UP News:दिल्ली एनसीआर की तर्ज पर यूपी की योगी सरकार उत्तर प्रदेश में लखनऊ एससीआर स्टेट कैपिटल रिजन बनाने पर तेजी से काम कर रही है.सरकार ने लखनऊ से सटे हरदोई,उन्नाव,सीतापुर,बाराबंकी और रायबरेली को मिलाकर एससीआर बनाने का फैसला किया है.
एनसीआर की तर्ज पर यूपी में बनाए जा रहे एससीआर के गठन के लिए अधिसूचना जारी कर दी गई है.योगी सरकार की इस अधिसूचना के मुताबिक 27 हजार 860 वर्ग किमी क्षेत्र अधिग्रहित किया जाएगा.राज्य राजधानी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष सीएम योगी आदित्यनाथ होंगे जबकि मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह को उपाध्यक्ष बनाया गया है।
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NCR की तर्ज पर बनेगा UP-SCR
उत्तर प्रदेश राज्य राजधानी क्षेत्र में लखनऊ के अलावा 5 अलग-अलग जिलों को शामिल किया गया है जिसमें हरदोई,उन्नाव,बाराबंकी,सीतापुर और रायबरेली हैं इन सभी जिलों से कुछ जमीन को अधिग्रहण किया जाएगा.जिसमें से राजधानी लखनऊ की 2528 वर्ग किमी जमीन अधिग्रहण की जाएगी ये सभी 5 जिलों में सबसे कम क्षेत्रफल है.इसके अलावा हरदोई से एससीआर के क्षेत्र में 5986 वर्ग किमी,सीतापुर से 5743 वर्ग किमी जमीन अधिग्रहित की जाएगी,बाराबंकी से 4402 वर्ग किमी,उन्नाव की 4558 वर्ग किमी और रायबरेली की 4609 वर्ग किमी जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा।
कुल 27,860 वर्ग किमी क्षेत्र अधिग्रहण करेगी सरकार
आपको बता दें कि,लखनऊ समेत 5 जिलों को मिलाकर एससीआर क्षेत्र बनाने के लिए सरकार कुल 27 हजार 860 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र अधिग्रहण करेगी जिसमें सबसे कम हिस्सा लखनऊ का है.यूपी राज्य राजधानी क्षेत्र को लेकर एक प्राधिकरण का गठन किया गया है जिसे उत्तर प्रदेश राज्य राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकरण के नाम से जाना जाएगा जिसमें कई अलग-अलग विभागों के अपर मुख्य सचिव और सचिव सभी जिलों के डीएम और प्राधिकरण उपाध्यक्ष भी इसमें शामिल होंगे.प्राधिकरण के अध्यक्ष खुद सीएम योगी आदित्यनाथ रहेंगे।
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50 वर्षों को ध्यान में रखकर बनेगा SCR
दिल्ली एनसीआर को जैसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र कहा जाता है वैसे ही एससीआर को राज्य राजधानी क्षेत्र के नाम से जाना जाएगा.सीएम योगी ने एससीआर के लिए अफसरों को आगामी 50 वर्षों की जरुरतों को ध्यान में रखते हुए मास्टर प्लान तैयार करने के निर्देश दिए हैं.
सीएम योगी ने सितंबर 2022 में एससीआर परियोजना की पहल करते हुए ये कहा था कि,अलग-अलग नगरों से आकर लोग लखनऊ और उसके आस-पास अपने स्थायी निवास बनाना चाहते हैं इससे जिलों में जनसंख्या का दबाव बढ़ रहा है और कई बार अनियोजित विकास की भी शिकायत मिलती है इसलिए भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की तर्ज पर उत्तर प्रदेश राज्य राजधानी क्षेत्र का गठन किया जाएगा।