंत्री, रक्षामंत्री, विदेश मंत्री, वित्त मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार समेत प्रमुख अधिकारियों ने भाग लिया. बैठक का मुख्य उद्देश्य पश्चिम एशिया में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति का विश्लेषण करना और उसके भारत पर पड़ने वाले प्रभावों का आकलन करना था. बैठक में विशेष रूप से पेट्रोलियम उत्पादों के व्यापार एवं आपूर्ति पर तनाव का असर, क्षेत्रीय स्थिरता, और भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर इसके प्रभावों पर चर्चा की गई. भारत ने इस तनाव पर गहरी चिंता जाहिर की है और इस बात पर बल दिया है कि इस प्रकार के संघर्ष को और अधिक गंभीर रूप न दिया जाए. भारत ने सभी पक्षों से अपील की है कि वे इस संकट को बातचीत और कूटनीति के माध्यम से सुलझाएं.
वैश्विक प्रभाव और भारत के आयात-निर्यात पर संभावित असर
पश्चिम एशिया में चल रहे इस संघर्ष का असर सिर्फ उस क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है. यदि यह संघर्ष और बढ़ता है तो इसका असर पूरी दुनिया के व्यापार और आर्थिक स्थिरता पर पड़ेगा. विशेषकर भारत के लिए यह चिंता का विषय है, क्योंकि यह क्षेत्र भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. भारत अपने पेट्रोलियम उत्पादों का एक बड़ा हिस्सा पश्चिम एशिया से आयात करता है, और अगर वहां की सुरक्षा स्थिति और बिगड़ती है तो इसका असर भारत के आयात-निर्यात पर सीधा पड़ेगा.
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कार्गो माल ढुलाई और समुद्री मार्गों पर हमले की आशंका
भारत के आयात-निर्यात पर प्रत्यक्ष प्रभाव की संभावना को देखते हुए यह चिंता और भी बढ़ जाती है, क्योंकि पश्चिम एशिया के समुद्री मार्गों पर बढ़ते खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. लेबनान के ईरान समर्थित हिजबुल्लाह आतंकवादियों और यमन के हूती विद्रोहियों के बीच घनिष्ठ संबंध हैं। इन विद्रोहियों द्वारा लाल सागर और अदन की खाड़ी से गुजरने वाले व्यापारी जहाजों पर लगातार हमले किए जा रहे हैं. यदि ये हमले और तेज होते हैं, तो इसका सीधा असर कार्गो माल ढुलाई पर पड़ेगा.
पिछले साल अक्टूबर में हूती विद्रोहियों ने लाल सागर के माध्यम से गुजरने वाले व्यापारी जहाजों पर हमला करना शुरू किया था. इसके चलते वैश्विक व्यापार पर बुरा असर पड़ा और भारत की भी व्यापारिक गतिविधियों में भारी गिरावट देखी गई थी. भारत का पेट्रोलियम आयात इस अवधि में काफी हद तक प्रभावित हुआ। अगस्त 2023 के आंकड़ों के मुताबिक, भारत का पेट्रोलियम आयात 37.56 प्रतिशत गिरकर 5.96 अरब डॉलर रह गया था, जबकि पिछले वर्ष के इसी महीने में यह 9.54 अरब डॉलर था.
भारत की व्यापारिक निर्भरता
भारत के व्यापार के लिए पश्चिम एशिया (West Asia) के समुद्री मार्ग अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. स्वेज नहर के बाद, भारत अपना 50 फीसदी निर्यात लाल सागर मार्ग से करता है। ऐसे में, अगर हूती विद्रोही और अन्य समूहों द्वारा इस मार्ग पर हमले जारी रहते हैं, तो इसका सीधा असर भारत के व्यापारिक मार्गों पर पड़ेगा. यह न केवल माल ढुलाई की लागत को बढ़ाएगा, बल्कि आपूर्ति श्रृंखला में भी गंभीर व्यवधान पैदा करेगा. भारत की अर्थव्यवस्था काफी हद तक पेट्रोलियम उत्पादों के आयात पर निर्भर करती है, और यदि यह आपूर्ति बाधित होती है, तो घरेलू बाजार में ईंधन की कीमतें बढ़ सकती हैं. इससे भारतीय उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा, और महंगाई दर में भी इजाफा हो सकता है. इसके साथ ही, अन्य उत्पादों की कीमतों में भी बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे आर्थिक अस्थिरता पैदा हो सकती है.
भारत की अपील: कूटनीतिक समाधान की ओर कदम
पश्चिम एशिया (West Asia) में बिगड़ती स्थिति को देखते हुए भारत ने सभी संबंधित पक्षों से अपील की है कि वे आपसी विवादों को कूटनीतिक वार्ता के माध्यम से हल करें. भारत का मानना है कि यह संकट केवल सैन्य बल से हल नहीं किया जा सकता. इसके लिए सभी पक्षों को मिलकर एक स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में काम करना होगा. भारत, एक गैर-हस्तक्षेपकारी नीति का पालन करते हुए, हमेशा बातचीत और शांतिपूर्ण समाधान की वकालत करता रहा है। पश्चिम एशिया की मौजूदा स्थिति को देखते हुए, भारत का यह रुख और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। भारत ने पश्चिम एशिया के साथ अपने आर्थिक और राजनीतिक संबंधों को हमेशा प्राथमिकता दी है, और यही कारण है कि यह क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा के प्रति गंभीर चिंता जाहिर कर रहा है.
भारत के सामने चुनौतियां और संभावित कदम
पश्चिम एशिया (West Asia) में बढ़ते तनाव के बीच भारत के सामने कई चुनौतियां खड़ी हैं. क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति बिगड़ने से भारत के आयात-निर्यात पर सीधा असर पड़ेगा, खासकर पेट्रोलियम उत्पादों के क्षेत्र में. इसके साथ ही, समुद्री मार्गों पर बढ़ते खतरे से भारत के व्यापारिक हित भी प्रभावित हो सकते हैं. भारत की सरकार ने इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए सभी संभावित उपायों पर चर्चा की है. कैबिनेट समिति की बैठक में लिए गए निर्णय इस बात का संकेत हैं कि भारत न केवल इस संकट को निकटता से देख रहा है, बल्कि इसके प्रभावों को न्यूनतम करने के लिए ठोस कदम उठाने की तैयारी में है.