सुल्तानपुर संवाददाता- Ashutosh Srivastava
सुल्तानपुर जिले में रावण का पुतला दहन कर दुर्गा पूजा का त्यौहार मनाया जाता है। आपको बता दें कि देशभर में यहां की दुर्गा पूजा सबसे अलग है देश में जहां दशमी का दशहरा खत्म होता है, तो वही यहां रावण का पुतला दहन कर दुर्गा पूजा मिलेगी शुरुआत होती है।
सुल्तानपुर: गौरतलब है कि 1959 में ठठेरी बाजार में शुरू हुई दुर्गा पूजा पहली मूर्ति है। जिले में दुर्गा पूजा का शुभारंभ ठठेरी बाजार में भिखारी लाल सोनी व उनके सहयोगियों ने किया था। यहां से शुरू हुई दुर्गा पूजा का सिलसिला समय के साथ ही बढ़ता रहा दूसरी मूर्ति की स्थापना रह जाता गली में बंगाली प्रसाद सोनी ने 1961 में कराई थी वही 1970 में हुए दो प्रतिमाएं और जुड़ी इसके अगले वर्ष कालीचरण ने संतोषी माता और राजेंद्र प्रसाद रंजन सेठ निर्माण सरस्वती की प्रतिमा की स्थापना की थी।
एक अलग ही महत्व है…
1973 में श्री अष्टभुजी माता श्री अंबे माता श्री गायत्री माता श्री अन्नपूर्णा माता की स्थापना के साथ ही दुर्गा पूजा महोत्सव में तब्दीली होती गई। वही स्थानीय निवासी श्रद्धालु दिनेश कसौधन की माने तो सुल्तानपुर में दुर्गा पूजा का एक अलग ही महत्व है उन्होंने बताया मीडिया को धन्यवाद देते हुए कहा कि आप लोगों ने कोने में जाकर दुर्गा पूजा की हर एक प्रस्तुति के कर कर रहे हैं संपूर्ण भारत में प्रसिद्ध मंदिर का दूसरा रुपया देखने को मिलता है।
संपूर्ण जगह पर दुर्गा पूजा विसर्जन…
जो लोग वहां पर दर्शन नहीं कर पाए वह हेलो यही ही दर्शन कर उनका भरपूर आनंद उठाते हैं जैसे कि चंद्रयान का यहां प्रतिरूप देखने को मिला सुल्तानपुर के छोटे-छोटे बच्चों द्वारा चंद्रयान तैयार कर प्रस्तुति की गई जैसा कि जानते हैं भारत में अभी कुछ पहले ही चंद्रयान पर पहुंचकर अपना नाम रोशन किया था जैसा कि जानते हैं संपूर्ण जगह पर दुर्गा पूजा विसर्जन हो जाता है उसे दिन से यहां की दुर्गा पूजा शुरू होती है और यह पूर्णमतक चलता है उसके बाद गोमती नदी में विसर्जन किया जाता है।
एक पंडाल पर अलग-अलग तरह के सजावट…
वही श्रद्धालु पूर्णिमा सिंह ने बताया कि यह दुर्गा पूजा की तैयारी पहले से ही शुरू हो जाती है और अन्य जगहों की अपेक्षा यहां पर बहुत ही बेहतर तरीके से दुर्गा पूजा मनाया जाता है जबकि हर एक पंडाल पर अलग-अलग तरह के सजावट और मां की प्रतिमा स्थापित की गई है और यहां पर तो चंद्रयान के भी प्रतिरूप स्थापित कर दुर्गा पूजा में चार चांद लगाया है।