Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश में शराब का सेवन करने वालों की संख्या 4 करोड़ 2 लाख है, जिसमें 10 वर्ष से 75 वर्ष की आयु के लोग शामिल हैं. प्रदेश की कुल जनसंख्या का 23.8 प्रतिशत लोग अल्कोहल का प्रयोग कर रहे हैं. इस आंकड़े के साथ उत्तर प्रदेश उन दस शीर्ष राज्यों में प्रथम स्थान पर है जहां 16 करोड़ लोग शराब की समस्या से ग्रसित हैं. हालांकि, यह आंकड़ा पांच वर्ष पुराना है, लेकिन नेशनल ड्रग डिपेंडेंसी ट्रीटमेंट सेंटर और ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के अद्यतन सर्वे और स्टडी में यह रिपोर्ट बताई गई है. साल 2019 के बाद से इसको लेकर कोई नया सर्वे नहीं किया गया है.
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नशे को बढ़ावा नहीं देता आबकारी विभाग: मंत्री नितिन अग्रवाल
मादक पदार्थों का दुरुपयोग और अवैध व्यापार विरोधी अंतरराष्ट्रीय दिवस पर बुधवार को मद्यनिषेध विभाग की ओर से अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, गोमतीनगर में आयोजित संगोष्ठी में आबकारी और मद्यनिषेध मंत्री नितिन अग्रवाल ने युवाओं में नशे की बढ़ती लत पर चिंता जताई. उन्होंने नशा मुक्त भारत अभियान को आगे बढ़ाने पर जोर दिया और कहा कि आबकारी विभाग किसी भी तरह के नशे को बढ़ावा देने के लिए कोई कार्य नहीं करता है. नशे का कारण लाइफस्टाइल, पीयर प्रेशर, अकेलापन सहित कई कारक हो सकते हैं. उन्होंने लोगों को नशे के खिलाफ जागरूक करने की आवश्यकता पर जोर दिया.
समाज कल्याण विभाग का जागरूकता अभियान
समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. हरिओम ने किशोरावस्था में अधिक सजग रहने पर जोर दिया. आपको बता दे कि आंकड़ों के अनुसार, 28 लाख लोग कैनेबिस का उपयोग करते हैं, 10.7 लाख लोग मादक द्रव्य का प्रयोग करते हैं, 3.5 लाख लोग सिडेटिव्स और शामक औषधियों का नशा करते हैं, 94 हजार बच्चे इनहेलेंट की गिरफ्त में हैं, और एक लाख लोग नशे के लिए इंजेक्शन लेते हैं.
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संपूर्ण समाज को जागरूक करने की आवश्यकता
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश में नशे की समस्या गंभीर है और इसे नियंत्रित करने के लिए समाज के हर वर्ग को जागरूक करना बहुत ही आवश्यक है. नशा मुक्त भारत अभियान को सशक्त रूप से आगे बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि प्रदेश की युवा पीढ़ी को नशे के चंगुल से बचाया जा सके.
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