- जलायी अगर पराली, तो ₹2500 से ₹15000 तक लगेगा जुर्माना
- पराली जलाना एक दंडनीय अपराध है।
कुशीनगर संवाददाता: ज्ञानेश्वर बरनवाल
कुशीनगर: पराली ना जलाने के दृष्टिगत किसानों को जागरूक करने हेतु प्रचार वाहन को जिलाधिकारी उमेश मिश्रा द्वारा कलेक्ट्रेट परिसर से हरी झंडी दिखाकर जनपद में प्रचार प्रसार के दृष्टिकोण से रवाना किया गया। उन्होंने कहा कि खरीफ मौसम समाप्ति की ओर है और धान फसल की कटाई पूरे जनपद में प्रारंभ हो चुकी है। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण द्वारा पराली जलाने को दंडनीय अपराध घोषित किया गया है। धान की फसल को कंबाइन से काटने के लिए कंबाइन हार्वेस्टर के साथ किसी एक फसल अवशेष प्रबंधन यंत्र का उपयोग किया जाना अनिवार्य है। अन्यथा की दशा में कंबाइन हार्वेस्टर को सीज कर दिया जाएगा। इसमें लिप्त कृषकों पर ₹2500 से ₹15000 तक जुर्माना का प्रावधान है।
सड़ा कर खाद बना सकते
उप कृषि निदेशक आशीष कुमार ने कहा कि किसान बंधु अपनी पराली को बायो डिकंपोजर के माध्यम से सड़ा कर खाद बना सकते हैं। पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए तहसील स्तर एवं विकासखंड स्तर पर टीमों का गठन किया गया है, जो निरंतर भ्रमणशील रहकर ऐसे कृत्य करने वाले किसानों के खिलाफ कार्यवाही करेगी। कृषकों को जागरूक करने के लिए कृषि विभाग द्वारा वॉल पेंटिंग एवं होर्डिंग के द्वारा भी इसका प्रचार प्रसार किया गया है एवं पूरे जनपद में लगभग 35000 बायो डीकंपोजर का निशुल्क वितरण किया जा रहा है।
सभी किसान भाइयों से अनुरोध किया
उन्होंने जनपद के सभी किसान भाइयों से अनुरोध किया है कि वे अपने धान की फसल के अवशेष को ना जलाएं एवं वातावरण को प्रदूषण से मुक्त रखने में अपना सहयोग प्रदान करें। इस मौके पर उप कृषि निदेशक आशीष कुमार, जिला कृषि अधिकारी डॉक्टर मेनका एवं कृषि विभाग के अधिकारी/कर्मचारी एवं जनपद स्तरीय अधिकारी उपस्थित रहे।