Dayasankar Singh: उत्तर प्रदेश देश की राजनीति में एक अहम भूमिका निभाता हैं। उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें हैं। 80 सीटों के साथ उत्तर प्रदेश की राजनीति में कई ऐसे बड़े नेता हैं, जिन्होंने अपने दम पर उत्तर प्रदेश जैसे सबसे बड़े राज्य में अपनी एक अलग पहचान बनकर उभरे हैं। जिसमें दयाशंकर सिंह का नाम सामने आता हैं। वर्तमान में दयाशंकर सिंह योगी सरकार में उत्तर प्रदेश परिवहन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का पद संभाल रहे हैं। दयाशंकर सिंह परिवहन मंत्री का पद संभालने के बाद से राजधानी बसों की सेवाओ को और बेहतर बनाने के लिए यात्रियों का फीडबैक लेने का निर्देश दिया है।
तो चलिए आज दयाशंकर सिंह के जन्म से लेकर राजनीतिक का सफर जानते हैं।
जानें दयाशंकर का जीवन परिचय
बता दे कि दयाशंकर का जन्म 27 जून 1972 बिहार के बक्सर जिले के राजपुर गांव में विंध्याचल सिंह के घर पर हुआ। जो कि बलिया से सटा हुआ है। उनकी पढ़ाई लिखाई और शुरुआती राजनीति बलिया से ही रही है। इनकी शैक्षिक योग्यता एमए, एलएलबी है। दयाशंकर ने साल 1998 लखनऊ विश्वविद्यालय से मध्यकालीन इतिहास में कला में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की है। दयाशंकर सिंह पेशे से एक व्यवसायी और वकील हैं, उन्होंने 18 मई 2001 को राजनीतिज्ञ स्वाति सिंह से शादी की और अप्रैल 2023 में उन्हें तलाक दे दिया।
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जाने कौन हैं दयाशंकर सिंह
दयाशंकर सिंह उत्तर प्रदेश सरकार के वर्तमान समय के परिवहन मंत्री है। उत्तर प्रदेश की नवगठित भारतीय जनता पार्टी नीत सरकार में पहली बार स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री बनाए गए। दया शंकर को राजनीतिक पृष्ठभूमि विरासत में ननिहाल से मिली। इनके मामा मैनेजर सिंह बैरिया विधानसभा सीट के कई बार विधायक हुए। अपने मामा मैनेजर सिंह से प्रभावित होकर दयाशंकर सिंह का जुड़ाव लखनऊ विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से हुआ। वह 1998 से 1999 तक लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष रहे। 2000 में उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा उत्तर प्रदेश का सचिव बनाया गया।
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दबंग छात्र नेता से दयाशंकर सिंह की राजनीति मे हुई शुरु
दयाशंकर सिंह ने अपने राजनीति करियर की शुरूआत छात्र नेता से की थी। लखनऊ विश्वविद्यालय में अपने कॉलेज के दिनों के दौरान वे RSS के छात्र विंग ABVP के सदस्य थे। 1997 से 1998 तक दयाशंकर लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के महासचिव रहे। वहीं 1998 से 1999 तक अध्यक्ष। साल 1999 का दयाशंकर से जुड़ा एक किस्सा है। उस समय यूपी में कल्याण सिंह की सरकार थी। लखनऊ यूनिवर्सिटी में हुए स्टूडेंट यूनियन के चुनाव। ABVP के कैंडिडेट थे दयाशंकर सिंह, कैंपस में उनकी दबंग छवि थी। यूनिवर्सिटी में दो गैंग चलते थे। ऐसे में सामने वाली गैंग के एक लड़के का 1998 में कत्ल हुआ। इसमें दयाशंकर सिंह के खिलाफ भी रिपोर्ट हुई, मगर पुलिस उन पर हाथ नहीं डाल पाई। दयाशंकर सीएम कल्याण सिंह के खास थे, कहा जाता है कि उन्हें बचाने के लिए जांच क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर कर दी गई।
2007 में बलिया से लड़ा पहला विधानसभा चुनाव
दयाशंकर ने 2007 में सदर विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा परंतु सफलता नहीं मिली। नगर सीट से भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह पहली बार जीत दर्ज कर विधायक बने, उन्होंने सपा के पूर्व मंत्री और दो बार के विधायक रहे नारद राय को 26,176 मतों से हरा दिया।उनका कहना है कि क्षेत्र का सर्वांगीण विकास किया जाएगा। बड़ी योजनाओं को जिले में क्रियान्वित किया जाएगा।
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मायावती के ऊपर की अभ्रद टिप्पणी
