कुशीनगर संवाददाता- ज्ञानेश्वर बरनवाल
Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश में स्कूली बच्चों से भरे ई-रिक्शा को स्कूली वाहन के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। यही वजह है कि यूपी में कई हादसे हो चुके है.कानपुर से लेकर बनारस, हाथरस, नोएडा, सहारनपुर, गढ़मुक्तेश्वर समेत कई शहरों में ई-रिक्शा दुर्घटनाग्रस्त होने से मासूमों पर कहर टूट चुका है। दर्दनाक हादसों के बावजूद कुशीनगर में ई-रिक्शा बेरोकटोक स्कूली बच्चों को ढो रहे हैं।
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बेरोकटोक स्कूली बच्चों को ढो रहे
यूपी के कई शहरों में स्कूली बच्चों से भरे ई-रिक्शा दुर्घटनाग्रस्त हादसों के बावजूद कुशीनगर में बेरोकटोक स्कूली बच्चों को ढो रहे हैं। गंभीर सवाल ये उठता है कि परिवहन विभाग स्कूल के अन्य वाहनों की जांच करता है मगर जांच नहीं होती। वैसे भी स्कूली बच्चों के लिए अलाउड नहीं हैं, फिर भी संबंधित विभाग आंखें बंद किेए रहते हैं।वैसे तो स्कूली वाहनों से ही बच्चों को घर से स्कूल लाने-ले जाने अनुमति दी गई है। बावजूद इसके शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र की सड़कों पर स्कूली बच्चों को ढोने वाले वाहनों की भरमार है।
ई-रिक्शा सबसे खतरनाक साधन
इसमें ऑटो और ई-रिक्शा सबसे खतरनाक साधन है। कुशीनगर के एआरटीओ मोहम्मद आजिम इस क्रम में अभियान चला कर ऐसे वाहनों के चालान कर कार्यवाही कर रहे है.लेकिन अभियान चलाये जाने के बावजूद भी चौंकाने वाली तस्वीर रोजाना सामने आ रही है.स्कूल पहुंचने वाला हर पांचवां व्हीकल या तो ऑटो होता है या फिर जो बच्चों को घर से स्कूल और स्कूल से घर तक बेधड़क, बेखौफ होकर आते-जाते दिख रहे है। जबकि अधिकतर ई-रिक्शा की स्टेयरिंग पर अनाड़ी और नाबालिगों के हाथों में देखने को मिल रही है।