लखनऊ संवाददाता- मोहम्मद कलीम
- पांच माह पहले निजी अस्पतालों पर चला अभियान बेनजीता
Lucknow: राजधानी में डेंगू व तेज बुखार फैलने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग के अफसर बेपरवाह बने हुए हैं। इन बीमारियों में निजी अस्पतालों में मरीजों से जमकर वसूली हो रही है। ग्रामीण इलाकों में तो झोलाछाप डॉक्टरों की वजह से मरीज जान देने को मजबूर हैं। हालात यह है कि छापामारी से पहले ही झोलाछाप डॉक्टर शटर गिराकर भाग जाते हैं।
सीएमओ कार्यालय में बैठे कुछ अफसर व कर्मचारियों की निजी अस्पतालों के संचालकों व झोलाछाप डॉक्टरों से सांठ गांठ है। जिसकी वजह से हर बार छापा मारने वाली टीम बैंरग वापस लौट आती है। वहीं लखनऊ के करीब 1300 निजी अस्पताल-क्लीनिक का पंजीकरण सीएमओ आफिस में हैं। जबकि 100 से अधिक अस्पताल व नर्सिंग होम बिना पंजीकरण के संचालित हो रहे हैं।
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कार्रवाई करने का निर्देश जारी किया
डिप्टी सीएमओ डॉ.एपी सिंह को निजी अस्पतालों का नोडल अफसर बनाया गया है। उन पर निजी अस्पतालों में सभी प्रकार की शिकायतों को निपटाने व कार्रवाई की जिम्मेदारी है। पर, जमीनी स्तर पर मामला शून्य है। स्वास्थ्य विभाग ने शहर में अवैध चल रहे निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम के खिलाफ 6 जून से 20 जून तक विशेष अभियान चलाया। सीएमओ ने ग्रामीण व नगर के सभी सीएचसी प्रभारियों से उनके इलाके में संचालित निजी अस्पतालों व नर्सिंग होम का ब्योरा मांगा गया था। अभियान में बिना पंजीकरण व मानक पूरे न करने वाले अस्पतालों को सील करने के साथ ही इनके संचालकों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश जारी किया गया।
केवल कागजों पर ही विशेष अभियान चला
नोडल अफसर डॉ. एपी सिंह ने सभी सीएचसी प्रभारियों को उनके क्षेत्र में संचालित निजी अस्पतालों का ब्योरा मांगा था। छह जून से केवल कागजों पर ही विशेष अभियान चला। यहां तक कि मानक भी परख लिए गए। बिना पंजीकरण वाले अस्पतालों को सील करने के साथ उनके संचालकों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश था। कहा था कि बिना विशेषज्ञ डॉक्टर के इमरजेंसी- आईसीयू का संचालन करने वालों पर भी कार्रवाई होगी। पर, कोई खास कार्रवाई नहीं हुई। अगर पांच माह पहले कार्रवाई हुई होती तो आज मरीजों को राहत मिलती। इस मामले में डॉ. एपी सिंह से कई बार सम्पर्क किया गया लेकिन उन्होंने अंजान नम्बर बताते हुए फोन काट दिया।