साल में दयाशंकर सिंह को 2015 में भाजपा का प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया, हालांकि इसी बीच उन्होंने उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती पर कथित विवादित टिप्पणी को लेकर सुर्खियों में आए थे। जिसके बाद पूरे प्रदेश में इनका विरोध हुआ था। बढ़ते विरोध को देखकर बीजेपी पार्टी ने उन्हें 6 साल के लिए दल से निष्कासित कर दिया। हालांकि, दयाशंकर सिंह ने बाद में अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांग ली थी। अभद्र टिप्पणी को लेकर उन्हें इस मामले में गिरफ्तार भी किया गया था। 2017 में भाजपा ने उत्तर प्रदेश की सत्ता में आने के बाद उनका निष्कासन रद्द कर दिया और उन्हें फिर से पार्टी का प्रदेश उपाध्यक्ष बना दिया गया।
बसों में अग्निशमन उपकरण हो मौजूद
प्रदेश में नगर निगम की बसों में अचनाक शार्ट सर्किट से आग लगने की कई घटनाएं सामने आती है। जिसमें कभी- कभी लोग आग की चपेट में आकर झुलस और मौते भी हो जाती है। बसों में आग लगने की घटनाओं के बाद शासन शख्त है। उत्तर प्रदेश के परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह ने परिवहन निगम के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं, कि निगम बसों में आग लगने की घटनाओं की रोकथाम हेतु सभी आवश्यक कदम उठाए जाएं, उन्होंने क्षेत्रीय प्रबंधक एवं सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक अपने स्तर से जांच करें कि बसों में सभी उपकरण सही काम कर रहे हैं या नहीं। बसों के अंदर कोई भी प्रतिबंधित, ज्वलनशील एवं विस्फोटक पदार्थ न हो। सभी यात्री बसों में अग्निशमन उपकरण होने चाहिए।
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100 किलोमीटर से अधिक दूरी न हो
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार परिवहन मंत्री के नेतृत्व में दिसंबर 2023 तक प्रदेश के सभी गांवों को परिवहन सेवा से जोड़ेगी। इसके लिए परिवहन निगम के सभी अफसरों को निर्देश दिया गया है। 4593 गांव सार्वजनिक परिवहन सुविधा से वंचित हैं। योगीराज में सशक्त हो चुकी परिवहन सेवा के जरिये यात्रियों की सुविधाओं पर पूरा फोकस किया जा रहा है। इसके साथ ही परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने बताया कि स्थलीय सर्वे व मार्ग के सृजन का प्रस्ताव करते हुए ध्यान दिया जाय कि सम्बन्धित मार्ग से अधिकतम 1 किलोमीटर दूरी वाले गांव ही सेवित माने जाएंगे। इससे अधिक दूरी के ग्रामों के लिये पृथक बस सेवा संचालित की जाएगी। मंत्री ने निर्देश दिए हैं कि इसे ध्यान में रखते हुए मार्गों का प्रस्ताव इस प्रकार तैयार किया जाए कि प्रस्तावित मार्ग की कुल दूरी 100 किलोमीटर से अधिक न हो।
किस मार्ग पर कितनी सीट क्षमता की बस का हो संचालन
यूपी परिवहन मंत्री दयाशंकर ने कहा कि किस सीट क्षमता की बस से सम्बन्धित मार्ग पर निरापद एवं सुरक्षित संचालन किया जा सकेगा। इसका भी सर्वे में ध्यान रखा जाय, उन्होंने कहा कि गांवों में बैलगाड़ी, ट्रैक्टर-ट्राली, और भारी वाहन आदि विपरीत दिशा से आने अथवा ओवरटेकिंग करने की स्थिति का समुचित संज्ञान लिया जाए, ताकि बस का संचालन सुगमता से हो सके।
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समय- समय पर बसो का करते है निरीक्षण
यूपी के परिवहन मंत्री दयाशंकर यात्रियों की सुविधाओं के लिए समय- समय पर जाकर बसों का निरीक्षण करते है। और यात्रियों के बारे में बसों में होने वाली असुविधाओं के बारे में जानकारी लेते है। इसके साथ ही बसों की सेवाओ को और बेहतर बनाने के लिए यात्रियों का फीडबैक लेने का निर्देश दिया है।
दयाशंकर सिंह एक वीडियो सामने आया था। जिसमें वह कहते हुए नजर आ रहे कि- ” नमस्कार! मैं परिवहन मंत्री हूँ…दयाशंकर सिंह ” कोई असुविधा तो नहीं आप लोगों को, सब ठीक है? सबके टिकट कटे हैं न? ये अनुबंधित है? इस तरह के सवाल किए। उसके बाद, उन्होंने कंडक्टर से टिकट गिनवाए और बस में मौजूद लोगों को जोड़ा। इस दौरान परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने बस के कंडक्टर व ड्राइवर के वर्दी न पहनने पर सवाल पूछते हुए कहा कि आप लोगों की वर्दी कहाँ है? अगली बार ऐसी गलती न हो वहीं, एक बुजुर्ग ने उनसे बस को मेंटेन करने की सलाह दी।