PM Modi : देश में पहले चरण के मतदान की तारीख बेहद करीब है. भाजपा अपने 400 पार के लक्ष्य को हासिल करने के लिए जी जान लगाकर चुनाव प्रचार कर रही है. बीते दिन भाजपा ने अपना संकल्प पत्र जारी किया. भाजपा ने संकल्प पत्र में युवाओं, महिलाओं, किसानों और गरीबों पर ध्यान केंद्रित किया है. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह भाजपा कार्यालय में मौजूद रहे. बीजेपी के संकल्प पत्र के सामने आते ही विपक्ष की ओर से इस पर टिप्पणियां भी शुरु हो गई. इसी बीच पीएम मोदी ने न्यूज एजेंसी को दिए एक इंटरव्यू में सनातन विरोधी टिप्पणियों और अयोध्या में राम मंदिर के प्रतिष्ठा समारोह का बहिष्कार करने के लिए विपक्षी दलों और उनके नेताओं की आलोचना की है.
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“मेरे पास बड़ी योजनाएं हैं”
आपको बता दे कि एक न्यूज एजेंसी को दिए गए इंटरव्यू में पीएम मोदी ने कहा कि, , “मेरे पास बड़ी योजनाएं हैं. किसी को डरने की ज़रूरत नहीं है. मेरे निर्णय किसी को डराने, दबाने के लिए नहीं हैं. वे देश के समग्र विकास के लिए हैं.”
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव‘ के गिनाए फायदे
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर प्रधानमंत्री मोदी ने दिए गए इंटरव्यू में कहा कि, “एक राष्ट्र एक चुनाव हमारी प्रतिबद्धता है. कई लोगों ने समिति को अपने सुझाव दिए हैं. बहुत सकारात्मक और नवोन्मेषी सुझाव आए हैं. अगर हम इस रिपोर्ट को लागू कर पाए तो देश को बहुत फायदा होगा.”
“कांग्रेस से पूछे ये सवाल”
डीएमके की हालिया ‘सनातन विरोधी’ टिप्पणी और उस पर जनता के आक्रोश पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “कांग्रेस से पूछा जाना चाहिए कि सनातन के खिलाफ इतना जहर उगलने वाले लोगों के साथ बैठना उनकी क्या मजबूरी है? कांग्रेस की मानसिकता में ये कौन सी विकृति है.”
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“हमारे यहां शब्दों के प्रति कोई ज़िम्मेदारी ही नहीं है”
कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “दुर्भाग्य से आज हमारे यहां शब्दों के प्रति कोई ज़िम्मेदारी ही नहीं है…मैंने एक नेता को कहते हुए सुना ‘एक झटके में मैं गरीबी हटा दूंगा’. जिनको 5-6 दशक तक देश पर राज करने को मिला और वे आज कहते हैं कि मैं एक झटके में गरीबी हटा दूंगा. उन्हें सुनकर लोग सोचते हैं कि ये क्या बोल रहे हैं. हम ‘प्राण जाए पर वचन न जाए’ की महान परंपरा से निकले हैं. नेताओं को जिम्मेदारी लेनी चाहिए. आज हम जो कहते हैं उस पर लोगों को भरोसा है.”
“विविधता हमारी ताकत है, हमें इसका जश्न मनाना चाहिए”
तथाकथित ‘उत्तर-दक्षिण विभाजन’ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “भारत को टुकड़ों में देखना भारत के प्रति नासमझी का परिणाम है. अगर आप हिंदुस्तान में देखें प्रभु राम के नाम से जुड़े हुए गांव सबसे ज्यादा कहां है? तो वो तमिलनाडु में है. अब आप इसको कैसे अलग कर सकते हैं. विविधता हमारी ताकत है, हमें इसका जश्न मनाना चाहिए.”
इलेक्टोरल बॉन्ड पर भी की चर्चा
इलेक्टोरल बॉन्ड पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, “लंबे समय से हमारे देश में चर्चा चली है कि चुनावों में काला धन एक बहुत बड़ा खतरनाक खेल हो रहा है. चुनाव में खर्च होता ही होता है. सभी पार्टियां करती हैं, इससे कोई इंकार नहीं कर सकता. मैं चाहता था कि हम एक कोशिश करें कि काले धन से चुनाव को मुक्ति कैसे मिले. एक छोटा सा रास्ता मिला जिसे संसद में सब ने सराहा था. यदि इलेक्टोरल बॉन्ड नहीं होते तो किस व्यवस्था में ताकत है कि वो ढूंढ के निकालते कि पैसा कहां से आया और कहां गया?
ये इलेक्टोरल बॉन्ड्स की सफलता की कहानी है कि इलेक्टोरल बॉन्ड्स थे, मेरी चिंता ये है कि मैं कभी नहीं कहता कि निर्णय लेने में कोई कमी नहीं है. निर्णय लेने में, हम सीखते हैं और सुधार करते हैं. इसमें भी सुधार के लिए बहुत संभवना है, लेकिन आज हमने देश को पूरी तरह से कालेधन की ओर धकेल दिया है इसीलिए मैं कहता हूं कि हर किसी को इसका पछतावा होगा.”
“नाच न जाने आंगन टेढ़ा”
विपक्ष के इस आरोप पर कि सभी संस्थाओं पर बीजेपी का कब्ज़ा है पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मंत्री ने कहा, “हमने चुनाव आयोग में सुधार किया है. एक कहावत है – नाच न जाने आंगन टेढ़ा इसलिए कभी ईवीएम का बहाना बनाएंगे. असल में हार के लिए उन्होंने अभी से कुछ तर्क गढ़ने शुरू कर दिए हैं.”
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एलन मस्क पर भी की बात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एलन मस्क के भारतीय बाजार में प्रवेश और रोजगार सृजन पर कहा, “एलन मस्क का मोदी समर्थक होना एक बात है, मूलतः वो भारत के समर्थक हैं. मैं चाहता हूं कि भारत में निवेश आना चाहिए. पैसा किसी का भी लगा हो, पसीना मेरे देश का लगना चाहिए, उसके अंदर सुगंध मेरे देश की मिट्टी की आनी चाहिए, ताकि मेरे देश के नौजवान को रोजगार मिले.”
राम मंदिर के मुद्दे का राजनीतिकरण किसने किया?
राम मंदिर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “इस मुद्दे का राजनीतिकरण किसने किया? वोट बैंक की राजनीति को मज़बूत करने के लिए इस मुद्दे को हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया गया और बार-बार इसे भड़काया गया. जब ये मामला अदालत में चल रहा था तब कोशिश की गई कि फैसला ना आए. उनके(विपक्ष) लिए यह एक राजनीतिक हथियार था.अब राम मंदिर बन गया तो उनके हाथ से यह मुद्दा ही चला गया है.”
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