UP News: उत्तर प्रदेश के मान्यता प्राप्त और अनुदानित मदरसों से गैर मुस्लिम बच्चों और 4204 गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सभी बच्चों के स्कूलों में दाखिले के मामले में सुप्रीम कोर्ट 20 अगस्त को अंतिम सुनवाई करेगा। अदालत ने सुनवाई तक मदरसों के बच्चों को शिफ्ट न करने के निर्देश दिए हैं, जिससे बच्चों के हितों की रक्षा की जा सके। टीचर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया यूपी ने राज्य के मुख्य सचिव द्वारा इस संबंध में जारी आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की थी।
एसोसिएशन के महामंत्री दीवान साहेब जमां खान ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को याचिका पर सुनवाई हुई। अदालत ने राज्य सरकार के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल को मौखिक निर्देश दिया कि कोई भी ऐसी कार्रवाई न की जाए जिससे सुप्रीम कोर्ट के 5 अप्रैल 2024 के आदेश का उल्लंघन हो।
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न्यायालय के आदेश का पालन
महामंत्री दीवान साहेब जमां खान ने बताया कि न्यायाधीश ने कहा कि मामले पर 20 अगस्त को अंतिम सुनवाई होगी। तब तक बच्चों की शिफ्टिंग न की जाए। उन्होंने बताया कि 5 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के 22 मार्च के निर्णय के विरुद्ध दायर अपीलों में स्थगन आदेश दिया था। इस निर्णय में मदरसा बोर्ड एक्ट को असांविधानिक घोषित करने और मदरसा छात्रों को अन्य स्कूलों में स्थानांतरित करने के निर्देश दिए गए थे।
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आदेश के बावजूद शिफ्टिंग के प्रयास
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद, केंद्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के 26 जून के पत्र के बाद, राज्य के मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव अल्पसंख्यक कल्याण एवं हज और निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण ने मान्यता प्राप्त और अनुदानित मदरसों से गैर मुस्लिम बच्चों और गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सभी बच्चों को स्कूलों में ट्रांसफर करने का आदेश जारी किया था। एसोसिएशन का आरोप है कि यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के स्थगन आदेश का उल्लंघन है।
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मदरसों का महत्व
मदरसा पारंपरिक इस्लामी शिक्षा के केंद्र होते हैं, जहां कुरान, हदीस, फिकह, अरबी भाषा और अन्य इस्लामी विज्ञानों की शिक्षा दी जाती है। मदरसे न केवल धार्मिक शिक्षा प्रदान करते हैं, बल्कि आधुनिक शिक्षा का भी समावेश कर रहे हैं, जिससे छात्र समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें। मदरसों का उद्देश्य छात्रों को एक संतुलित और समग्र शिक्षा प्रदान करना है।
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शिक्षा के अधिकार की रक्षा
इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि यह बच्चों के शिक्षा के अधिकार की रक्षा करने के साथ-साथ मदरसों की भूमिका और उनकी वैधता पर भी प्रभाव डालेगा। मदरसों में शिक्षा प्राप्त कर रहे बच्चों के हितों की रक्षा करना आवश्यक है, ताकि वे किसी भी प्रकार के भेदभाव या असमंजस का सामना न करें। यह मामला शिक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता दोनों से संबंधित है। यह महत्वपूर्ण है कि बच्चों को उनकी पसंदीदा शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार मिले, चाहे वह मदरसा हो या कोई अन्य स्कूल। न्यायपालिका का यह कदम सही दिशा में है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि बच्चों के भविष्य को सुरक्षित और उज्जवल बनाया जा सके। मदरसों में शिक्षा प्राप्त कर रहे बच्चों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो और उनकी शिक्षा में निरंतरता बनी रहे, यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
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