UP Panchayat Elections 2026: उत्तर प्रदेश में आगामी पंचायत चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। एनडीए की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) ने इस बार चुनाव अपने दम पर लड़ने का ऐलान किया है। सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने चुनाव को लेकर कई अहम मुद्दे उठाना शुरू कर दिया है, जिनमें सबसे प्रमुख है पिछड़े वर्ग और अनुसूचित जाति के आरक्षण में ‘कोटे में कोटा’ की मांग।
ओम प्रकाश राजभर का बड़ा दावा
राजभर ने स्पष्ट किया है कि वे जल्द ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस संवेदनशील मुद्दे पर चर्चा करेंगे। उनका कहना है कि पंचायत चुनाव में पिछड़े वर्ग और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण के भीतर ही उप-कोटा बनाए जाने चाहिए ताकि अति पिछड़ी जातियों को भी उचित प्रतिनिधित्व मिल सके। यह मांग बीजेपी के लिए राजनीतिक चुनौती साबित हो सकती है।
OBS और SC आरक्षण में कोटे में बंटवारे की सुभासपा की पुरानी मांग
ओम प्रकाश राजभर लंबे समय से ओबीसी और एससी आरक्षण को वर्गीकृत कर बांटने की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान व्यवस्था में कुछ जातियों को ही आरक्षण का लाभ मिल रहा है जबकि कई अन्य जातियां अपने हक से वंचित हैं। उन्होंने प्रदेश सरकार द्वारा गठित सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि इसमें ओबीसी आरक्षण को तीन हिस्सों में बांटने की सिफारिश की गई है।
सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट में आरक्षण का वर्गीकरण
रिपोर्ट के अनुसार पिछड़ी जातियों को 7% कोटा, जिसमें 16 जातियां आती हैं, अति पिछड़ी जातियों को 9% कोटा, जिनमें 32 जातियां शामिल हैं, और सार्वधिक पिछड़ी जातियों को 11% कोटा दिया जाना चाहिए, जिसमें 57 जातियां आती हैं। राजभर का कहना है कि इस व्यवस्था को कानून का रूप देकर विधानमंडल में मंजूरी दिलाना जरूरी है। उनकी पार्टी इस दिशा में पूरी ताकत लगाएगी।
बीजेपी की प्रतिक्रिया
भारतीय जनता पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने इस मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कोटे में कोटा की व्यवस्था फिलहाल लागू करना संभव नहीं है। यह एक अत्यंत संवेदनशील मुद्दा है और वर्तमान परिस्थितियों में इसे अमल में लाना कठिन होगा। उन्होंने यह भी कहा कि पंचायत चुनाव संविधान में निर्धारित नियमों के अनुसार ही संपन्न होंगे और कोई बदलाव फिलहाल नहीं होगा।
चुनावी राजनीति में बढ़ सकती है सुभासपा और BJP के बीच खाई
सुभासपा की यह मांग बीजेपी के लिए राजनीतिक संकट खड़ा कर सकती है क्योंकि पार्टी फिलहाल इस मुद्दे पर सहमति जताने को तैयार नहीं दिख रही है। इस स्थिति से यह संभावना भी जताई जा रही है कि आगामी पंचायत चुनावों में सुभासपा और बीजेपी के बीच राजनीतिक मतभेद और गहराएंगे, जिससे चुनावी समीकरण भी प्रभावित हो सकते हैं।
उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनावों में ओबीसी और एससी आरक्षण के अंदर ‘कोटे में कोटा’ की मांग से सियासी माहौल गरमाया हुआ है। सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर की इस मांग पर बीजेपी की असहमति ने चुनावी राजनीति को नया मोड़ दे दिया है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मुद्दे को कैसे संभालते हैं और पंचायत चुनावों के दौरान किस तरह के राजनीतिक फैसले होते हैं।
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