Brajesh Pathak: यूपी की राजनीति में कई ऐसे दिग्गज नेता हैं जिन्होंने अपनी उपलब्धियों से एक बड़े मुकाम को हासिल किया हैं। वहीं बात करें बीजेपी की सरकार में उप मुख्यमंत्री पद को सम्भाल रहे ब्रजेश पाठक की, तो उन्होंने अपने छात्र जीवन से ही राजनीतिक सफर की शुरूआत कर दी थी। इसी कारण उन्होंने अपने छात्र जीवन से आगे बढ़कर राजनीतिक जीवन में अपनी एक नई पहचान बनाई। बृजेश पाठक ने अपनी कड़ी मेहनत से देश के सबसे बड़े राज्य में एक अहम मुकाम हासिल किया हैं। ब्रजेश पाठक उत्तर प्रदेश की राजनीति में किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। राजनीतिक सफर में बृजेश पाठक कदम-कदम पर खुद को मजबूत भी कर रहे हैं।
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जाने कौन हैं ब्रजेश पाठक
यूपी के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। जिन्होंने अपने छात्र जीवन से ही राजनीतिक सफर की शुरूआत कर दी थी और उन्होंने देश के सबसे बड़े राज्य में एक अहम मुकाम हासिल किया हैं। साल 1990 में वह प्रतिष्ठित लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष थे। यही नही वे साल 1987 में वह लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के विधि संकाय के प्रतिनिधि भी रहे। उनका कबड्डी, वॉलीबॉल पसंदीदा खेल हैं।
ब्रजेश पाठक का पारिवारिक परिचय
ब्रजेश पाठक का विवाह 08 मार्च 1995 को नम्रता पाठक से हुआ, जो कि एक गृहिणी, सामाजिक कार्यकर्ता हैं। ब्रजेश पाठक के दो बेटे हैं। एक त्रयंबक पाठक और दूसरा कार्तिक पाठक। इसके साथ ही इनकी दो बेटी हैं, जिनका नाम वेदिका पाठक और शाम्भवी पाठक हैं।
आपको बता दे कि बसपा ने 2012 के विधानसभा चुनाव में ब्रजेश पाठक की पत्नी नम्रता पाठक को उन्नाव सदर विधानसभा सीट से टिकट दिया था। हालांकि उस चुनाव में नम्रता तीसरे नंबर पर रही थीं। यही नहीं मायावती की सरकार में नम्रता राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष रह चुकी हैं। तब उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया था।
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ब्रजेश पाठक का जीवन परिचय:
उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक जन्म 25 जून 1964 को उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के मल्लावां में सुरेश पाठक के घर हुआ था। ये पेशे से वकील हैं। इन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक (एलएलबी) की डिग्री प्राप्त कील हैं। वर्तमान में बृजेश पाठक यूपी के उप मुख्यमंत्री का पद सम्भाल रहे हैं साथ ही वे विधान, न्याय, ग्रामीण इंजीनियरिंग सेवा के कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्यरत हैं।
जानें उनका राजनीतिक सफर
बृजेश पाठक ने लखनऊ विश्वविद्यालय से विधि स्नातक (एलएलबी) की उपाधि हासिल की हैं। विश्वविद्यालय में छात्रसंघ की राजनीति में सक्रिय रहे और 1989 में छात्र संघ उपाध्यक्ष चुने गए हैं। जिसके बाद वे 1990 में छात्रसंघ का अध्यक्ष चुने गए। तभी से इनके राजनीतिक सफर की शुरुआत हो गई।
कांग्रेस छोड़ कर बसपा में शामिल हुए
सबसे पहले 2002 में विधानसभा चुनाव में बृजेश पाठक को कांग्रेस ने हरदोई के मल्लावां क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया था। जिसमें वे लगभग सवा सौ मतों के कम अंतर से पराजित हो गए थे। जिसके दो साल बाद वे कांग्रेस छोड़ कर बसपा में शामिल हो गए थे।
