Prime Chaupal: उत्तर प्रदेश के गांवों में कितना विकास हुआ इसकी पड़ताल करने जब हमारी टीम खुद ग्राउंड जीरों पर पहुंची तो गांवों की बदहाल स्थिति देखकर हमारे भी होश उड़ गए।गांवों में सरकार तमाम कल्याणकारी योजनाओं के लागू होने और उनके लाभ वहां के लोगों को देने का दावा करती हैं लेकिन असल में स्थिति आज भी ग्रामीण क्षेत्रों की जस की तस है।ऐसा हम नहीं बल्कि हमारे कैमरे में रिकॉर्ड वो तमाम तस्वीरें और वीडियो कह रहे हैं जिनके जरिए हम सरकार और उन जिम्मेदार लोगों की आंखों पर पड़ी पट्टी को हटाने का काम करने के लिए प्रयासरत हैं।
आजादी के 50 सालों बाद नहीं बदली गांवों की तस्वीर

आजादी के 50 साल बीत जाने के बाद भी ग्रामीण क्षेत्र अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं।गांव में विकास के दावे महज फाइलों में नजर आते हैं।सरकारें तमाम दावे करती है हमने गांव की तकदीर और तस्वीर दोनों बदल दी लेकिन गांव-गांव जाकर हमारी टीम ने उस सच से पर्दा हटाने की जिम्मेदारी ठानी है जिसको देखकर आप भी समझ जाएंगे गांवों में स्थिति क्या है?
सरकार की योजनाओं ने भी तोड़ दिया दम

गांव में आज भी लोग सरकार से मूलभूत सुविधाओं के लिए गुहार लगा रहे हैं।ये तस्वीरें हैं प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे मलिहाबाद के ग्राम पंचायत सहिजना की जहां ना आवास का पता ना पेंशन का लाभ ग्रामीणों को मिल रहा।सरकार की ओर से दी जाने वाली सारी कल्याणकारी योजनाओं ने यहां दम तोड़ दिया है।सालों पहले हिंदू सिनेमा में एक फिल्म जिसने जीवन की सच्चाई दिखाई रोटी,कपड़ा और मकान इंसान की यह तीन जरुरतें उसे संघर्ष करने के लिए मजबूर करती हैं।ऐसा ही कुछ हाल आज गांवों में लोगों का है।
मिलीभगत से हो रहा सरकारी पैसों का बंदर-बांट

ग्राम पंचायत सहिजना के ग्रामीण साफ सफाई से लेकर सड़क तक हर एक छोटी बड़ी समस्या से जूझ रहे हैं।यहां नालियों की सफाई करने वाले सफाईकर्मी भी महीनों-महीनों नदारद हैं।सरकार की अमृत सरोवर के नाम पर सरकारी पैसे का खूब बंदर-बांट हो रहा है।पंचायतों में स्वच्छ भारत अभियान के तहत करोड़ों रुपये खर्च कर कूड़ा निस्तारण केंद्र बनाए गए मकसद था कि,गांवों से निकलने वाले कूड़े से खाद बनाकर बिक्री से पंचायत की आय बढ़ाई जाएगी लेकिन, जिले में अधिकांश निस्तारण केंद्रों पर लटके ताले योजना को मुंह चिढ़ा रहे हैं।
गांव के गांव बदहाल,समस्याओं का जंजाल

कुछ ऐसा ही हाल कूड़ेघर में देखने को मिला जहां लटकता ताला बता रहा जिम्मेदारी लेने वाला कोई नहीं है।केंद्र सरकार की अमृत सरोवर योजना के तहत अमृत तो छोड़िए लोगों को पानी भी नसीब नहीं हो रहा है।गांव के गांव बदहाल हैं हर जगह समस्याओं का जंजाल है आखिर कब गांवों की तस्वीरें बदलेंगी ये देखने वाली बात होगी।