Uttrakhand: लोकसभा चुनाव आने में कुछ ही समय बाकी रह गया। लेकिन उससे पहले उत्तराखंड में नए जिलों की मांग एक बार फिर तेज हो गई। ऐसा माना जा रहा हैं कि आने वाले लोकसभा चुनाव में यह एक नया मुद्दा बन सकता हैं। बता दे कि काफी साल से कुमाऊं और गढ़वाल मंडल में 8 नए जिलों की मांग चली आ रही हैं।
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कांग्रेस नए जिलों के बनाने की वकालत कर रही
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि जब कांग्रेस और बीजेपी सत्ता में थी, तब से लेकर अब तक ऋषिकेश, पुरोला, काशीपुर, रूड़की, कोटद्वार, रानीखेत, डीडीहाट, रामनगर को नया जिला नहीं बनाया जा सका उत्तराखंड में अभी नैनीताल, हरिद्वार, चंपावत, चमोली, उधमसिंह नगर, बागेश्वर, टिहरी गढ़वाल, पौड़ी गढ़वाल, पिथौरागढ़, देहरादून, रूद्रप्रयाग, उत्तरकाशी समेत अल्मोड़ा कुल 13 जिले हैं।
लेकिन अगर नए जिलों की बात करें तो मुद्दा सिर्फ बयानबाजी तक सिमट जाता है। वहीं एक तरफ कांग्रेस नए जिलों के बनाने की वकालत कर रही है।
बीजेपी भी नए जिले गठन को तैयार दिख रही
वहीं अगर बीजेपी की बात करें तो दूसरी तरफ बीजेपी भी नए जिले गठन को तैयार दिख रही है। लेकिन बयानबाजी चुनाव के मद्देनजर की जाती है। लेकिन चुनाव के बाद नए जिलों का मुद्दा भुला दिया जाता है। कांग्रेस सरकार में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने नए जिले बनाने को लेकर 100 करोड़ का प्रस्ताव बनाया था, लेकिन कितना काम हुआ किसी को नहीं मालूम। अब लोकसभा चुनाव नजदीक आता देख एक बार फिर मुद्दे को गर्माने की कोशिश की जा रही है। उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति के कारण लोगों को खासी परेशानी होती है।
दूर दराज का सफर करने से छुटकारा मिलेगा
बता दे कि नए जिले बनने से लोगों को दूर दराज का सफर करने से छुटकारा मिलेगा, उनको परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। आपको बता दे कि कई जिलों के लोगों को मुख्यालय जाने में 200 किलोमीटर का सरकार करना पड़ता है। इलाज के लिए जिला अस्पताल जाने से बेहतर दूसरे प्रदेश जाना आसान होता है।
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कांग्रेस बीजेपी के दावे को कोरी बकवास बता रही
यही कारण हैं कि उत्तराखंड में नए जिले का बनना बेहद जरूरी है। वहीं बीजेपी का कहना है कि नए जिलों पर सरकार काम कर रही है। जल्द नए जिलों की रूप रेखा तैयार कर अमली जामा पहनाया जाएगा। वहीं कांग्रेस बीजेपी के दावे को कोरी बकवास बता रही है। उसका कहना है कि नए जिलों का निर्माण सत्ता में आने के बाद करेगी। उत्तराखंड में 2 बार कांग्रेस और 3 बार बीजेपी की सरकार रह चुकी है। अब दोनों पार्टियां लोगों को नए जिलों की सौगात नहीं दे सकी हैं। उत्तराखंड में एक नई कमिश्नरी भी बनाई जा सकती है. अब तक कुमाऊं और गढवाल कमिश्नरी हैं। नए जिलों का गठन के बाद तीसरी कमिश्नरी की मांग जोर पकड़ सकती है।