Weather Update: कानपुर और गंगा-यमुना क्षेत्र इस समय भीषण लू की चपेट में है. इसके साथ ही सोमवार को पश्चिम से पूरब की ओर बह रही पछुआ हवा की औसत गति भी रविवार के मुकाबले 7.1 किमी से बढ़कर सोमवार को 9.1 किमी प्रति घंटा हो गई. इससे पछुआ के कमजोर होने से पुरवा हवा चलने की जो उम्मीद थी, वह भी टूट गई है. अब अगले तीन दिन तक मौसम में नरमी के कोई आसार नहीं हैं.
हीट स्ट्रोक से जा रही लोगों की जान
बताते चले कि इस समय देश के राज्य भीषण गर्मी की मार वाराणसी में हीट स्ट्रोक से सोमवार देर रात तक 32 लोगों की मौत हो गई है, और चिकित्सकों का मानना है कि इसमें शारीरिक कमजोरी और अस्वस्थता मुख्य कारण है. लू या तपिश से होने वाली मौत की पुष्टि पोस्टमार्टम से ही की जा सकती है, जिसमें मृतकों के शरीर में तापमान और अन्य शारीरिक प्रतिक्रियाएं जांची जाती हैं.
कानपुर में 16 मौतें
कानपुर में 16 मौतें होने की खबर सामने आई है. इनमें तीन शव स्टेशन में मिले हैं. फतेहपुर में पिता-पुत्र समेत आठ लोगों की मौत होने की सूचना मिली है. अंशू दुबे की बुखार आने के बाद बेहोश हो जाना और उनकी बाद में मौत की खबर ने परिजनों को तोड़ कर रख दिया है. 62 वर्षीय पिता इकलौते बेटे के शव का अंतिम संस्कार लौटे तो लू लगने से उनकी भी मौत हो गई.
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कहां कितनी हुई मौतें ?
हमीरपुर में 15, चित्रकूट में 12, और बांदा में 10 लोगों ने अपनी जान गंवा दी है. उन्नाव और कन्नौज में तीन-तीन लोगों की मौत हुई है, औरैया और महोबा में दो-दो, कानपुर देहात और इटावा में एक-एक व्यक्ति की मौत हो गई है. चंदौली में पांच, गाजीपुर में चार, और मीरजापुर में पांच लोगों की भी मौत हुई है. इस अप्रत्याशित हालत में, जिन लोगों ने अपनी जानों को खो दिया है, उनके परिवारों और आसपासी लोगों के लिए यह वाकई एक विपदा है.
मानसून का सभी को इंतजार
पश्चिम बंगाल और बिहार के पूर्वी हिस्सों में मानसून का आगामी होने का सभी लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे है. शनिवार को पछुआ की गति में वृद्धि होने के बाद, रविवार को इसकी गति कम हुई, जिससे मौसम विज्ञानियों की मानसून के उत्तरी राज्यों की ओर खिसकने की उम्मीद थी. लेकिन सोमवार को यह उम्मीदें नाकामी में बदल गईं. कई जिलों में सोमवार को अधिकतम तापमान सामान्य से चार से नौ डिग्री तक ऊपर चला गया, जो आम तापमान से अधिक था.
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कब तक बनी रहेगी गर्मी की स्थिति?
मौसम विज्ञानी डा. एसएन सुनील पांडेय ने बताया कि इसकी वजह है कि हर साल 17 जून के आसपास मानसून का असर दिखने लगता था और तापमान नियंत्रित रहता था. इस साल भीषण गर्मी की स्थिति अभी कम से कम तीन दिन बनी रहेगी.