UP News: उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस समय बयानबाजी का दौर जारी है, जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष एक-दूसरे पर अमर्यादित आचरण का आरोप लगा रहे हैं। समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेकर जिस तरह की टिप्पणियां की हैं, उसने राजनीतिक माहौल को और भी गर्मा दिया है।
सपा के बयानों पर भाजपा की कड़ी प्रतिक्रिया
अखिलेश यादव ने हाल ही में मठाधीश और माफिया जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए योगी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “भाषा से पहचानिए असली संत महंत। साधु वेष में घूमते जग में धूर्त अनंत।” इससे पहले, उन्होंने कहा था कि “जो क्रोध करेगा, वो योगी नहीं हो सकता।” यह बयान सीधे तौर पर योगी आदित्यनाथ के लिए था, जिसके बाद भाजपा के नेता और साधु-संतों ने सपा अध्यक्ष के इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी।
सीएम योगी का कड़ा जवाब
इस बीच, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक जनसभा में सपा को संबोधित करते हुए कहा, “जैसे कुत्ते की दुम सीधी नहीं हो सकती, वैसे ही सपा के गुंडे भी सीधे नहीं हो सकते।” उनके इस बयान ने राजनीतिक पारा बढ़ा दिया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश ने भी पलटवार करते हुए कहा कि कुछ लोग अपशब्दों का विश्व रिकॉर्ड बनाने में लगे हैं। इस प्रकार, दोनों पक्षों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है।
डिप्टी सीएम का बयान
भाजपा के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने भी इस विवाद में कूदते हुए कहा कि अखिलेश यादव “कांग्रेस के मोहरा” बन गए हैं और उनकी भाषा से संत समाज और प्रदेश की 25 करोड़ जनता का अपमान हो रहा है। उन्होंने अखिलेश से सार्वजनिक रूप से क्षमा मांगने की मांग की। मौर्य का यह बयान बताता है कि सपा के बयानों ने भाजपा को कितना आहत किया है।
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जातिवाद पर भाजपा विधायक की टिप्पणी
लखनऊ से भाजपा विधायक राजेश्वर सिंह ने बिना नाम लिए अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि जातिवाद की राजनीति लोकतंत्र के लिए एक बड़ा कलंक है। उन्होंने लिखा, “जातिवाद की राजनीति समाज में वैमनस्यता और विभाजन के बीज बोती है।” यह टिप्पणी सपा के जातिवादी आरोपों पर सीधा जवाब देती है और बताती है कि भाजपा इस मुद्दे को लेकर कितनी सतर्क है।
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि नेताओं की यह अमर्यादित बयानबाजी केवल चुनावी लाभ के लिए की जा रही है। क्या हम केवल नेताओं के बयान सुनकर प्रभावित होंगे या वास्तविक मुद्दों पर ध्यान देंगे? यह एक बड़ा सवाल है जो उत्तर प्रदेश की राजनीति में बार-बार उठता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे किस तरह का घटनाक्रम सामने आता है।