UP Train Derail: उत्तर प्रदेश के कानपुर में गोविंदपुरी-भीमसेन रेलवे लाइन पर एक बार फिर सिलिंडर मिलने का मामला सामने आया है। रविवार को पुष्पक एक्सप्रेस के लोको पायलट एके भसीन ने रेलवे ट्रैक पर अग्निशमन सिलिंडर (fire extinguisher) देखा और तुरंत इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन रोकी। सिलिंडर को उठाकर सेंट्रल स्टेशन पहुंचाया गया और आरपीएफ के हवाले कर दिया गया। बताया जा रहा है कि यह सिलिंडर कुछ देर पहले वहां से गुजरी कुशीनगर एक्सप्रेस से गिरा था। सिलिंडर कैसे ट्रैक पर आया, इसकी जांच की जा रही है।
चौथी बार सामने आया ऐसा मामला
यह घटना कानपुर-झांसी रूट पर हुई, जहां सिलिंडर मिलने से पहले भी तीन ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। इससे पहले साबरमती एक्सप्रेस, अनवरगंज-कासगंज रेलवे लाइन पर कालिंदी एक्सप्रेस और कानपुर-फतेहपुर रेलवे लाइन पर प्रेमपुर स्टेशन के पास इसी तरह की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। पुष्पक एक्सप्रेस से पहले कुशीनगर और गोरखपुर एक्सप्रेस भी इस ट्रैक से गुजरी थीं।
कैसे पता चला सिलिंडर का?
रविवार सुबह 4:14 बजे, लोकमान्य तिलक टर्मिनल से लखनऊ जा रही पुष्पक एक्सप्रेस भीमसेन स्टेशन से गोविंदपुरी की ओर बढ़ रही थी। इसी दौरान ट्रेन के लोको पायलट एके भसीन को ट्रैक पर सिलिंडर जैसा कुछ नजर आया। उन्होंने इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन रोकी और देखा कि ट्रैक पर रेलवे का अग्निशमन सिलिंडर पड़ा था। उन्होंने तुरंत इसकी सूचना रेलवे अधिकारियों को दी और सिलिंडर को सेंट्रल स्टेशन ले जाकर आरपीएफ को सौंप दिया।
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जांच में सामने आई जानकारी
जांच के दौरान पता चला कि यह फायर सेफ्टी सिलिंडर गोरखपुर के सीनियर सेक्शन इंजीनियर की ओर से जारी किया गया था और इसमें जीकेपी (गोरखपुर) लिखा था। उत्तर मध्य रेलवे के पीआरओ अमित सिंह ने बताया कि सिलिंडर रेलवे का ही है और इसके ट्रेन से गिरने की संभावना है। फिलहाल कैरिज एंड वैगन विभाग इस मामले की जांच कर रहा है।
500 मीटर दूर गोविंदपुरी स्टेशन से मिला सिलिंडर
झांसी-कानपुर रूट पर जिस जगह यह सिलिंडर मिला, वहां से गोविंदपुरी स्टेशन की दूरी करीब 500 मीटर है। अगर यह सिलिंडर ट्रेन के इंजन से टकरा जाता, तो बड़ा धमाका हो सकता था। सिलिंडर अग्निरोधी रसायन से भरा था, जिसे आग बुझाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इंजन से टकराने या उस पर दबाव बढ़ने पर सिलिंडर फट सकता था। लोको पायलट की सूझबूझ से यह हादसा टल गया।
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पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं
इससे पहले 16 अगस्त की रात भीमसेन स्टेशन के नजदीक साबरमती एक्सप्रेस बोल्डर से टकराकर पटरी से उतर गई थी। इसके बाद 8 सितंबर को अनवरगंज-कासगंज रूट पर कालिंदी एक्सप्रेस भी एलपीजी सिलिंडर से टकरा गई थी। 21 सितंबर को कानपुर-फतेहपुर रेलवे लाइन पर प्रेमपुर स्टेशन के पास पांच लीटर क्षमता वाला एक खाली एलपीजी सिलिंडर मिला था। इन सभी घटनाओं में पुलिस, आरपीएफ और खुफिया एजेंसियां जांच कर रही हैं।
जांच के दायरे में कई विभाग
फायर सेफ्टी सिलिंडर कैसे गिरा, इसे लेकर रेलवे का कैरिज एंड वैगन विभाग, आरपीएफ, जीआरपी और अन्य विभाग जांच में जुटे हैं। कई टीमों को इस जांच के लिए तैनात किया गया है और सभी मिलकर अपनी संयुक्त रिपोर्ट देंगे। डिप्टी सीटीएम आशुतोष सिंह ने कहा कि मंडल की ओर से जांच जारी है और जल्द ही संयुक्त रिपोर्ट पेश की जाएगी।
क्या शरारत के तहत गिराया गया सिलिंडर?
आरपीएफ के सीनियर कमांडेंट विजय प्रकाश पंडित ने बताया कि सिलिंडर कुशीनगर एक्सप्रेस से गिरा है, लेकिन इसके गिरने की असल वजह की जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि घटना के पीछे शरारत से भी इनकार नहीं किया जा सकता। आरपीएफ और जीआरपी स्टाफ ने भीमसेन से गोविंदपुरी के बीच पेट्रोलिंग करने वाले ट्रैकमैन और अन्य कर्मचारियों से पूछताछ की है। जीआरपी स्टाफ राकेश यादव और ट्रैकमैन करण से भी जानकारी ली गई है, जो रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक ड्यूटी पर थे। रेलवे की सुरक्षा को लेकर यह चौथी घटना सामने आई है, जिसमें लगातार जांच चल रही है। सभी एजेंसियां और विभाग इस मामले की तहकीकात कर रहे हैं कि सिलिंडर जानबूझकर फेंका गया था या किसी की गलती से गिरा था।