Doctors dismissed in UP: उत्तर प्रदेश सरकार ने ड्यूटी में लापरवाही और लगातार अनुपस्थिति के चलते 15 चिकित्सकों पर सख्त कार्रवाई की है। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक (Deputy CM Brajesh Pathak) ने इन सभी डॉक्टरों को बर्खास्त करने के निर्देश दिए हैं। इनमें से एक चिकित्सक पहले ही निलंबित किए गए थे। जांच में दोषी पाए जाने पर अब उन्हें बर्खास्त करने का आदेश दिया गया है। डॉ. अरशद जमाल की लगातार अनुपस्थिति के चलते उन्हें पहले निलंबित किया गया था। अब मंडलीय अपर निदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, गोरखपुर की जांच रिपोर्ट के आधार पर उन्हें बर्खास्त करने के निर्देश दिए गए हैं।
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बर्खास्त किए गए चिकित्सकों की सूची
बर्खास्त किए गए चिकित्सकों में आगरा के डॉ. विवेक शाक्य, उरई, जालौन की डॉ. नीता वर्मा, इटावा के डॉ. समीर गुप्ता, अलीगढ़ के डॉ. अंकुर जैन, अंबेडकर नगर के डॉ. शाहीन खान, गोरखपुर के डॉ. ब्रिटिका प्रकाश, कुशीनगर के डॉ. आकृति, बांदा के मोहम्मद कासिफ सिद्दीकी, प्रयागराज के डॉ. नेहा जायसवाल, हरदोई के डॉ. उपेंद्र सिंह, सीतापुर के डॉ. रोहित ऐलानी, सीतापुर के डॉ. आशीष रंजन, गोंडा के डॉ. सोनल आनंद, महाराजगंज के डॉ. अरशद जमाल शामिल हैं।
अन्य चिकित्सकों पर अनुशासनिक कार्रवाई
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने ड्यूटी में लापरवाही बरतने के आरोप में 10 अन्य चिकित्सकों को आरोप पत्र दिया है। इनके खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई करने के निर्देश प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) को दिए गए हैं। इनमें गोरखपुर के डॉ. विजय कुमार चौधरी, सीतापुर के डॉ. पवन अवस्थी, मुरादाबाद के डॉ. मोहम्मद शबाब खान, उन्नाव के डॉ. अजय प्रताप सिंह, इटावा के डॉ. पवन प्रताप सिंह, कुशीनगर के डॉ. अजीत कुमार चौधरी, बदायूं के डॉ. राजवीर सिंह, सीतापुर के डॉ. भरत कुमार सिंह, उन्नाव के डॉ. रितिका सचान, सहारनपुर के डॉ. राधेश्याम सैनी शामिल हैं। चिकित्सा सेवा एक महत्वपूर्ण सेवा है और इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही या अनुपस्थिति बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
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मुख्य चिकित्सा अधीक्षक पर भी गिरी गाज
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, उसका बाजार, सिद्धार्थनगर में तैनात डॉ. रेखा सिन्हा के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है। सर्जन होने के बावजूद चार-पांच वर्षों से कोई सर्जरी न किए जाने के चलते उनके खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। रामपुर में कार्यरत मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विनीता चतुर्वेदी के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है। मुख्यालय में आवासित न रहने, चिकित्सालय के रखरखाव में लापरवाही और अधीनस्थों पर प्रभारी नियंत्रण न रख पाने के चलते उनके खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
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