उत्तर प्रदेश: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात माफिया संजीव जीवा की कोर्ट परिसर में दिनदहाड़े हुई हत्या की असली वजह माफिया गुटों की आपसी लड़ाई मानी जा रही है. जीवा की हत्या के बाद उसके दुश्मनों का पता लगा रही पुलिस भी अब इसी दिशा में अपनी जांच आगे बढ़ा रही है. अंडरवर्ल्ड में भी चर्चा है कि यह वारदात पश्चिमी और पूर्वांचल के माफियाओं के नए गठजोड़ के बाद एक दूसरे को दिया गया रिटर्न गिफ्ट है. जिसकी शुरूआत मुख्तार के करीबी शूटर मुन्ना बजरंगी की हत्या से हुई थी, और अब संजीव जीवा की बुधवार को कोर्ट परिसर में गोली मारकर हत्या की गई है।
यूपी के अंडरवर्ल्ड की गहरी जानकारी रखने वाले पुलिस अफसरों की मानें तो मुन्ना बजरंगी ने अपने साले पुष्पजीत को नए गैंग को संभालने का जिम्मा सौंपा था. जिसके बाद से पुष्पजीत ने कई बड़े माफियाओं को सीधे चुनौती देना शुरू कर दिया था. देवीपाटन मंडल के एक बाहुबली सांसद से कोयले की रैक उतारने को लेकर और पूर्वांचल के पूर्व बाहुबली सांसद से रेलवे के ठेकों को लेकर पुष्पजीत की तनातनी भी हुई थी. पूर्वांचल के पूर्व सांसद की मुख्तार और मुन्ना से पुरानी अदावत थी. जिसको लेकर दोनों ही गैंग एक दूसरे के करीबियों को ठिकाने लगाते रहे हैं।
आपको बताते चलें कि पश्चिमी और पूर्वांचल के माफियाओं के बीच हुई तनातनी में पुष्पजीत की हत्या ने बड़ा उलटफेर कर दिया था. मुन्ना इस झटके से जब तक उबर पाता उससे पहले ही बागपत जेल में सुनील राठी ने उसकी भी हत्या कर दी थी. चंद सालों के भीतर ही मुन्ना बजरंगी के सारे शूटरों को पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक माफिया की मदद से ठिकाने लगाया जाता रहा है. अब जीवो की हत्या भी इसकी अगली कड़ी मानी जा रही है. जानकारों के मुताबिक ये मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में हुई हत्या का सुनील राठी को दिया गया रिटर्न गिफ्ट है।