Waqf Amendment Bill: दिल्ली में वक्फ संशोधन बिल के विरोध में एक अहम बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के पदाधिकारियों के साथ कई अन्य संगठन और बुद्धिजीवी शामिल हुए। इस बैठक में मुस्लिम समुदाय की ओर से बिल के खिलाफ आवाज उठाई गई। नेताओं का मानना है कि यह बिल उनकी संपत्तियों पर कब्जा जमाने का प्रयास है, और इससे समुदाय की ज़मीनें छिनने का खतरा बढ़ गया है।
पूर्व सांसद ने दिया बयान, मचा विवाद
इस बैठक में राज्यसभा के पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब ने बयान दिया जो खासा विवादास्पद साबित हुआ। उन्होंने कहा, “हमने नेहरू और गांधी को चुना, अगर हमने जिन्ना की बात मानी होती तो पाकिस्तान का बॉर्डर लाहौर नहीं बल्कि लखनऊ तक होता।” उन्होंने अपने बयान में स्पष्ट किया कि मुसलमानों ने भारत में रहकर अपने देशभक्ति का प्रमाण दिया है। इसके बावजूद, वे आज अपने ही घर में ‘गुनाहगार’ जैसा महसूस कर रहे हैं। अदीब ने कहा कि भारत में रहकर उन्होंने जिन्ना को नहीं माना और देश में शांति और एकता के लिए नेहरू और गांधी के साथ रहने का फैसला किया था। उन्होंने दावा किया कि उनकी इस वफादारी के बावजूद सरकारें अब मुसलमानों को संदेह की नजर से देखती हैं और उन पर जुल्म कर रही हैं।
“हम पर बुलडोजर चल रहे हैं” – मोहम्मद अदीब
मोहम्मद अदीब ने कहा कि आज उनके घरों पर बुलडोजर चल रहे हैं, मस्जिदों और मदरसों पर कब्जा करने का प्रयास हो रहा है। उन्होंने कहा, “हमारे घरों और संपत्तियों को निशाना बनाया जा रहा है, जबकि हमने हमेशा देश की शांति और सद्भाव के लिए काम किया है। यह हमारे योगदान को नकारने जैसा है।” उन्होंने कहा कि वह और उनका समुदाय अपनी लड़ाई कानूनी तरीके से लड़ेगा और संविधान के दायरे में रहकर अपनी बात रखेगा। साथ ही, उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार उनके अधिकारों और योगदान को मान्यता देगी और मुस्लिम समुदाय पर हो रहे कथित जुल्म को रोकेगी।
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क्या है वक्फ संशोधन बिल
गौरतलब है कि वक्फ संशोधन बिल पर मुस्लिम समुदाय में असंतोष बढ़ता जा रहा है। इस बिल में कुछ ऐसे प्रावधान हैं जिनसे वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण का खतरा बताया जा रहा है। वक्ताओं का मानना है कि बिल से मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों और संस्थाओं पर अधिकार कम होने का डर है, और वे इसे अपने धार्मिक और सामाजिक अधिकारों का हनन मान रहे हैं।
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