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक का कई बार भले ही किस्मत ने साथ न दिया हो लेकिन ब्रजेश पाठक की यूपी की राजनीति में एक अलग ही गूंज देखने और सुनने को मिली हैं। एक वक्त था जब बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती अपने करीब सतीश मिश्रा की मदद से सोशल इंजीनियरिंग का सुर-ताल बिठा रही थीं। तभी उनको ब्रजेश पाठक की राजनीति सियासत की भनक मिली तो उन्होंने 2004 में उलको पार्टी जॉइन करवा लिया।
जिसके बाद उसी साल लोकसभा चुनाव में बसपा ने उन्हें उन्नाव से टिकट दे दिया। फिर किस बात की देर थी उन्नाव से टिकट मिलते ही किस्मत ने उनका बहुत साथ दिया और किस्मत के साथ साथ उवकी मेहनत भी रंग लाई और तभी वे संसद तक पहुंच गए। फिर बसपा ने उन्हें लोकसभा में अपना उपनेता बना दिया।
बृजेश पाठक को बसपा से उम्मीदवार बनाया
फिर 2004 में जब लोकसभा चुनाव हुआ, तो बसपा ने उन्नाव संसदीय क्षेत्र से ब्रजेश पाठक को बसपा से उम्मीदवार बनाया। जिसमें उन्होंने जीत हासिल की। जिसके बाद बसपा प्रमुख मायावती ने उन्हें 2009 में राज्यसभा भेज दिया था। लेकिन इसके बाद 2014 में उन्नाव से दोबारा लोकसभा चुनाव में बसपा से उम्मीदवार बनाये गए। जिसमें उनको हार का सामना करना पड़ा। फिर इसके बाद वे भाजपा में शामिल हो गए।
बृजेश पाठक लखनऊ मध्य क्षेत्र से उम्मीदवार..
2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने बृजेश पाठक को लखनऊ मध्य क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया। जिसमें ब्रजेश पाठक ने समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री रविदास मेहरोत्रा को हराकर इस सीट को अपने नाम कर लिया। फिर 19 मार्च 2017 को योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बनी सरकार में कानून मंत्री बनाए गए थे। जो कि उनको लिए एक बहुत ही बड़ी उपलब्घि थी।
2022 को वह उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बने
21 अगस्त 2019 योगी सरकार का पहला कैबिनेट विस्तार हुआ जिसके बाद उनका पोर्टफोलियो बदलकर विधायी मंत्री कर दिया गया। जिसके बाद 25 मार्च 2022 को वह उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बन गए।
अपनी एक अलग ही पहचान बनाई..
बताते चले कि यूपी के मंत्रियों में ब्रजेश पाठक ने अपनी एक अलग ही पहचान बनाई हैं। बृजेश पाठक ने तमाम जिलों में जनप्रतिनिधियों के स्तर पर तमाम तरह की समस्याओं को हल किया हैं। इसके साथ ही उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने मोबाइल हेल्थकेयर यूनिट (एमएचयू) को हरी झंडी दिखाई।
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समाजसेवी के रुप में जनता की मदद की..
लगातार ब्रजेश पाठक की कड़ी मेहनत और लगन को देखते हुए जनता के साथ साथ भाजपा पार्टी उनकी लगातार सराहना करती रहती हैं। कोरोना काल में ब्रजेश पाठक ने एक समाजसेवी के रुप में जनता की मदद की, जिससे की उनके प्रशंशक भी बढ़ते रहते हैं। ब्रजेश पाठक स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर हमेशा सख्त रहते हैं। कई बार उन्होंने डाक्टरों के काम कोज को देखते हुए उनको निलंबित भी किया हैं। साथ ही आए दिन वे निरिक्षण भी करते रहते हैं। वे हमेशा जनता के हित में काम किया करते हैं। आने वाले लोकसभा चुनाव में ऐसी उम्मीद लगाई जा रही हैं कि बीजेपी उन्हें सांसदीय चुनाव के लिए एक अहम चेहरे के तौर पर चुनावी मैदान में उतार सकती हैं।