Uttarakhand : उत्तराखंड में पिरान कलियर शरीफ में हजरत साबिर मखदूम शाह का 755 वां उर्स शुरू हो चुका है।आपको बता दे कि रुड़की शहर के बाहरी इलाके में हजरत मखदूम अलाउद्दीन अली अहमद साबिर की दरगाह पर हर साल उर्स का आयोजन होता है।वहीं इसमें पाकिस्तान से बहुत लोग भी आते हैं। दरअसल कलियर शरीफ के 755वें उर्स में आए पाकिस्तानियों का शनिवार (30 सितंबर) को उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने स्वागत किया है।
आपको बता दे कि शादाब शम्स ने पाकिस्तान से आए इन 107 जायरीनों का स्वागत करते हुए उनको श्रीमद्भागवत गीता, गंगाजली रुद्राक्ष की माला और भगवा शॉल ओढ़ाकर उनका स्वागत किया है। वहीं रुड़की में सूफी संत हजरत मखदूम अलाउद्दीन अली अहमद साबिर के 755वें उर्स की शुरुआत पिरान कलियर शरीफ में सर्वधर्म सद्भावना सम्मेलन से हुई थी।
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पाक से 107 जायरीन का एक समूह आया है..
इस उर्स का आयोजन हर साल किया जाता है। आपको बता दे कि पिरान कलियर शरीफ में हर साल पाकिस्तान से भी जायरीन आते हैं। वहीं पिरान कलियर दरगाह पर आयोजित 755वें वार्षिक उर्स के लिए पाकिस्तान से 107 जायरीन का एक समूह मंगलवार को हरिद्वार पहुंचा था। पाकिस्तानी जायरीन हरिद्वार के रुड़की रेलवे स्टेशन पहुंचे थे, स्थानीय लोगों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया था।
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क्यो मनाते है वसुधैव कुटुम्बकम्..
वहीं वक्फ बोर्ड के अन्य सदस्य ने बताया कि हम लोग वसुधैव कुटुम्बकम् को मानते हैं। साबिर पाक भी पूरी दुनिया को अपना परिवार मानते थे। उन्हीं के पदचिन्हों पर चलते हुए हम इस बार पाक जायरीनों को एक-एक भगवद गीता और गंगाजल की गैलन देंगे। इससे दोनों धर्मों के बीच गंगा-जमुनी परम्परा को बढ़ावा मिलेगा और दोनों देशों के बीच चल रही दुश्मनी को कम किया जा सकेगा।
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755 साल से भी ज्यादा पुरानी है दरगाह..
गौरतलब है कि उत्तराखंड में पांचवें धाम के नाम से मशहूर साबिर मखदूम शाह की दरगाह हरिद्वार जिले के कलियर में मौजूद है। यह दरगाह 755 साल से भी ज्यादा पुरानी है। दरगाह की मान्यता न केवल देश बल्कि दुनिया के कई देश में है। बताया जाता है कि हर साल पाकिस्तान से भी सैकड़ों लोग इस दरगाह पर उर्स के मौके पर अपनी आस्था के कारण यहां पहुंचते हैं।